मुर्शिदाबाद में हुई हिंसा का प्रकरण
नई दिल्ली – सर्वोच्च न्यायालय ने पश्चिम बंगाल के हिंसा-प्रभावित मुर्शिदाबाद जिले में अर्धसैनिक बलों की तैनाती की मांग को लेकर प्रविष्ट याचिका पर तात्कालिक कोई निर्देश देने से मना कर दिया है । याचिकाकर्ता की ओर से पक्ष रखते हुए अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने कहा, “स्थिति गंभीर है, इसलिए केंद्र सरकार को अनुच्छेद ३५५ के अंतर्गत कार्रवाई करनी चाहिए ।” इस पर न्यायालय ने कहा कि हम पर पहले से ही विधायिका के अधिकार क्षेत्र में हस्तक्षेप करने का आरोप लगाया जा रहा है । ऐसे में आप चाहते हैं कि हम राष्ट्रपति को निर्देश दें ? यह मांग स्वीकार नहीं की जा सकती । न्यायालय ने यह कहते हुए अगली सुनवाई की दिनांक २९ मई निर्धारित की है ।
इस याचिका में यह भी मांग की गई है कि मुर्शिदाबाद हिंसा की जांच के लिए सर्वोच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय समिति गठित की जाए । न्यायालय ने अधिवक्ता जैन की यह मांग रद्द कर दी और कहा कि ऐसी मांगों पर विचार करने से पहले संवैधानिक सीमाओं का ध्यान रखना आवश्यक है ।
अनुच्छेद ३५५ और अनुच्छेद ३५६ में अंतर
अनुच्छेद ३५५ के अनुसार जब कोई राज्य सरकार संविधान के अनुसार कार्य नहीं करती, तब केंद्र सरकार को हस्तक्षेप करने का अधिकार प्राप्त होता है । अनुच्छेद ३५५ और ३५६ के बीच मुख्य अंतर यह है कि अनुच्छेद ३५६ के अनुसार राष्ट्रपति शासन लागू किया जाता है तथा राज्य सरकार को भंग कर दिया जाता है, जबकि अनुच्छेद ३५५ के अंतर्गत ऐसा नहीं होता । राज्य सरकार बनी रहती है; परंतु राज्य की आंतरिक तथा बाह्य सुरक्षा के लिए सभी अधिकार केंद्र सरकार के पास चले जाते हैं । राज्य की पुलिस केंद्र सरकार के आदेशानुसार कार्य करती है ।