देहली उच्च न्यायालय ने मतदान अनिवार्य करने की याचिका पर सुनवाई अस्वीकार की !

नई देहली – लोकसभा एवं विधानसभा के चुनाव में मतदान करना अनिवार्य होगा, ऐसी जनहित याचिका देहली उच्च न्यायालय में प्रविष्ट की गई है । उच्च न्यायालय ने इस याचिका पर सुनवाई करना अस्वीकार कर दिया है । इस याचिका द्वारा केंद्र सरकार एवं चुनाव आयोग से इस संदर्भ में आदेश देने की मांग की गई थी । भाजपा के नेता एवं अधिवक्ता (श्री.) अश्‍विनी उपाध्याय ने यह याचिका प्रविष्ट की थी ।

१. न्यायालय ने कहा है कि मतदान एक अधिकार है तथा जनता को स्वयं निर्णय लेना होगा कि मतदान करें अथवा नहीं । हम कानून बनानेवाले नहीं हैं । न्यायालय ने अधिवक्ता उपाध्याय से प्रश्न किया है कि भारतीय संविधान की किस धारा में ऐसा कहा गया है कि मतदान करना अनिवार्य है ?

२. इस याचिका में कहा गया था कि इस प्रकार के नियम के कारण मतदान का प्रतिशत बढेगा तथा लोकतंत्र गुणात्मक बनेगा । भारत में मतदान अल्प होना एक समस्या है । मतदान करना अनिवार्य करने से नागरिकों को कर्तव्य के रूप में  प्रोत्साहन मिलेगा । मतदाताओं की उदासीनता दूर करने में भी सहायता होगी । ब्राजिल, ऑस्ट्रेलिया एवं बेल्जियम आदि देशों में मतदान करना अनिवार्य है । इससे वहां मतदान का प्रतिशत बढने के साथ ही लोकतंत्र की गुणवत्ता में भी बढोतरी हुई है ।

संपादकीय भूमिका 

जनता में मतदान के प्रति उदासीनता के पीछे क्या कारण हैं, इसका भी विचार करना आवश्यक है । देखा गया है कि जनता बडी संख्या में ‘नोटा’ को मत दे रही है । (नोटा अर्थात ‘नन ऑफ द अबाउ’ – यदि चुनाव में किसी भी प्रत्याशी को मत न देना हो, तो मतदाता इलेक्ट्रॉनिक मतदान यंत्र पर ‘ऊपर दिए गए किसी को भी नहीं’, विकल्प का प्रयोग करते हैं ।)