देहली उच्च न्यायालय ने मतदान अनिवार्य करने की याचिका पर सुनवाई अस्वीकार की !
जनता में मतदान के प्रति उदासीनता के पीछे क्या कारण हैं, इसका भी विचार करना आवश्यक है । देखा गया है कि जनता बडी संख्या में ‘नोटा’ को मत दे रही है ।
जनता में मतदान के प्रति उदासीनता के पीछे क्या कारण हैं, इसका भी विचार करना आवश्यक है । देखा गया है कि जनता बडी संख्या में ‘नोटा’ को मत दे रही है ।
ऐसे लोगों को सार्वजनिक रुप से फांसी पर चढाने का प्रावधान संविधान में आवश्यक !
इस पर अगली सुनवाई ४ अप्रैल को होगी । इस प्रकरण में कुल ८ याचिकाएं प्रविष्ट की गई हैं ।
व्यक्ति पढ लिख गया, उसे कोई पद मिल गया; इसका अर्थ यह नहीं कि वह सुसंस्कृत और नीतिमान हो गया, ऐसा नहीं कह सकते, यही इस घटना से ध्यान में आता है ! संबंधित लोगों पर कठोर कार्यवाही की मांग जनता ने की, तो इसमें गलत क्या ?
न्यायमूर्ति स्वर्णकांता शर्मा ने कहा, ‘‘हमारे चेंबर में ईयर फोन लगाकर हमें यह वेब सीरीज देखनी पड़ी, इतनी अश्लील भाषा इसमें है । इसमें का संवाद किसी को सुनाया भी नहीं जा सकता ।
वर्ष २००९ के घोटाले के प्रकरण में १३ वर्ष व्यतीत हो जाने के उपरांत अब प्रकरण प्रविष्ट किया गया है, तो इसके अपराधियों को दंड कब मिलेगा ! यह स्थिति हिंदू राष्ट्र को अनिवार्य बनाती है !
२९ जनवरी २०२३ को प्रकाशित लेख में हमने ‘अधिकारों का वितरण तथा संसद के द्वारा न्यायालय के अधिकारों पर लगाई गई मर्यादाएं, संविधान में कितने परिवर्तन संभव हैं ?
देहली उच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार की ‘अग्निपथ’ सेना भर्ती योजना को चुनौती देनेवाली सभी याचिकाएं अस्वीकार कर दी हैं । इन याचिकाओं को अस्वीकार करते हुए न्यायालय ने अपना मत रखा है ‘‘यह योजना लागू करने का उद्देश्य देश की सेना को अधिकाधिक सक्षम बनाना है, जो वह देश हित में है’’ ।
‘स्वयंवर’ अर्थात ‘स्वयं की इच्छा से विवाह करना’ यह कोई आधुनिक बात नहीं । इसकी जडें प्राचीन इतिहास में खोजी जा सकती हैं । इसमें रामायण, महाभारत जैसे प्रवित्र ग्रंथों का समावेश है ।
एक अपराध पर निर्णय देने में २० वर्ष लगते होंगे, तो इसे न्याय कहेंगे क्या ?