‘परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के प्रति हमें अंतिम श्‍वास तक कृतज्ञ रहना होगा !’ – श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी

संत भक्तराज महाराजजी के देहत्याग उपरांत परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी ने गुरुतत्त्व को पहचानकर (गुरुतत्त्व से सान्निध्य रखकर) व्याप क कार्य किया । प्रत्यक्ष रूप से उन्हें उनके गुरुदेवजी का सान्निध्य बहुत अल्पावधि के लिए ही प्राप्त हुआ ।

योगतज्ञ दादाजी वैशंपायनजी द्वारा सनातन संस्था के संस्थापक परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के अलौकिक कार्य की प्रशंसा !

सनातन प्रभात’ एकमात्र ऐसा दैनिक है, जिसके माध्यम से हिन्दू धर्म एवं हिन्दू धर्मियों की अर्थहीन आलोचना का आप (डॉ. जयंत आठवलेजी) एवं आपके सेवाभावी साधक निर्भयता से मुंहतोड उत्तर देते हैं ।

परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी का बुद्धिअगम्य एवं अलौकिक दैवी कार्य !

कलियुग में सैकडों की संख्या में शिष्यपरिवारवाले कुछ महान गुरु हुए । उनके शिष्यपरिवार में से अनेक शिष्य संत (७० प्रतिशत आध्यात्मिक स्तर के) थे; परंतु इसके संदर्भ में वस्तुनिष्ठ आंकडे उपलब्ध नहीं है ।