चेन्नई में ईसाई विद्यालय के छात्रावास में रहने वाली हिन्दू छात्राओं को धर्मपरिवर्तन के लिए सताया !
स्वयं को नास्तिकतावादी कहलवाने वाली द्रमुक सरकार नास्तिक न होकर ईसाइयों की चमचागीरी करने वाली और हिन्दू विरोधी सरकार है, यही इससे ध्यान में आता है !
स्वयं को नास्तिकतावादी कहलवाने वाली द्रमुक सरकार नास्तिक न होकर ईसाइयों की चमचागीरी करने वाली और हिन्दू विरोधी सरकार है, यही इससे ध्यान में आता है !
राहुल गांधी को ‘यह विधान मान्य है अथवा नहीं’, उन्हें यह सार्वजनिक (जाहिर) रूप से भारतीयों को बताना चाहिए, अन्यथा उन्हें यह विधान मान्य है, ऐसा ही समझा जाएगा !
प्रसारमाध्यम ऐसे समाचार छिपाते हैं; केवल हिन्दुओं के संतों पर झूठे आरोपों को प्रसिद्धि देने के लिए सदैव तत्पर रहते हैं !
प्रसारमाध्यम ऐसे समाचारों को विस्तार से प्रसारित क्याें नहीं करते ? यदि कोई एक हिन्दू संत पर इस प्रकार के झूठे आरोप लगाए गए होते, तो अब तक ‘ब्रेकिंग न्यूज’ के रूप में यह समाचार दिखाया गया होता !
ईसाई पादरी के अतिरिक्त यदि किसी हिन्दू साधु को ऐसा दंड दिया जाता, तो अभी तक संपूर्ण ‘धर्मनिरपेक्ष’ भारत हिन्दू धर्म पर ही कीचड उछाल रहा होता ! प्रसारमाध्यमों ने हलगुल्ला मचाते हुए हिन्दू संतों पर टिप्पणी की होती ! अब दंडित ईसाई पादरी होने के कारण सर्वत्र शांति का वातावरण है । अब कितने हिन्दुओं को इस शांति से कष्ट प्रतीत हो रहे हैं ?
मुख्यधारा के हिन्दुत्व विरोधी समाचार माध्यम चुप हैं, क्योंकि इस प्रकरण में ईसाई विद्यालय आरोपी है। यदि राष्ट्रीय स्वयं संघ या किसी अन्य हिन्दू विद्यालय में ऐसी घटना हुई होती, तो हिन्दू द्वेष्टों ने आकाश-पाताल एक कर हिन्दुओं की संस्था को आरोपी के कटघरे में खडा कर दिया होता, यह समझ लें !
उत्तरप्रदेश में इस प्रकार की घटनाएं न हों, इसके लिए भाजपा सरकार को अधिक प्रयास करने चाहिएं, ऐसा ही हिन्दुओं को लगता है !
देश में ईसाइयों पर होने वाले कथित आक्रमणों को रोकने के लिए उच्चतम न्यायालय में याचिका
एलर्जी के नाम पर हिन्दुओं की परंपराआ का विरोध करने की ईसाई मिशनरी पाठशालाओं की यही पद्धति है, हिन्दू इतने भी मूर्ख नहीं कि यह उनकी समझ में न आए !
देश में धर्मांतरविरोधी कानून न होने से ईसाई मिशनरियों को खुली छूट मिलती है, यह देखते हुए जल्द से जल्द यह कानून बनाकर संबंधितों पर कठोर कार्यवाही होना आवश्यक !