देहली में श्रद्धालु धर्मप्रेमियों द्वारा शिवशक्ति मंदिर के परिसर की स्वच्छता
एक दिन मंदिर की स्वच्छता कर रुक नहीं जाना है, अपितु भगवान का मंदिर सदैव स्वच्छ रखने के लिए प्रयास करने हैं और यही गुरुदेवजी के श्रीचरणों में खरी कृतज्ञता होगी ।
एक दिन मंदिर की स्वच्छता कर रुक नहीं जाना है, अपितु भगवान का मंदिर सदैव स्वच्छ रखने के लिए प्रयास करने हैं और यही गुरुदेवजी के श्रीचरणों में खरी कृतज्ञता होगी ।
गुरुदेवजी, आप हमारे जीवन में आए’, इससे बडा कोई सौभाग्य नहीं है ! आपके सुकोमल श्रीचरणों में कोटि-कोटि कृतज्ञता !
आज भी संतों और अध्यात्म के अध्येताओं ने ग्रंथ के संबंध में कुछ सुधार सुझाए, तो परात्पर गुरु डॉक्टरजी उनके सुझावों का आनंद से स्वीकार कर उसके अनुसार ग्रंथों में सुधार करते हैं ।
इस विश्व में अनेक लोग स्वयं को ‘गुरु’ कहलाते हैं; परंतु उनमें ‘सच्चे गुरु’ ऐसे कोई नहीं हैं । सप्तर्षियों की दृष्टि से इस पृथ्वी पर ‘गुरु’ अर्थात केवल परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी ही हैं । परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के रूप में साक्षात भगवान ही ‘गुरु’ के रूप में पृथ्वी पर अवतरित हुए हैं ।
आपातकाल में रक्षा होने हेतु व्यक्ति स्वयं के बलबूते पर चाहे कितनी भी तैयारी कर ले, तब भी भूकंप, सुनामी जैसी महाभीषण आपदाओं से बचने हेतु संपूर्ण भार भगवान पर ही सौंपना पडता है । व्यक्ति ने साधना कर भगवान की कृपा पाई, तो वे किसी भी संकट में उसकी रक्षा करते ही हैं ।
भविष्यवेत्ता केवल भविष्यवाणी करते हैं, तो गुरु कृपावत्सल होते हैं । उसके कारण ही द्रष्टा परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी ने आपातकाल की आहट पहचानकर साधकों को उस विषय में केवल सूचित ही नहीं किया, अपितु आनेवाले समय में साधकों को सुविधाजनक हो; इसके लिए प्रत्यक्ष उपाय भी आरंभ किए ।
‘दुर्भाग्य का भयावतार’, ‘जिसे नरक कहते हैं, क्या वह यही है ?’, जैसे शीर्षकों द्वारा वर्तमान समाज की स्थिति कितनी भयावह है, यह समझ में आता है ।
सनातन के साधकों को अनिष्ट शक्तियों के कारण आध्यात्मिक कष्ट होने लगे, तब परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी ने हमें समय-समय पर बताया कि ‘सनातन के साधक ईश्वरीय राज्य (हिन्दू राष्ट्र) की स्थापना हेतु कार्यरत हैं; उसके कारण ही साधकों को अधिकांश कष्ट भुगतने पड रहे हैं ।
रोगनिवारण के संदर्भ में बिंदुदाब, रिफ्लेक्सोलॉजी आदि उपचार-पद्धतियों में पुस्तकें अथवा जानकारों की सहायता आवश्यकता होती है । पिरैमिड, चुंबक चिकित्सा आदि उपचार-पद्धतियों में संबंधित साधन आवश्यक होते हैं ।