राष्ट्र एवं धर्म के लिए स्वामीजी द्वारा किए जा रहे कार्य के लिए सनातन संस्था नतमस्तक !

प.पू. स्वामी गोविंददेव गिरिजी को अर्पण किया सम्मान पत्र

३० नवंबर २०२४ को सनातन आश्रम में मिलने पर चर्चा करते सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी एवं प.पू. स्वामी गोविंददेव गिरिजी
प.पू. स्वामी गोविंददेव गिरिजी को अर्पण किया सम्मान पत्र

आपने हिन्दू धर्म के पुनरुत्थान के लिए जीवन समर्पित किया है । आपके दिव्य कार्य से देश-विदेश के सहस्रों हिन्दू सनातन धर्म के विषय में जागृत हुए हैं । तेजस्वी मुखमंडल एवं ओजस्वी वाणी, आपकी विशेषताएं हैं । सनातन संस्था के रजत जयंती महोत्सव का औचित्य साधकर आपके अमृत महोत्सव निमित्त आपका कृतज्ञतारूपी सम्मान करना, हमारे लिए अमृतमय अवसर है । आपके इस ज्ञानदान के अतुलनीय कार्य को देख संत ज्ञानेश्‍वर महाराजजी का स्मरण होता है ।

आपने अपनी आयु के १५ वें वर्ष में श्रीमद्भगवद्गीता पर पहला प्रवचन किया और १७ वें वर्ष से श्रीमद्भागवत कथन का शुभारंभ किया । गत अनेक दशकों से आप हिन्दुओं को रामायण, महाभारत, भागवत, ज्ञानेश्‍वरी, दासबोध आदि के धर्मज्ञान का अमृतप्राशन करवा रहे हैं । आपका ‘गीता परिवार’ संस्था के मार्गदर्शनानुसार अमेरिका, दुबई, ओमान, ऑस्ट्रेलिया आदि १० देशों में श्रद्धालुओं को गीता का पाठ करवाता है ।

आपने वेदों के प्रसार के लिए ‘महर्षि वेदव्यास प्रतिष्ठान’ द्वारा आसेतुहिमालय ३७ वेदविद्यालयों की स्थापना की है । ‘श्रीकृष्ण सेवा निधि’ के अंतर्गत श्रेष्ठ संत साहित्य का प्रकाशन कर आपने मानवजाति के लिए अलौकिक ज्ञान की धरोहर उपलब्ध करवाई है । रामजन्मभूमि आंदोलन में सक्रिय योगदान देने से आज आप भव्यदिव्य श्रीराम मंदिर के कोषाध्यक्ष पद पर आसीन हैं ।

आप हिन्दू धर्म के पुनरुत्थान का ब्राह्मतेजयुक्त कार्य कर रहे हैं । इसके साथ ही पाखंड का खंडन करते हुए आप क्षात्रतेज प्रकट करते हैं । ‘राजसत्ता कैसे धर्मनिष्ठ होनी चाहिए ?’, इस विषय पर आपके स्पष्ट वचन आनेवाली अनेक पीढियों के लिए मार्गदर्शक हैं । धर्मजागृति और धर्मरक्षा के लिए विपुल एवं विविधांगी कार्य द्वारा आप सनातन धर्मियों के आधारस्तंभ बन गए हैं ।

ब्राह्मतेज और क्षात्रतेज की साक्षात मूर्ति अर्थात भगवान परशुराम की भूमि पर मनाए जानेवाले सनातन संस्था के रजत जयंती महोत्सव के समारोह में आप जैसे ब्राह्मतेज और क्षात्रतेज युक्त ऋषितुल्य विभूति का सम्मान करने का अवसर मिलना, हमारा परम सौभाग्य है । राष्ट्र, धर्म एवं अखिल मानवजाति के लिए आप जो कार्य कर रहे हैं, उसके लिए हम नतमस्तक हैं ।

– डॉ. जयंत बाळाजी आठवले, संस्थापक, सनातन संस्था. (३०.११.२०२४)