हिन्दुओं के मंदिरो को प्रशासन और सरकार के अधीन रहना चाहिए क्या ? – मद्रास उच्च न्यायालय का मदुराई खंडपीठ को प्रश्न

मदुराई (तमिलनाडु) – मद्रास उच्च न्यायालय की मदुराई खंडपीठ ने रंगराजन नरसिंहन के विरोध में मानहानि के संबंध में प्रविष्ट की गई २ याचिकाओं को निरस्त कर दिया है । रंगराजन ने श्री रंगनाथ स्वामी मंदिर की व्यवस्था देखने वाले अधिकारियों के विरोध में प्रश्न पूछा था, साथ ही राज्य के सहस्रों मंदिरों की स्थिति के विषय में आवाज उठाया था । इस समय न्यायाधीश जी.आर. स्वामीनाथन ने कहा कि, भारत के मंदिरों को पुनर्जीवित करने की आवश्यकता है । हिन्दुओं के मंदिरों को प्रशासन और सरकार के अधीन रहना चाहिए क्या ? ऐसा प्रश्न उन्होंने पूछा ।

रंगराजन नरसिंहन ने श्री रंगनाथ स्वामी मंदिर के व्यवस्थापन के कामकाज के विषय में प्रश्न पूछते हुए सामाजिक माध्यमों द्वारा धर्मादाय विभाग के आयुक्त और मंदिर ट्रस्ट के पूर्व अध्यक्ष के अवैध कामों को उजागर किया था । यह आरोप संबंधितों द्वारा नकारते हुए रंगराजन के विरोध मे मानहानि का मुकदमा प्रविष्ट किया, साथ ही उनके विरोध में गुनाह प्रविष्ट करने की मांग की थी । रंगराजन पर इसके पहले ही २ गुनाह प्रविष्ट किए थे । इस समय न्यायालय ने ‘मंदिर न्याय और धर्मदान विभाग के कामकाज को उजागर करने के कारण भक्तों को लक्ष्य कर उनके विरोध में गुनाह प्रविष्ट किए’, ऐसा स्पष्ट किया ।

धर्मनिरपेक्ष कहलाने वाली सरकारों को मंदिरों के समान चर्च और मस्जिदों पर भी नियंत्रण रखना चाहिए !

इस पर सुनवाई करते समय न्यायाधीश स्वामीनाथन ने कहा कि, स्वयं को धर्मनिरपेक्ष कहलाने वाली सरकारों को धार्मिक संस्थाओं के संबंध में समान व्यवहार करना चाहिए । टी.आर. रमेश जैसी जानकारी रखने वाले और उत्तरदायी कार्यकर्ताओं के कहे अनुसार धर्मनिरपेक्ष कहलानेवाली सरकारों ने मंदिरों समान चर्च और मस्जिदों पर भी नियंत्रण क्यों नहीं रखे ?

उपेक्षित मंदिरों को उनका गौरव पुन: दिलवाने की आवश्यकता !

न्या. स्वामीनाथन ने आगे कहा कि, हमारी संस्कृति में मंदिरों की भूमिका महत्वपूर्ण है; लेकिन वर्तमान स्थिति में उनकी कुछ आवश्यक बातों की ओर दुर्लक्ष किया गया है । इन मंदिरों के पोषण के लिए दी गई भूमि पर व्यक्तिगत स्वार्थ के लिए नियंत्रण किया गया है । देश की प्राचीन मूर्तियों की चोरी कर उनकी विदेशों में तस्करी की गई है । मंदिरों के पुजारियों को ना के बराबर वेतन दिया जाता है । राज्य के सहस्रों मंदिर उपेक्षा की बलि चढे हैं । इन मंदिरों में पूजा भी नहीं होती है । इन मंदिरों को पुन: एक बार उनका गौरव दिलाने की आवश्कता होने के साथ साथ उसके लिए कुछ तो करना आवश्यक है ।