श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळजी एवं श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी का श्री दुर्गादौड में सहभाग !
सांगली (महाराष्ट्र) – छत्रपति शिवाजी महाराज द्वारा स्थापित स्वराज्य में स्वयं की मुद्राएं थीं, स्वयं की तोपें थीं । स्वराज्य की प्रत्येक बात में स्वयंपूर्ण होना चाहिए, यह उनका उद्देश्य था । इस कारण ‘श्री दुर्गादेवी छत्रपति शिवाजी महाराज जैसी स्वदेश, स्वधर्मनिष्ठा हिन्दुओं में निर्माण करें’, ऐसा आशीर्वाद हमें देवी मां से मांगना चाहिए, ऐसा मार्गदर्शन श्री शिवप्रतिष्ठान हिन्दुस्थान के संस्थापक पू. संभाजीराव भिडेगुरुजी ने किया । वे श्री दुर्गामाता दौड के आठवें दिन, अर्थात २२ अक्टूबर को यहां की माधवनगर सडक पर स्थित श्री दुर्गामाता मंदिर के सामने प्रतियोगियों का मार्गदर्शन कर रहे थे । श्री दुर्गामाता दौड के लिए ३ सहस्र से अधिक धारकरी (प्रतियोगी) एवं शिवप्रेमी उपस्थित थे ।
इस श्री दुर्गामाता दौड के लिए सनातन संस्था के संस्थापक सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी की आध्यात्मिक उत्तराधिकारिणी श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा नीलेश सिंगबाळजी एवं श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली मुकुल गाडगीळजी की वंदनीय उपस्थिति का लाभ हुआ । श्री दुर्गादौड के आरंभ में इन दोनों के करकमलों से ध्वजपूजन किया गया तथा दोनों ने पू. संभाजीराव भिडेगुरुजी की आरती उतारी ।
दोनों के करकमलों से माधवनगर स्थित श्री दुर्गामाता मंदिर में देवी मां की आरती की गई । श्री दुर्गामाता दौड युवकों में ९ दिन राष्ट्र एवं धर्म कार्य करने का एक नवचैतन्य तथा ऊर्जा निर्माण करती है । दौड के लिए युवक प्रतिदिन राष्ट्र-धर्म कार्य करने की प्रेरणा लेकर प्रातः शिवतीर्थ पर उपस्थित रहते हैं । इस कारण एक अनुशासन संजोया जाता है । श्री दुर्गामाता दौड ९ दिन विविध उपनगरों में जाती है । इस कारण ९ दिन संपूर्ण सांगली नगर शिवमय हो जाता है । श्री दुर्गादौड को हिन्दुओं का उत्स्फूर्त प्रतिसाद मिल रहा है । (२२.१०.२०२३)
श्री दुर्गामाता दौड युवकों में राष्ट्र एवं धर्म कार्य करने का नवचैतन्य निर्माण करती है !श्री दुर्गामाता दौड महाराष्ट्र के बाहर भी कर्नाटक, गुजरात के साथ ही भिन्न-भिन्न राज्यों में की जाती है । अनेक स्थानों पर दुर्गादौड का आयोजन कर हिन्दुओं में जागृति निर्माण करने का प्रयास किया जाता है । |