१. स्वभाव के गुण-दोष
सामान्यतः अच्छे संस्कारों को ‘गुण’ एवं बुरे संस्कारों को ‘स्वभावदोष’ कहते हैं । किसी विशिष्ट स्वभावके कारण व्यक्तिके आचरण द्वारा उसकी एवं उससे सम्बन्धित अन्य व्यक्तियों की हानि हो, तो उसे ‘स्वभावदोष’ कहते हैं । आध्यात्मिक परिभाषामें जिन्हेें ‘षड्रिपु’ कहते हैं, ऐसे काम-क्रोधादि विकारों का स्वभावदोषों के माध्यम से प्रकटीकरण होता है ।
२. स्वभावदोष (षड्रिपु)-निर्मूलन प्रक्रिया
स्वभावदोषों के शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक, पारिवारिक, सामाजिक एवं आध्यात्मिक दुष्परिणामों को दूर कर, सफल तथा सुखी जीवन जीने हेतु, स्वभावदोषों को दूर कर चित्त पर गुणों का संस्कार निर्माण करने की प्रक्रिया को ‘स्वभावदोष (षड्रिपु)-निर्मूलन प्रक्रिया’ कहते हैं । ‘स्वभावदोष-निर्मूलन प्रक्रिया’ के माध्यम से ईश्वर से सहज स्थिति में एकरूप होना संभव है ।
३. अपने स्वभावदोष कैसे ढूंढें ?
चरण १. ‘स्वभावदोष-निर्मूलन सारणी’ लिखने का अर्थ है, दिनभर के विविध प्रसंगों में हुए अनुचित कृत्यों अथवा अनुचित (व्यक्त तथा अव्यक्त अर्थात मन में उभरी) प्रतिक्रियाओं को लिखना
चरण २. प्रसंग, अनुचित कृत्य एवं प्रतिक्रिया का अध्ययन करना और प्रसंगानुरूप उचित कृत्य एवं प्रतिक्रिया निश्चित करना । मन से उपयुक्त प्रश्न कर प्रसंगानुरूप अनुचित कृत्य एवं प्रतिक्रिया का अध्ययन कर उसका मूलभूत स्वभावदोष ढूंढना ।
४. स्वसूचनाओं द्वारा स्वभावदोष-निर्मूलन कैसे करें ?
चरण १. प्रक्रिया के लिए चुने गए प्रत्येक स्वभावदोष पर स्वसूचना बनाना
चरण २. स्वभावदोषों की तीव्रता के अनुसार स्वसूचना के अभ्याससत्रों की संख्या निश्चित करना एवं उन स्वसूचनाओं के अभ्याससत्र संपूर्ण सप्ताह नियमित रूप से करना
चरण ३. स्वयं आत्मपरीक्षण कर, अन्यों से भी स्वभावदोषों में हुई प्रगति संबंधी पूछताछ करना एवं प्रगति की सूचना बनाना ।
५. स्वसूचना
‘स्वसूचना’ अर्थात स्वयं से हुई अनुचित कृति, मन में आए अनुचित विचार एवं (व्यक्त अथवा अव्यक्त) प्रतिक्रिया के संदर्भ में स्वयं ही अपने अंतर्मन को (चित्त को) सूचना देना । सूचना देने का उदाहरण आगे दिया है ।
स्वभावदोष : भुलक्कडपन
प्रसंग : भुलक्कडपन के कारण कु. सुमन प्रतिदिन रात को सोने से पूर्व दूध उबालना भूल जाती थी । इस कारण दूध सुबह खराब हो जाता था ।
स्वसूचना – जब मैं रात को रसोईघर की स्वच्छता कर वहां से निकलूंगी, तब मुझे इसका भान होगा कि प्रतिदिन दूध उबालना भूल जाने के कारण अगले दिन दूध खराब हो जाता है और मैं तत्काल दूध उबाल दूंगी ।
प्रगति की स्वसूचना – स्वभावदोषों के निर्मूलन के लिए प्रामाणिकता से प्रयत्न करने पर कुछ सप्ताह के उपरांत हमारे स्वभाव में निश्चित ही कुछ परिवर्तन प्रतीत होता है । प्रत्येक अभ्याससत्र के प्रारंभ में केवल एक ही बार दें ।
संदर्भ – सनातन का ग्रंथ ‘स्वसूचनाओंद्वारा स्वभावदोष-निर्मूलन’