फोंडा में संपन्न शोभायात्रा के समय प्राप्त अनुभव !

शोभायात्रा जब फोंडा शहर से जा रही थी, तब मजदूरी पर काम करनेवाले एक श्रमिक ने फेरी को भावपूर्ण नमस्कार किया । अन्य एक श्रमिक अपना काम छोडकर फेरी में सम्मिलित हुआ । इससे ‘भगवान को भाव प्रिय है’, इसकी प्रतीति हुई ।

राष्ट्र एवं धर्म के विषय में लोगों को सतत जागृत करना चाहिए ! – स्वामी निर्गुणानंद महाराज, रिसडा प्रेम मंदिर आश्रम, बंगाल

धर्मकार्य करते हुए हमारे मन में सकारात्मकता और मुख पर प्रसन्नता रखनी चाहिए । अपने-अपने घरों के छोटे-छोटे कार्यक्रमों के माध्यम से भी लोगों को एकत्र करते रहना है । भले ही कोई भी निमित्त हो, राष्ट्र एवं धर्म के विषय में लोगों को सतत जागृत करना चाहिए ।

बंगाल में ‘हिन्दू सभा की ऑनलाइन’ बैठक में हिन्दू जनजागृति समिति का सहभाग

‘हिन्दू सभा’ इस हिन्दुत्वनिष्ठ संगठन की ‘ऑनलाईन’ बैठक में हिन्दु जनजागृति समिति के पूर्व एवं पूर्वोत्तर भारत राज्य समन्वयक श्री. शंभू गवारे ने सहभाग लिया । इस अवसर पर श्री. गवारे ने समिति के कार्य के विषय में सभी को अवगत करवाया ।

जयपुर, राजस्थान के शिवभक्त पू. वीरेंद्र सोनीजी (आयु ८७ वर्ष) का देहत्याग !

श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली मुकुल गाडगीळजी ने ३० नवंबर २०२१ को पू. वीरेंद्र सोनीजी को संत घोषित किया था । श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी द्वारा वर्ष २०१९ में की गई कैलास-मानसरोवर (मानस सरोवर) यात्रा के श्री. वारिद सोनी मार्गदर्शक थे ।

सोजत रोड (राजस्थान) में हिन्दू राष्ट्र-जागृति सभा संपन्न !

हमने अपनी भाषा, वेशभूषा एवं भोजन छोड दिया है । इसलिए आज लोगों में स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं बढती जा रही हैं । हमें अभिमान से अपनी संस्कृति का पालन कर धर्म बढाना चाहिए ।

भारतीय संस्कृति का महत्त्व विद्यार्थियों पर अंकित करने हेतु महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय द्वारा प्रयागराज में पाठ्यक्रम का आरंभ !

महान हिन्दू संस्कृति के विषय में तथा ‘नामजप करने से मन की एकाग्रता बढकर पढाई मैं कैसे लाभ होता है’, इसकी जानकारी दी गई । सभी शिक्षक एवं विद्यार्थियों ने इसकी बहुत सराहना की तथा इस प्रकार के वर्ग प्रतिदिन लिए जाने की इच्छा भी व्यक्त की ।

देहली में श्रद्धालु धर्मप्रेमियों द्वारा शिवशक्ति मंदिर के परिसर की स्वच्छता

एक दिन मंदिर की स्वच्छता कर रुक नहीं जाना है, अपितु भगवान का मंदिर सदैव स्वच्छ रखने के लिए प्रयास करने हैं और यही गुरुदेवजी के श्रीचरणों में खरी कृतज्ञता होगी ।

प्रत्येक जीव पर असीमित निरपेक्ष प्रेम करनेवाले परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी

गुरुदेवजी, आप हमारे जीवन में आए’, इससे बडा कोई सौभाग्य नहीं है ! आपके सुकोमल श्रीचरणों में कोटि-कोटि कृतज्ञता !

ग्रंथलेखन का अद्वितीय कार्य करनेवाले एकमात्र परात्पर गुरु डॉ. जयंत आठवलेजी !

आज भी संतों और अध्यात्म के अध्येताओं ने ग्रंथ के संबंध में कुछ सुधार सुझाए, तो परात्पर गुरु डॉक्टरजी उनके सुझावों का आनंद से स्वीकार कर उसके अनुसार ग्रंथों में सुधार करते हैं ।