वर्ष १९७० का ‘मुक्त संचार व्यवस्था’ (फ्री मूवमेंट रिजीम) अनुबंध किया रद्द !

आजकल म्यांमार में विद्रोही गुट एवं सेना के मध्य संघर्ष चल रहा है, साथ ही नवंबर २०२३ में भारत में म्यांमार के लगभग ६०० सैनिक घुस गए थे । इस प्रकरण में मिजोरम सरकार ने केंद्र सरकार से सहायता मांगी थी ।

अयोध्या में प्रभु श्रीराम के दर्शन हेतु जाने से पूर्व इन बातों को समझ लें !

प्रभु श्रीराम के मूर्ति की प्राणप्रतिष्ठा होने के उपरांत देश-विदेश से बडी संख्या में श्रद्धालु श्रीराम के दर्शन करने हेतु अयोध्या आ रहे हैं । अनेक श्रद्धालुओं को श्रीराम के दर्शन की आस लगी है । प्रतिदिन सहस्रों श्रद्धालु दर्शन हेतु आ रहे हैं ।

आचारों का पालन करना ही अध्यात्म की नींव है ।

प्राचीन काल में तुलसी जी को जल चढाकर वंदन किया जाता था; परन्तु आज अनेक लोगों के घर तुलसीवृन्दावन भी नहीं होता । प्राचीन काल में सायंकाल दीपक जलाकर ईश्वर के समक्ष स्तोत्र पठन किया जाता था; परन्तु आज सायंकाल बच्चे दूरदर्शन पर कार्यक्रम देखने में मग्न रहते हैं ।

शुभसूचक कृत्य करना अथवा शुभ वस्तुओं की ओर देखना

‘बडों का अभिवादन करना, दर्पण या घी में अपना प्रतिबिम्ब देखना, केशभूषा करना, अलंकार धारण करना, नेत्रों में अंजन या काजल लगाना आदि कृत्य शुभसूचक होते हैं ।’

फेटे का महत्त्व और लाभ

‘उपरने से अथवा धूतवस्त्र से सिर को गोलाकार पद्धति से लपेटना, यह सबसे सरल, सहज एवं सात्त्विक उपचार है । इस लपेटे हुए भागके मध्यमें निर्मित रिक्ति में ब्रह्माण्ड के सात्त्विक स्पन्दन घनीभूत होते हैं ।

ब्रिटेन के मंदिर संकट में !

ब्रिटेन में भारतीय वंश के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक की सरकार होते हुए अभी-अभी हिन्दुओं के लिए एक खेदजनक समाचार सामने आया है । वहां भारतीय पुजारियों का वीसा अस्वीकार किया जा रहा है । पुजारियों के अभाव में वहां ५०० में से ५० मंदिर बंद कर दिए गए हैं ।

विद्यालयों में आयुर्वेद सिखाएं ! युद्धकाल में आयुर्वेद की औषधियां ही उपलब्ध होंगी !

भावी पीढी स्वस्थ हो, इस हेतु केंद्रीय ‘आयुष’ मंत्रालय की ‘होमिओपैथी फॉर स्कूल’, यह ३ वर्ष की योजना गोवा के विद्यालयों में लागू कर दी गई है ।

संपादकीय : संविधान के कथित भक्त !

कांग्रेसी श्रीराम की तो छोडिए; संविधान की भक्ति भी नहीं करते; यह अब हिन्दू जान गए हैं । इसीलिए उन्होंने केंद्र में कांग्रेस को सत्ता से दूर रखा ।

हिन्दू मंदिर वापस प्राप्त करना, यह हिन्दुओं का अधिकार है ! – अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन, सर्वाेच्च न्यायालय

कुछ दिन पूर्व ही ज्ञानवापी के संदर्भ में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (‘ए.एस.आई.’) का  प्रतिवेदन (रिपोर्ट) आया है । उसमें स्पष्टता से कहा है कि ‘ज्ञानवापी के स्थान पर भव्य मंदिर था एवं उसे १७ वीं सदी में गिराया गया ।’

भारत पर आरोप लगाकर अपने ही घर में आग लगाने का चीन का कृत्य !

विश्व के श्रेष्ठ एवं बलशाली देशों को अपने आचरण एवं कार्याें से विश्व को मानवता का श्रेष्ठ संदेश देना चाहिए । जो देश अपने साम्राज्य का विस्तार तथा स्वयं की श्रेष्ठता सिद्ध करने का प्रयास करता है, उसमें तथा डकैत में कोई अंतर है, ऐसा नहीं कहा जा सकता ।