नवधाभक्ति – एक विश्लेषण
भक्तिमार्गमें नवधाभक्तिका उल्लेख है । श्रवण, कीर्तन, स्मरण, पादसेवन, अर्चन, वंदन, दास्य, सख्य और आत्मनिवेदन (टिप्पणी), ये हैं वे भक्तिके नौ प्रकार ।
भक्तिमार्गमें नवधाभक्तिका उल्लेख है । श्रवण, कीर्तन, स्मरण, पादसेवन, अर्चन, वंदन, दास्य, सख्य और आत्मनिवेदन (टिप्पणी), ये हैं वे भक्तिके नौ प्रकार ।
मैं दूरदर्शन (टीवी) पर प्रसारित विविध धारावाहिकों में अभिनय करता हूं, इसलिए मुझे विभिन्न कार्यक्रम और आयोजनों में निमंत्रित किया जाता है । मुझे वहां नृत्य करने के लिए कहा जाता है; परंतु मुझे वहां आनंद नहीं मिलता और बहुत बोरियत होती है ।
वर्तमान काल में पूर्व की भांति कोई श्राद्ध पक्ष इत्यादि नहीं करता और न ही साधना करता है । इसलिए अधिकतर सभी को पितृदोष (पूर्वजों की अतृप्ति के कारण कष्ट) होता है ।
‘इंद्रियां श्रेष्ठ कही जाती हैं । इंद्रियोंसे मन श्रेष्ठ है । मनसे बुद्धि श्रेष्ठ है । जो बुद्धिसे श्रेष्ठ है, वह आत्मा (ब्रह्म) है ।’
प्रतिदिन संपन्न हुए इस कार्यक्रम में दैनिक जीवन में श्रीमद्भगवद्गीता के अनुसार किस प्रकार आचरण करें ?, भगवान श्रीकृष्ण की उपासना और पूजन का शास्त्र, भगवान श्रीकृष्ण पर किए जानेवाले आरोप और उनका खंडन इत्यादि विषयों पर शास्त्रीय जानकारी दी गई ।
‘कुछ आध्यात्मिक संस्थाएं अथवा संप्रदाय कोई अभियान अथवा कार्यक्रम करने पर ‘हमने यह किया, हमने वह किया’, ऐसा बताते हुए दिखाई देते हैं; परंतु सनातन में सभी कार्य महर्षि, संत आदि के अर्थात भगवान के मार्गदर्शन अनुसार किया जाता है ।
वृद्ध होते हुए भी अकेले ही रोग में सभी स्थिति संभालनेवाली, जिनका अखंड भाव रहता है कि ‘गुरुदेव साथ में हैं’ एवं स्थिरता जिनका स्थायीभाव है, ऐसी श्रीमती उषा कुलकर्णीजी को सनातन की ११० वीं व्यष्टि संत घोषित किया गया ।
भाद्रपद पूर्णिमा (२० सितंबर) को वाराणसी के पू. नीलेश सिंगबाळजी का जन्मदिन है । इस निमित्त से ‘झारखंड राज्य के धनबाद और कतरास जिलों के साधकों को पू. नीलेश सिंगबाळजी से सिखने को मिले सूत्र इस लेख में प्रस्तुत हैं ।
विश्वयुद्ध के कारण पृथ्वी पर रज-तम (प्रदूषण) बहुत बढेगा । इसलिए इस विश्वयुद्ध के पश्चात संपूर्ण पृथ्वी पर सात्त्विकता बढाने के लिए पृथ्वी को शुद्ध करना पडेगा ।
समाधान का अर्थ है शंकाओंका निरसन । अध्यात्मशास्त्रका अध्ययन करते समय नाना प्रकारके विकल्प और शंकाएं मनमें आती हैं । सभी प्रश्नोंके उत्तर मिलकर सभी शंकाओंका निरसन होनेपर प्राप्त होनेवाली शांति ।