दशम अखिल भारतीय हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन में की गई आग्रहपूर्ण मांग
रामनाथी, १३ जून (संवाददाता) – महाराष्ट्र की अनेक संस्थाओं को श्री सिद्धिविनायक मंदिर की ओर से लाखों रुपए मिलते हैं । इसमें सभी राजनीतिक दलों के नेताओं का समावेश है । इन राजनेताओं ने मंदिरों का पैसा क्यों लिया और वे उसे कब वापस देनेवाले हैं ?, इस विषय में उन्हें पूछना आवश्यक है । सामाजिक कार्याें के लिए मंदिरों से लिए गए पैसे वापस मिलने के लिए स्थानीय स्तर पर दबाव बनाने का अब समय आ चुका है’’, ऐसा स्पष्टतापूर्ण प्रतिपादन मुंबई के निरायम चिकित्सालय के निदेशक डॉ. अमित थडाणी ने किया । अखिल भारतीय हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन के दूसरे दिन ‘श्री सिद्धिविनायक मंदिर का आर्थिक घोटाला’ इस विषय पर वे ऐसा बोल रहे थे । इस अवसर पर व्यासपीठ पर बेंगलुरू (कर्नाटक) के युवा ब्रिगेड के संस्थापक श्री. चक्रवर्ती सुलीबेले और भुवनेश्वर (ओडिशा) के भारत रक्षा मंच के राष्ट्रीय महामंत्री श्री. अनिल धीर उपस्थित थे । उपस्थित हिन्दुत्वनिष्ठों ने उत्स्फूर्तता से नारे लगाकर डॉ. थडानी के इस आवाहन का प्रत्युत्तर किया ।
डॉ. अमित थडाणी ने आगे कहा कि,
१. मुंबई येथील श्री सिद्धिविनायक मंदिर के न्यासियों में आपसी मतभेद हैं; उसके कारण ये लोग मंदिर चलाने में असमर्थ हैं ।
२. कानून के अनुसार मंदिर का प्रत्येक न्यासी हिन्दू होना चाहिए; परंतु ऐसा यहां दिखाई नहीं देता । मंदिर के कर्मचारियों को वेतन मिलता है । यहां का प्रत्येक न्यासी राजनेता है ।
३. मंदिर के धन का उपयोग मंदिर के विकास, पूजा-अर्चना, भूमि और संपत्ति की खरीद के लिए करना आवश्यक है; परंतु वास्तव में यहां ऐसा नहीं होता । मंदिर का पैसा विद्यालय, चिकित्सालय चलाने के लिए और धर्मादाय संस्थाओं को दिया जाता है । मिरज के कैन्सर चिकित्सालय को इसी मंदिर से पैसा दिया जाता है । इस मंदिर के कामकाज में प्रत्येक स्तर पर अनियमितताएं हैं ।
४. महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस द्वारा महाराष्ट्र में चलाए गए ‘जलयुक्तशिवार योजना’ के लिए श्री सिद्धिविनायक मंदिर ने ११० करोड रूपए पारित किए । इस प्रकार ‘इस मंदिर के पैसों का उपयोग कहां करना है’, यह सरकार सुनिश्चित कर रही है ।
५. हमने सूचना के अधिकार के अंतर्गत श्री सिद्धिविनायक मंदिर के आर्थिक लेनदेन की जानकारी लेकर हमने वहां का भ्रष्टाचार उजागर किया है । जो भ्रष्टाचार करते हैं, उनके पास करोडों की संपत्ति होते हुए भी वे संतुष्ट नहीं हैं ।
६. मंदिर का पैसा मुसलमानों को दिया जाता है । जिनकी श्रद्धा नहीं है, उन्हें मंदिर का पैसा क्यों दिया जाता है ? जिन्हें गणेशजी के प्रति श्रद्धा है, उन्हीं को पैसा दिया जाना चाहिए ।
७. इस मंदिर में ५०० रुपए शुल्क वसूलकर दर्शन कराए जाते हैं । दुकान के बाहर दलाल खडा होता है, वह ३०० से ५०० रुपए लेकर भगवान के दर्शन करा देता है । उसके कारण अनेक भक्तों को दर्शन नहीं होते । यह बात मंदिर के सभी को ज्ञात है । मंदिर का सुरक्षाकर्मी श्रद्धालुओं को बताता है, ‘‘आप दुकान के सामने खडे दलाल के पास जाईए । वह आपको दर्शन कराएगा ।’’ मैने यह सब सामाजिक माध्यमों पर प्रसारित किया ।