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तमिल नाडु सरकार का हिन्दू विरोधी निर्णय !
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स्थानीय लोगों का प्रचंड विरोध !
विदित है, कि तमिल नाडु में हिन्दूद्वेषी द्रविड मुनेत्र कळघम (द्रविड़ प्रगति संघ) पार्टी की सरकार है, वहां ऐसी घटनाएं होने पर कोई आश्चर्य नहीं ? ध्यान दें, कि ऐसी सरकार कभी भी गिरजाघरों और मस्जिदों का सरकारीकरण करने का साहस नहीं करती ! – संपादक
चेन्नई (तमिल नाडु) – तमिलनाडु सरकार के धर्मादाय विभाग ने चेन्नई के पश्चिम माम्बलम स्थित “अयोध्या मंडपम” को अपने नियंत्रण में ले लिया है । इस ६४ वर्ष पुरातन मंदिर को ‘अयोध्या अश्वमेध महा मंडपम’ के नाम से भी जाना जाता है । स्थानीय लोगों ने मंदिर को सरकार द्वारा अपने नियंत्रण में लेने का प्रचंड विरोध किया । इसके लिए उन्होंने आंदोलन भी किया । कुछ राजनीतिक दलों ने भी नागरिक आंदोलन का समर्थन किया । इस समय, पुलिस ने कुछ लोगों को बंदी भी बनाया । स्थानीय भाजपा पार्षद उषा आनंदन भी आंदोलन में सम्मिलित हुईं । ‘अयोध्या मंडपम’ का दायित्व ‘श्रीराम समाज’ के हाथों में था ।
'Ayodhya Mandapam' row … State takes over control
CM cites 'mismanagement'. 'Not a temple, can't usurp', BJP protests 'illegal move'.
‘Overreach’ by state sarkar?#IndiaUpfront with @RShivshankar pic.twitter.com/4FxzA4zxzF
— TIMES NOW (@TimesNow) April 13, 2022
१. स्थानीय लोगों के अनुसार, इस हिन्दू धार्मिक स्थल का निर्माण अर्पण द्वारा किया गया है । यहां प्रतिदिन धार्मिक समारोह आयोजित किए जाते हैं, किंन्तु यहां कोई मंदिर नहीं है । लोगों का आरोप है कि, चूंकि इस संस्थान को बडे प्रमाण में श्रद्धालुओं द्वारा अर्पण दिया जाता है, इसलिए इसका सरकारीकरण किया गया ।
२. तमिलनाडु सरकार का कहना है कि, चूंकि यहां अर्पण बडे प्रमाण में किया जाता है, अत: यह मंदिर है । ‘श्रीराम समाज’ का कहना है कि, यहां केवल देवताओं की चित्रों की पूजा की जाती है । यहां कोई मूर्ति नहीं है ।
३. धर्मादाय विभाग ने कहा कि, धर्मस्थल के प्रबंधन के विरोध में शिकायतें आयीं थीं, इसलिए इसका सरकारीकरण कर दिया गया । (वक्फ बोर्डों में बहुत घपला होता है, किंन्तु सरकार उसे अपने नियंत्रण में क्यों नहीं लेती ? – संपादक)