हिन्दुओं के लिए तथा भारत की दृष्टि से प्रभु श्रीराम का अनन्यसाधारण महत्त्व !

‘श्रीराम’ शब्द का उच्चारण करते ही प्रत्येक हिन्दू में श्रीराम से संबंधित स्मृतियां जागृत होती हैं । श्रीराम कहने पर उसके साथ सीता माता, लक्ष्मण, हनुमान, रामायण, अयोध्या, राजा दशरथ, कौशल्या, कैकेयी, सुमित्रा, भरत, शत्रुघ्न आदि सभी हमारे मन में आते हैं । जिसमें अविनाशी चैतन्य होता है, वही चिरंतन होता है । ‘लाखों वर्ष उपरांत भी तथा सहस्रों पीढियां बीत जाने पर भी प्रभु श्रीराम जनमानस में आदरणीय हैं; इसीलिए वे अविनाशी भगवान हैं’, यह दर्शाता है । श्रीराम का महत्त्व प्रत्येक हिन्दू के लिए अनन्यसाधारण है । श्रीराम से संबंधित कुछ उल्लेखनीय सूत्र यहां दिए गए हैं –

१. युगों-युगों से प्रभु श्रीराम का इतिहास विशद करनेवाले स्थान अस्तित्व में होना

अ. प्रभु श्रीराम के काल से संबंधित उनका जन्मस्थान अयोध्या नगरी, शरयू नदी, लंका, अशोक वाटिका, रामेश्वरम, श्रीरामसेतु आज भी अस्तित्व में हैं ।

आ. भारत के अनेक स्थान, उदा. पर्वत, नदियां, वन आदि प्रभु श्रीराम के चरणस्पर्श से पावन हो गए हैं । इतना ही नहीं, ये सभी स्थान युगों-युगों से प्रभु श्रीराम का इतिहास विशद कर रहे हैं । उसमें बताने योग्य कुछ स्थान हैं चित्रकूट पर्वत, पंचवटी, दंडकारण्य, किष्किंधा, ॠष्यमुख पर्वत, प्रयाग, गंगा नदी, हंपी, शरावती नदी, रामेश्वरम्, ब्रह्मगिरी पर्वत (त्र्यंबकेश्वर, नाशिक), गंधमादन पर्वत (तिब्बत), संजीवनी पर्वत (रूमास्सला पर्वत, श्रीलंका, साभार – जालस्थल ‘आज तक’), धनुषकोडी, अशोक वाटिका (श्रीलंका), तिरुपुल्लाणी (तमिलनाडु), जनकपुर (नेपाल), लेपाक्षी (आंध्र प्रदेश), रामकोट, अमरकंटक, रामटेक, भद्राचलम् (तेलंगाना) आदि सैकडों स्थान हैं ।

२. भारत के ३ सहस्र ६२६ गावों के नाम में राम होना

‘राम’ नाम से आरंभ होनेवाले गांवों की संख्या भारत में सहस्रों है तथा इनमें से प्रत्येक गांव अपने हृदय में श्रीराम की स्मृतियां संजोकर बैठा हुआ है । रामपुर, रामेश्वरम्, रामनाथपुरम्, रामनगर, रामबन, रामचंद्रपुर, रामगुंडम्, रामगढ, रामावरम् जैसे भारत के ३ सहस्र ६२६ गांवों के नाम में ‘राम’ का नाम है, यह जानकारी समाचार पत्र ‘इंडियन एक्सप्रेस’ ने प्रकाशित की है । (साभार – ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ जालस्थल)

३. रामसेतु – श्रीराम का गौरवशाली इतिहास विशद करनेवाला स्मारक !

विश्व स्तर पर वैज्ञानिकों को अचंभित करनेवाला ‘श्रीराम सेतु’ मानवनिर्मित पत्थर-रेत का सेतु प्रभु श्रीराम का गौरवशाली इतिहास विशद करनेवाला स्मारक अभी भी पृथ्वी पर है । शोधकर्ताओं ने सेतु पर स्थित रेत में अत्यधिक मात्रा में किरणोत्सारी घटकों का शोध किया है, तथा ‘सेतु के नीचे स्थित कोई पत्थर जब सेतु से अलग हो जाता है, तब वह पत्थर पानी में तैरता है’, यह बात उनके ध्यान में आई है ।

४. भारत में स्थित प्रभु श्रीराम के सैकडों मंदिर १ सहस्र वर्ष प्राचीन होना

भारत में प्रभु श्रीराम के नाम से सहस्रों मंदिर हैं । उनमें से सैकडों मंदिर १ सहस्र वर्ष से अधिक प्राचीन हैं । कुछ मंदिरों का निर्माण तो ऐसे स्थानों पर किया गया है, जहां श्रीराम के चरणस्पर्श हुए हैं । इस मंदिर के निर्माण में लगा एक-एक पत्थर एवं शिल्प आज भी हमें श्रीराम की कथा बता रहे हैं । वहां जिन मूर्तियों की प्राणप्रतिष्ठा हुई है, वे मूर्तियां भक्तों में प्रभु श्रीराम के प्रति भाव जागृत कर रही हैं ।

