श्रीराम नवमी एवं हनुमान जयंती के निमित्त उनके विषय में कुछ विशेष जानकारी…

देवताओं एवं अवतारों की जन्मतिथि पर उनका तत्त्व भूतल पर अधिक सक्रिय रहता है । श्रीरामनवमी के दिन रामतत्त्व सामान्य की तुलना में १ सहस्र गुना सक्रिय रहता है ।

आज के रावणों के विरुद्ध लडने हेतु श्रीराम की सहायता चाहिए !

हिन्दू धर्म को माननेवाली जर्मन लेखिका मारिया वर्थ ने इस लेख के द्वारा प्रभु श्रीराम, श्रीराम मंदिर, हिन्दू धर्म एवं वर्तमान स्थिति का जो अवलोकन किया है, वह यहां दे रहे हैं ।

अयोध्या को गतवैभव प्राप्त करवानेवाले सम्राट विक्रमादित्य !

प्रभु श्रीराम की अयोध्यानगरी की गणना ७ मोक्षनगरियों में की जाती है । उसका आध्यात्मिक महत्त्व, उसे गतवैभव प्राप्त करवाने में सम्राट विक्रमादित्य द्वारा किया गया कार्य इस लेख के द्वारा यहां दे रहे हैं, जिससे रामभक्त पाठकों की प्रभु श्रीराम के प्रति श्रद्धा बढेगी ।

रामायण धारावाहिक का प्रभाव तथा प्रभु श्रीराम के दैवीय अस्तित्व की साक्षात्कारी घटनाएं !

दूरदर्शन पर प्रसारित धारावाहिक ‘रामायण’ से सभी भारतीय  सुपरिचित हैं । इस धारावाहिक के कारण वास्तव में रामायण घर-घर पहुंचा । यह धारावाहिक बनाना चुनौतीपूर्ण कार्य था । उ इस बडे धारावाहिक के चित्रीकरण से संबंधित कुछ बातें बहुत ही विशेषतापूर्ण हैं ।

हिन्दुओं के लिए तथा भारत की दृष्टि से प्रभु श्रीराम का अनन्यसाधारण महत्त्व !

‘लाखों वर्ष उपरांत भी तथा सहस्रों पीढियां बीत जाने पर भी प्रभु श्रीराम जनमानस में आदरणीय हैं; इसीलिए वे अविनाशी भगवान हैं’, यह दर्शाता है । श्रीराम का महत्त्व प्रत्येक हिन्दू के लिए अनन्यसाधारण है । श्रीराम से संबंधित कुछ उल्लेखनीय सूत्र यहां दिए गए हैं

देवताओं के विषय में सनातन के लघुग्रंथ

श्रीविष्णु का कार्य एवं विशेषताएं क्या हैं ? श्रीविष्णु को तुलसी क्यों अर्पित करते हैं ? ये जानने के लिए अवश्य खरीदे लघुग्रंथ ” श्री विष्णु”

कोरोना महामारी के संघर्षमय काल में जिज्ञासुओं के लिए संजीवनी प्रमाणित हुआ सनातन संस्था का ‘ऑनलाइन साधना सत्संग’ !

आध्यात्मिक साधना के अभाव में अधिकतर लोगों को जीवन में आनेवाले तनावों का सामना करते समय मनोबल एवं आत्मबल अल्प पडता है । तनाव, निराशा, नकारात्मकता, चिडचिडाहट; ऐसी अनेक लोगों की स्थिति होती है ।

अखिल मानवजाति का हित साध्य करना ही सनातन संस्था का उद्देश्य है !

सनातन संस्था विगत २५ वर्षाें से अनेक जनहितकारी उपक्रम चला रही है, जिससे समाज धर्माचरणी एवं श्रद्धावान बन रहा है । यह कार्य देखकर नास्तिकतावादी, आधुनिकतावादी, अंधविश्वास निर्मूलनवादी, हिन्दूद्वेषी, वामपंथी एवं तथाकथित धर्मनिरपेक्षतावादियों को सहन नहीं हो रहा है ।

हिन्दुओं की अद्वितीय कालगणना की पद्धति की अलौकिकता का वर्णन करनेवाला…नवसंवत्सरारंभ !

जैसे हिन्दुओं का कोई भी त्योहार मौज-मस्ती का विषय नहीं, अपितु मंगलता, पवित्रता, चैतन्य एवं आनंद का समारोह है, वैसे ही चैत्र शुक्ल प्रतिपदा भी है ! इसकी एक और विशेषता यह है कि यह काल का प्रत्यक्ष भान कराकर जीव को अधिकाधिक अंतर्मुख बना देता है !

चैत्र शुक्ल प्रतिपदा पर वर्षारंभ करने के प्राकृतिक, ऐतिहासिक एवं आध्यात्मिक कारण

ज्योतिष-शास्त्र अनुसार संवत्सरारंभ के आस-पास ही सूर्य वसंतविषुव (Vernal Equinox) पर आता है एवं वसंत ऋतु आरंभ होती है अर्थात सूर्य भ्रूमध्यरेखा को पार करता है तथा दिन-रात का मान समान होता है ।