भगवान की पूजा-अर्चना आदि उपासना करें !

पूजाघर में यदि पूजा संपन्न हुई हो, तो स्नान उपरांत प्रथम पूजाघर के सामने खडे होकर भगवान को हलदी-कुमकुम एवं पुष्प अर्पित करें । भगवान को उदबत्ती (अगरबत्ती) दिखाएं । यदि पूजा न हुई हो, तो बडों की अनुमति लेकर स्वयं पूजा करें ।

बच्चो, स्वभावदोष दूर कर ‘व्यक्तित्व’ विकसित करें !

स्वभावदोषों से जीवन दुःखी एवं निराशाजनक हो जाता है । स्वभावदोष-निर्मूलन प्रक्रिया से दोष नियंत्रण में आते हैं और स्वयं में गुणों का विकास होता है; जिससे जीवन सुखी एवं आदर्श बनता है ।

आध्यात्मिक स्तर घोषित होने पर स्तरानुसार जीव पर होनेवाले परिणाम और उसका अध्यात्मशास्त्र

आध्यात्मिक स्तर घोषित करने का महत्त्व, आध्यात्मिक स्तर घोषित नहीं किया गया, तो जीव में अप्रकट रूप में शक्ति का कार्यरत रहना, आध्यात्मिक स्तर घोषित करने पर आकाशतत्त्व के कारण शक्ति की जागृति होना

सीधे ईश्वर से चैतन्य और मार्गदर्शन ग्रहण करने की क्षमता होने से आगामी ईश्वरीय राज्य का संचालन करनेवाले सनातन संस्था के दैवी बालक !

दैवी बालक ग्रंथवाचन, दैनिक ‘सनातन प्रभात’ का वाचन अथवा ‘परात्पर गुरुदेवजी के तेजस्वी विचार’ केवल पढते नहीं; अपितु तुरंत कृत्य करते हैं । वे केवल ग्रंथ अथवा दैनिक वाचन करते नहीं; अपितु उनका आचरण करते हैं । सही अर्थ में इसी को सीखना’ कहते हैं ।

श्री क्षेत्र द्वारापुर, धारवाड (कर्नाटक) के संत श्री परमात्माजी महाराज ने की वाराणसी के सनातन के सेवाकेंद्र से सद्भावना भेंट !

‘‘परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी ने २० वर्ष पूर्व हिन्दू राष्ट्र के विषय में बताय था, अब उसकी केवल समाज को नहीं, अपितु संतों को भी प्रतीति होने लगी है’’, ऐसा प्रतिपादन श्री क्षेत्र द्वारापुर, धारवाड (कर्नाटक) के ‘श्री परमात्मा महासंस्थानम्’ के संस्थापक श्री परमात्माजी महाराज ने किया ।

विभिन्न समस्याओं पर अचूक नामजपादि उपाय ढूंढकर, करने से कष्ट दूर होना और इससे उपायों का महत्त्व ध्यान में आना

मानव जीवन में होने वाली ८० प्रतिशत समस्याएं आध्यात्मिक कारणों से होती हैं । इसलिए ऐसी समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए साधना की आवश्यकता होती है । साधना के साथ, समस्याओं के उस उस प्रसंग में उस समस्या पर नामजपादि आध्यात्मिक उपाय ढूंंढकर करने की आवश्यकता होती है ।

परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के ओजस्वी विचार

‘साधना कर सूक्ष्म स्तरीय ज्ञान होने पर यज्ञ का महत्त्व समझ में आता है । वह न समझने के कारण अति सयाने बुद्धिप्रमाणवादी बडबडाते फिरते हैं, ‘यज्ञ में वस्तुएं जलाने की अपेक्षा उन्हें गरीबों को दो ।’

वैश्विक महामारी फैलानेवाले ‘कोरोना विषाणु’ के नया प्रकार ‘ओमिक्रॉन विषाणु’ से आध्यात्मिक स्तर पर लडने के लिए यह जप करें !

‘ओमिक्रॉन विषाणु’ का विश्वभर का प्रभाव नियंत्रित हों और उसका प्रसार रुक जाएं, एवं यह नामजप करने के निमित्त से अनेकों को इस आपातकाल में साधना करने की गंभीरता ध्यान में आए और उनके द्वारा साधना आरंभ हो, यही श्रीगुरुचरणों में प्रार्थना !

देहली के साधक दंपति श्री. संजीव कुमार (आयु ७० वर्ष) एवं श्रीमती माला कुमार (आयु ६७ वर्ष) सनातन के ११५ वें और ११६ वें समष्टि संतपद पर विराजमान !

इस दंपति ने एकत्रित रूप से साधना का आरंभ किया । वर्ष २०१७ में एक ही दिन इन दोनों का आध्यात्मिक स्तर ६१ प्रतिशत हुआ और आज के इस मंगल दिवस पर इन दोनों ने ७१ प्रतिशत आध्यात्मिक स्तर प्राप्त कर एक ही दिन संतपद भी प्राप्त कर लिया है ।

सीधे ईश्वर से चैतन्य और मार्गदर्शन ग्रहण करने की क्षमता होने से, आगामी ईश्वरीय राज्य का संचालन करनेवाले सनातन संस्था के दैवी बालक !

परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के संकल्पानुसार आगामी कुछ वर्षाें में ईश्वरीय राज्य की स्थापना होनेवाली है । अनेकों के मन में प्रश्न होता है कि ‘इस राष्ट्र का संचालन कौन करेगा ?’ इसलिए ईश्वर ने उच्च लोक से कुछ हजार दैवी बालकों को पृथ्वी पर जन्म दिया है । उनके प्रगल्भ विचार और अलौकिक विशेषताएं इस स्तंभ में प्रकाशित कर रहे हैं ।