चेन्नई में ईसाई विद्यालय के छात्रावास में रहने वाली हिन्दू छात्राओं को धर्मपरिवर्तन के लिए सताया !

राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के सामने उजागर !

चेन्नई (तमिलनाडु) – यहां के रोयापेट्टा क्षेत्र में स्थित सी.एस.आई. मोहन गर्ल्स हायर सेकेंडरी स्कूल के छात्रावास का अवलोकन राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग की शाखा ने किया । इस समय छात्रावास की छात्राओं ने आरोप लगाया कि, ‘हमारे ऊपर ईसाई परंपरा का पालन करने के लिए दबाव डाला जा रहा है’ । इसके उपरांत इस प्रकरण की जांच की जा रही है । इस छात्रावास की जानकारी मिलने के उपरांत अब आयोग के पथक राज्य के अन्य विद्यालयों के छात्रावासों का भी अवलोकन कर रहे हैं ।

इस प्रकरण में इन छात्राओं ने लिखित शिकायत आयोग को दी है । जिसमें इन्होंने कहा है कि, उन्हें मारने के साथ उन पर अत्याचार किए जा रहे हैं । छात्रावास के प्रमुख के द्वारा उनके साथ गालीगलौज कर तथा बांधकर उन्हें धर्मपरिवर्तन के लिए बाध्य किया जा रहा है ।

छात्राओं के फूल और कुमकुम लगाने पर पाबंदी

इस छात्रावास में गरीब हिन्दू परिवार की छात्राएं रहती हैं । उन पर धर्मपरिवर्तन करने के लिए दबाव डाला जा रहा है । विशेष यह कि इस छात्रावास का पंजीकरण नहीं किया गया है । साथ ही यह ध्यान में आया कि, छात्राओं को कोई भी सुविधा नहीं मिल रही है । सभी ओर अस्वच्छता थी । सभागृह में सोने के लिए जो गद्दियां थीं, वे भी अस्वच्छ थी । प्रत्येक पलंग पर बायबल रखी गई थी । साथ ही भीत पर येशू के चित्र थे । छात्राओं को केशों में फूल लगाने, माथे पर कुमकुम लगाने और कान की बालियां पहनने पर पाबंदी लगाई थी । जब आयोग के अधिकारी पहुंचे तब वे रोने लगी थीं ।

विद्यालय पर कार्यवाही करने की मांगपर द्रविड मुन्नेत्र कळघम् (द्रविड प्रगति संघ) सरकार निष्क्रिय !

आयोग ने इस विषय में तमिलनाडु के मुख्य सचिव वी. इराई अंबू और पुलिस महासंचालक सिलेंद्र बाबू को पत्र लिखकर ‘इस छात्रावास में छात्राओं पर बलपूर्वक ईसाई पंथ स्वीकार करने के लिए विवश किए जाने से विद्यालय पर कार्यवाही करनी चाहिए’, ऐसी सूचना दी है, साथ ही आयोग ने इस छात्रावास से छात्राओं को बाहर निकालने का भी आग्रह किया; लेकिन सरकार ने इस पर कुछ भी काम किया नहीं ।

इस वर्ष जनवरी माह में तमिलनाडु के एक ईसाई विद्यालय के छात्रावास में लावण्या नामक हिन्दू युवती ने उस पर ईसाई धर्म स्वीकार करने का दबाव डाले जाने के कारण आत्महत्या की थी ।

संपादकीय भूमिका

  • स्वयं को नास्तिकतावादी कहलवाने वाली द्रमुक सरकार नास्तिक न होकर ईसाइयों की चमचागीरी करने वाली और हिन्दू विरोधी सरकार है, यही इससे ध्यान में आता है !
  • देश में ईसाइयों के विद्यालयों में अधिकतर इस प्रकार से सताए जाने की घटनाएं सामने आने पर भी राज्य सरकार इस विषय में कुछ ठोस करते हुए नहीं दिखती । कम से कम भाजपा शासित राज्यों में केंद्र सरकार को इस संदर्भ में हिन्दुओं की रक्षा होने के लिए और ऐसे विद्यालयों पर कार्यवाही करने के निर्णय लेने आवश्यक हैं, ऐसा ही हिन्दुओं को लगता है !