दशम अखिल भारतीय हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन में मंदिर रक्षा के लिए कार्यरत होने का हिन्दुओं से आवाहन !
रामनाथी, १४ जून (वार्ता.) – जिस प्रकार अंगद ने रावण की राजसभा में स्वयं भूमि पर पैर जमाया, उसी प्रकार हिन्दुत्वनिष्ठां को धर्मकार्य करने के लिए पैर जमाकर खडे रहना चाहिए, तभी जाकर हम हिन्दू राष्ट्र की स्थापना में महत्त्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं, ऐसा प्रतिपादन राजस्थान की ‘धरोहर बचाओ समिति’के संरक्षक अधिवक्ता भारत शर्मा ने किया ।
दशम अखिल भारतीय हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन के ‘मंदिर रक्षा के लिए कार्यरत हिन्दुत्वनिष्ठों का अनुभवकथन’ के सत्र में वे ऐसा बोल रे थे । इस अवसर पर व्यासपीठ पर अखिल भारतीय विज्ञान दल के संस्थापक डॉ. मृदुल शुक्ला, बेंगलुरू (कर्नाटक) के ‘शबरीमला अयप्पा सेवा समाजम्’के उपाध्यक्ष श्री. जयराम एन्., कर्नाटक के भाजपा के ‘बिजनेस एंड ट्रेडिंग टुरिस्ट प्रकोष्ठ’के उपनिदेशक दिनेश कुमार जैन और सोलापूर (महाराष्ट्र) के ‘वारकरी संप्रदाय पाईक संघ’ के राष्ट्रीय प्रवक्ता ह.भ.प. रामकृष्ण हनुमंत महाराज वीर उपस्थित थे ।
अधिवक्ता शर्मा ने आगे कहा, ‘‘जयपुर में विकास के नाम पर अनेक मंदिर गिराए गए । कामागढ का प्राचीन शिवमंदिर गिराया गया । स्थानीय हिन्दुओं की सहायता से हमने वहां शिवलिंग की पुनर्स्थापना की । इस मंदिर को गिरानेवाले धर्मांध को उसी दिन गिरफ्तार किया गया । धर्मकार्य के लिए हिन्दू स्वयंप्रेरणा से आगे आए, तो हमें निश्चितरूप से सफलता मिलेगी ।’’
१. धर्मपालन के कृत्य सिखाकर समाज में सनातन धर्म को पुनः स्थापित करेंगे ! – डॉ. मृदुल शुक्ला, संस्थापक, अखिल भारतीय विज्ञान दल
सनातन धर्म वैज्ञानिक कैसा है, यह समाज के सामने लाने के लिए हमने ‘अखिल भारतीय विज्ञान दल’की स्थापना की । इस माध्यम से हमने अनेक लोगों को सनातन धर्म के अध्ययन के लिए प्रवृत्त किया । जन्मदिवस के दिन केक न काटकर औक्षण करना, यज्ञ संस्कृति का पालन करना आदि छोटे-छोटे कृत्यों से हम समाज में सनातन धर्म की पुनः स्थापना करेंगे ।
२. शबरीमला मंदिर की व्यवस्था में अन्य पंथियों द्वारा बडे स्तर पर भ्रष्टाचार ! – जयराम एन्., उपाध्यक्ष, शबरीमला अय्यप्पा सेवा समाजम्, बेंगलुरू (अर्बन), कर्नाटक
केरल की वामपंथी सरकार ने श्री अयप्पा मंदिर में १० से ५० वर्ष आयुसमूह की महिलाओं को प्रवेश न देने की परंपरा नष्ट करने का प्रयास किया । हमने इसके विरोध में आंदोलन किया । केरल के मंदिरों का व्यवस्थापन मुसलमानों और ईसाईयों के हाथ में है । उसके कारण वहां अनेक अनुचित कृत्य होते हैं । मंदिर का प्रसास बनाने के लिए आवश्यक चावल, घी इत्यादि सामग्री अन्य पंथियों से खरीदी जाती है । वे इस माध्यम से ४ से १० करोड रुपए का व्यवसाय करते हैं । हमने इसके विरुद्ध आंदोलन किया । शबरीमला मंदिर में भगवान को अर्पण करने के लिए ‘इरुमुंडी कट्ट’ (विशिष्ट प्रकार की पूजासामग्री) ले जाई जाती है । उसमें आधे से एक किलो चावल होते हैं । इकट्ठा हुई चावल की नीलामी की जाती है । अन्य पंथीय इस चावल को खरीदते हैं और उसके उपरांत ६ रुपए प्रति किलो से वे इस चावल को पुनः सरकार को ही बेचते हैं । सरकार लोगों को जो निःशुल्क चावल का वितरण करती है, उसमें यह चावल मिलाए जाते हैं । इस प्रकार मंदिर के प्रसाद के संदर्भ में अन्य पंथीय बडे स्तर पर भ्रष्टाचार कर रहे हैं ।
३. हिन्दुओं को मंदिरों से ही धर्मशिक्षा दी जाए ! – दिनेश कुमार जैन, उपनिदेशक, भाजपा बिजनेस एन्ड ट्रेडिंग टुरिस्ट प्रकोष्ठ, दक्षिण कन्नड, कर्नाटक
कर्नाटक के माणगेश्वर मंदिर की बाजू में ईसाईयों और मुसलमानों द्वारा निर्माणकार्य किया जा रहा था । यह मंदिर राजा रवी वर्मा के काल से है । इसके विरुद्ध हमने न्यायालय में अभियोग प्रविष्ट किया है । हिन्दू श्रद्धालुओं द्वारा मंदिर को अर्पण किए जानेवाले धन का उपयोग हिन्दुओं को धर्मशिक्षा देने के लिए भी किया जाना चाहिए । प्रत्येक गांव के मंदिरों से इस प्रकार से हिन्दुओं को धर्मशिक्षा देना आवश्यक है ।
४. आंदोलन के कारण पंढरपुर के मंदिर में टोकनपद्धति बंद ! – ह.भ.प. रामकृष्ण हनुमंत महाराज वीर
हमने पंढरपुर के मंदिर में भगवान के दर्शन करने के लिए बनाई गई टोकन पद्धति का विरोध किया । जो अन्य मंदिरों में चलता है, उसे हमने पंढरपुर में चलने नहीं दिया । भगवान के दर्शन करने के लिए १०० से २०० रुपए किसलिए दें ? कानून का उल्लंघन करने के प्रकरण में हमें कानूनी नोटिस भेजा गए । ‘भक्तों के दर्शन के संबंध में टोकन पद्धति चलाने से पंढरपुर में एक वर्ष में १४ करोड रुपए मिलेंगे’, यह मंदिर व्यवस्थापन का हिसाब था; परंतु वैसे हो नहीं सका । मंदिर में अतिमहनीय व्यक्तियों के लिए स्वतंत्र दर्शन की पद्धति भी बंद होनी चाहिए ।
मंदिर सरकार के नियंत्रण में जाने के लिए हिन्दू ही उत्तरदायी हैं । मंदिर के पुजारी सरकारी हैं । उन्हें संबंधित देवताओं के मंत्रों का उच्चारण करना नहीं आता । पंढरपुर के मंदिर में चल रहे भ्रष्टाचार के विषय में हमने सडकों पर फलक लगाकर आवाज उठाई, तब संबंधित अधिकारियों ने हमें इन फलकों को हटाने का अनुरोध किया । हमने फलक तो हटाए; परंतु तबतक फेसबुक और वॉट्स एप के माध्यम से यह समाचार सर्वत्र प्रसारित हो चुका था । हम इसके द्वारा भी जनजागरण कर सकते हैं ।
हिन्दुत्वनिष्ठ संघटनों को पंढरपुर के मंदिर को सरकार के नियंत्रण से मुक्त करने के लिए प्रधानता लेनी चाहिए ! – ह.भ.प. रामकृष्ण
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