परात्पर गुरु डॉक्टरजी का साधना के विषय में मार्गदर्शन !

अध्यात्म में साधना का आरंभ अर्थात ‘अ’(A) ऐसा कुछ नहीं होता । प्रत्येक के आध्यात्मिक स्तर एवं साधनामार्ग के अनुसार उसकी साधना आरंभ होती है ।

सीधे ईश्वर से चैतन्य और मार्गदर्शन ग्रहण करने की क्षमता होने से, आगामी ईश्वरीय राज्य का संचालन करनेवाले सनातन संस्था के दैवी बालक !

कु. प्रार्थना पाठक ने इतनी छोटी आयु में ही अब तक अनेक ग्रंथ पढ लिए हैं । आयु में कहीं अधिक बडे कितने साधक ऐसा वाचन करते होंगे ? इस वाचन के कारण, अध्ययन के कारण इतनी छोटी आयु में ही प्रार्थना ने ६७ प्रतिशत आध्यात्मिक स्तर प्राप्त किया है । आगे वह शीघ्र ही संत बनेगी ।

वाराणसी सेवाकेंद्र के प्रांगण में उगा हुआ विशेषतापूर्ण अमरूद का पेड !

वाराणसी सेवाकेंद्र के प्रांगण में अमरूद का एक पेड है । इस अमरूद के पेड की विशेषता यह है कि उसके कई स्थानों में एक ही स्थान पर ४ से ५ अमरूद आते हैं और एक ही शाखा की एक ही पंक्ति में कई अमरूद आते हैं । इस पेड का तना मध्यम आकार का है । इस पेड की ओर देखने पर आनंद और उत्साह प्रतीत होता है ।

त्याग एवं निरपेक्षता जैसे विशिष्ट गुणों के कारण सनातन के ११७ वें संतपद पर विराजमान फोंडा (गोवा) की पू. (श्रीमती) सुधा सिंगबाळजी (आयु ८२ वर्ष) !

मूलत: सावईवेरे, गोवा की श्रीमती सुधा उमाकांत सिंगबाळजी सनातन के संत पू. नीलेश सिंगबाळजी की माताश्री और श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा नीलेश सिंगबाळजी की सास हैं । श्रीमती सुधा सिंगबाळजी पहले से ही धार्मिक एवं आतिथ्यशील वृत्ति की हैं ।

मथुरा में हिन्दू जनजागृति समिति द्वारा ‘आनन्दमय जीवन हेतु साधना’ विषय पर मार्गदर्शन

मथुरा के श्रीजी शिवाशा एस्टेट के मंदिर परिसर में हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय मार्गदर्शक सद्गुरु डॉ चारुदत्त पिंगळेजी ने ‘आनन्दमय जीवन हेतु साधना’ विषय पर मार्गदर्शन किया ।

परात्पर गुरु डॉक्टरजी का राष्ट्र व साधना के विषय में मार्गदर्शन !

अनेक राजनेताओं को जब उनके राजनीतिक दल प्रत्याशी नेता नहीं बनाते, तब वे उस राजनीतिक दल को छोडकर प्रत्याशी बनानेवाले अन्य राजनीतिक दल में चले जाते हैं । जिन नेताओं में पक्ष के प्रति निष्ठा नहीं है, उनमें देश के प्रति कितनी निष्ठा होगी ? और ऐसे स्वार्थी राजनेता जनता का भी क्या भला करेंगे ?

सीधे ईश्वर से चैतन्य और मार्गदर्शन ग्रहण करने की क्षमता होने से, आगामी ईश्वरीय राज्य का संचालन करनेवाले सनातन संस्था के दैवी बालक !

परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के संकल्प अनुसार कुछ वर्षाें में ही ईश्वरीय राज्य की स्थापना होनेवाली है । अनेकों के मन में यह प्रश्न उठता है कि ‘यह राष्ट्र कौन चलाएगा ?’ इसके लिए ईश्वर ने उच्च लोकों से दैवीय बालकों को पृथ्वी पर भेजा है ।

सनातन के ज्ञान-प्राप्तकर्ता साधकों को मिलनेवाला समझने में कठिन; परंतु अपूर्व ज्ञान !

विष्णुस्वरूप परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के धर्मसंस्थापना के कार्य को ज्ञानशक्ति का समर्थन मिलने के लिए ईश्वर सनातन संस्था की ओर ज्ञानशक्ति का प्रवाह भेज रहे हैं । इस प्रवाह में ज्ञानशक्ति से ओतप्रोत चैतन्यदायी सूक्ष्म विचार ब्रह्मांड की रिक्ति से पृथ्वी की दिशा में प्रक्षेपित हो रहा है ।

परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के ओजस्वी विचार

बीमार होने पर उपचार करने की अपेक्षा ‘बीमार ही न हो’, इसके लिए प्रयास करना महत्त्वपूर्ण है’ Prevention is Better Than Cure, ऐसी एक कहावत है । उसे केवल कहने की अपेक्षा बडे होने पर दुर्गुण न हों, इसलिए बचपन से ही सात्त्विक संस्कार करना आवश्यक है ।

भारतीय शास्त्रीय नृत्य की ओर साधना के रूप में देखनेवाले प्रसिद्ध कथ्थक नर्तक पद्मविभूषण पं. बिरजू महाराज !

संगीत में कोई भी कृत्य करने से पूर्व अपने इष्टदेवता का ध्यान (स्मरण) करना आवश्यक होता है । इसलिए कोई भी कृत्य करने से पूर्व भगवान के स्तुतिपर गीत, वंदना इत्यादि के माध्मय से भगवान की स्तुति गाई जाती है ।