श्री. विनायक शानभाग

५. अभी तक प्रभु श्रीराम के वनगमन का पथ बतानेवाले २४८ स्थानों का मिलना 

कुछ रामभक्तों ने ‘श्रीराम ने १४ वर्षाें के वनवास में किस दिशा में तथा किन गांवों से यात्रा की ?, इसे खोजने का प्रयास किया । इस योजना को उन्होंने ‘श्रीराम वनगमन पथ’ नाम दिया । इस योजना के अंतर्गत अभी तक २४८ स्थानों की सूची बनाई गई है ।

६. श्रीराम की जीवनकथा विशद करनेवाला वाल्मीकि रामायण तथा उससे प्रेरणा लेकर रामभक्तों द्वारा लिखे गए रामायणों की संख्या ३०० से अधिक होना

प्रभु श्रीराम एवं रामायण हिन्दुओं की सांस में बसे हुए हैं तथा रक्त में मिले हुए हैं । वाल्मीकि ऋषि ने भारत में जन्मे श्रीराम की जीवनकथा विशद करनेवाला ‘रामायण’ लिखा । आज तक भारत में मूल वाल्मीकि रामायण से प्रेरणा लेकर अन्य श्रीरामभक्तों ने अपने-अपने भाव के अनुसार भिन्न-भिन्न रामायण लिखे हैं । भारत में तुलसी रामायण, कंब रामायण, श्रीरंगनाथ रामायण, कृत्तिवासी रामायण, अद्भुत रामायण, कुमुदेंदु रामायण, कण्णास रामायण, भावार्थ रामायण आदि ३०० से अधिक रामायण लिखे गए हैं ।

७. एशिया महाद्वीप के अनेक देशों में स्थानीय भाषाओं में रामायण लिखकर उसके द्वारा श्रीराम का आदर्श बताया जाना

इसमें विशेष बात यह है कि म्यांमार (ब्रह्मदेश), इंडोनेशिया, कंबोडिया, लाओस, फिलिपींस, श्रीलंका, नेपाल, थाइलैंड, सिंगापुर, मलेशिया, जापान, मंगोलिया, वियतनाम, चीन आदि देशों में मूल रामायण से प्रेरणा लेकर उनकी स्थानीय भाषाओं में भिन्न-भिन्न रामायणों की रचना की गई है । थाइलैंड के अभी तक के सभी राजा उनके नाम से पूर्व रामा १, रामा २, ऐसे नाम लगाते आए हैं । बैंकॉक से पूर्व थाइलैंड का ‘अयुधया’ (अयोध्य का अपभ्रंश) शहर थाइलैंड की राजधानी था । थाइलैंड में आज भी ‘थाई रामायण’ प्रसिद्ध है, जिसमें श्रीराम को आदर्श राजा माना गया है ।

८. श्रीराम से संबंधित स्थान देखने के लिए अनेक दिन लगना

श्रीराम से संबंधित एक-एक स्थान का दर्शन करना हो, तो उसके लिए कुछ दिन पर्याप्त नहीं होंगे । दक्षिण भारत का ‘रामेश्वरम्’ तीर्थस्थल अत्यंत प्रसिद्ध है । रामेश्वरम् एक द्वीप है । इस द्वीप पर श्रीराम से संबंधित ६० से अधिक स्थान हैं, जिन्हें देखने के लिए न्यूनतम ४ दिन लगते हैं । श्रीलंका में अभी तक श्रीराम से संबंधित ५४ स्थानों की पहचान हो चुकी है । इन सभी स्थानों के दर्शन करने के लिए न्यूनतम १५ दिन लगते हैं ।

९. भारत के हिन्दुओं का जीवन रामनाम से व्याप्त होना

‘राम’ नाम भारत में इतना प्रचलित है कि लाखों लोगों के नामों में राम का उल्लेख है । भारत के हिन्दुओं के नाम में राम है अथवा उनके नित्य जीवन में राम भरे हुए हैं । गांव-गांव में घर में बडा कीडा अथवा भंवरा आने पर उसे ‘राम राम’ बोलकर शांत करने की अथवा घर से बाहर निकालने की पद्धति है । उठते-बैठते समय, एक-दूसरे से मिलते समय ‘राम राम’ बोलने की पद्धति है । देश के कुछ भागों में बही में श्रीराम का जप लिखने की पद्धति प्रचलित है ।

प्रभु श्रीराम के विषय में शोध कर लिखना हो, तो ऐसी अनगिनत बातें ध्यान में आएंगी, इतनी श्रीराम की महिमा है । संक्षेप में, ‘श्रीराम’ हिन्दुओं के हृदय में बसे हैं । श्रीराम भारत के प्राण हैं । श्रीराम सनातन धर्म के मूर्तिमान रूप हैं । ऐसे श्रीराम को हम त्रिवार वंदन करेंगे तथा उनके नित्यस्मरण से जीवन को आनंदमय बनाएंगे !

– श्री. विनायक शानभाग (आयु ४० वर्ष, आध्यात्मिक स्तर ६७ प्रतिशत), कुंभकोणम्, तमिलनाडु (१२.०१.२०२४)