कांग्रेस नेता (एडवोकेट) अधिवक्ता कौस्तव बागची को बंदी बनाया !
बागची ने कहा, ‘यदि मुख्यमंत्री व्यक्तिगत स्तर पर हमारे नेताओं की आलोचना करती हैं, तो हम भी इस पुस्तक का संदर्भ लेकर व्यक्तिगत स्तर पर मुख्यमंत्री की आलोचना करेंगे ।’
बागची ने कहा, ‘यदि मुख्यमंत्री व्यक्तिगत स्तर पर हमारे नेताओं की आलोचना करती हैं, तो हम भी इस पुस्तक का संदर्भ लेकर व्यक्तिगत स्तर पर मुख्यमंत्री की आलोचना करेंगे ।’
त्तर प्रदेश की विधानसभा में भाजपा के तत्कालीन विधायक सलील बिश्नोई ने १९ वर्ष पूर्व विधायकों का विशेषाधिकार भंग होने के प्रकरण में शिकायत की थी । इस पर सुनवाई होने के पश्चात इस प्रकरण में विधायकों से असभ्य वर्तन करनेवाले ६ पुलिसवालों को एक दिन के कारावास का दंड सुनाया गया है ।
भारत में चुनाव शांति से संपन्न हुए हैं, ऐसा कभी हुआ है क्या ?
यदि भारत में ऐसी घटना होती, तो पुलिस कर्मियों ने आरोपी की हत्या नहीं की होती ! ऑस्ट्रेलिया में आरोपी के स्थान पर नागरिकों के प्राण की अधिक चिंता की जाती है, इससे यही ध्यान में आता है !
उत्तर प्रदेश में धर्मांतरण विरोधी कानून होते हुए भी ईसाई उसको मान्यता नहीं दे रहे हैं । ऐसे लोगों पर नियंत्रण रखने के लिए इस कानून को अधिक कठोर बनाना आवश्यक है !
खालिस्तानियों के थाने को हजारों की संख्या में सशस्त्र होकर घेर लेने पर पुलिस ऐसे ही पीछे हट जाएगी, तो खालिस्तानवादियों का मनोबल बढकर राज्य में उनका दहशत निर्माण होने को बढावा मिलनेवाला है । यह रोकने के लिए केंद्र सरकार को अब तो हस्तपेक्ष करना चाहिए !
खालिस्तानवादी अब खुले रूप से उनके बंटवारे के लक्ष्य को जनसमर्थन पाने का प्रयास कर रहे हैं, यही इससे स्पष्ट होता है ! क्या सरकार अब खालिस्तानी आंदोलन को कुचलेगी ?
इससे यही दिखाई देता है कि, ‘पंजाब में खालिस्तानी समर्थकों की सक्रीयता कैसे बढ रही है ?’ तो भी राज्य तथा केंद्र सरकार इसके प्रति गंभीर हैै ऐसा नहीं लगता, ऐसा चित्र है । अब यहां प्रश्न निर्माण होता है कि, ‘पिछला इतिहास देखते हुए कोई बडी घटना होने के उपरांत ही सरकार जागेगी क्या ?’
पाकिस्तान के खैबर पख्तुनख्वा प्रांत के तोरखम में तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) आतंकवादी संगठन और पुलिस में मुठभेड हुई । टीटीपी ने पिछले एक महीने में पुलिस पर ३ बडे आक्रमण किए ।
दिन में गोहत्या हो रही हो तथा पुलिस को इसकी जानकारी भी न हो, ऐसी पुलिस की क्या उपयोगिता ?