‘परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के प्रति हमें अंतिम श्वास तक कृतज्ञ रहना होगा !’ – श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी
संत भक्तराज महाराजजी के देहत्याग उपरांत परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी ने गुरुतत्त्व को पहचानकर (गुरुतत्त्व से सान्निध्य रखकर) व्याप क कार्य किया । प्रत्यक्ष रूप से उन्हें उनके गुरुदेवजी का सान्निध्य बहुत अल्पावधि के लिए ही प्राप्त हुआ ।