(कहते हैं) ‘मंदिर यह सरकार की संपत्ति है !’

कर्नाटक के मंदिरों को सरकारीकरण से मुक्त करने के लिए काँग्रेस का विरोध !

  • राज्य के चर्च और मस्जिदें सरकार की संपत्ति नहीं है क्या ? केवल हिन्दुओं के मंदिरों को सरकार की संपत्ति कहने वाले मुगलों के वंशज काँग्रेसियों को ध्यान में रखें और चुनाव के समय सबक सिखाएं ! – संपादक

  • ‘मंदिरों की संपत्ति राजकोष में जमा करने से राजकोष का नाश होता है’, ऐसा हिन्दू धर्मशास्त्र में कहा गया है । काँग्रेस के देश पर और अनेक राज्यों में सर्वाधिक समय राज्य करने से भारत पर अरबों रुपयों का कर्ज हुआ है, यह ध्यान दें ! – संपादक

  • भ्रष्टाचारी राजनेता स्वयं की संपत्ति प्रतिदिन बढाते रहते हैं और मंदिरों की संपत्ति सरकार जमा कर उसको लूटती है ! – संपादक
काँग्रेस के कर्नाटक प्रदेश अध्यक्ष डी.के. शिवकुमार

बंगलुरू (कर्नाटक) – कर्नाटक की भाजपा सरकार ने राज्य के मंदिरों को सरकारीकरण से मुक्त करने की घोषणा करने के बाद काँग्रेस ने इसका विरोध किया है । काँग्रेस के कर्नाटक प्रदेश अध्यक्ष डी.के. शिवकुमार ने कहा है, ‘सरकार एक ऐतिहासिक गलती कर रही है । (मंदिरों का सरकारीकरण करना यही सभी पार्टियों की अभी तक की हुई ऐतिहासिक गलती है । यह गलती राज्य की भाजपा सरकार सुधार रही होगी, तो यह योग्य है – संपादक) काँग्रेस ऐसी गलती नहीं होने देगी । धर्मादाय विभाग अथवा सरकार यह मंदिर प्रशासन के लिए स्थानीय लोगों को कैसे दे सकते हैं , यह सरकार की संपत्ति है । करोडों रुपए इन मंदिरों ने जमा किए हैं । (ये करोडों रुपए हिन्दू भक्तों ने देवता को अर्पण किए हुए हैं, सरकार को नहीं, यह प्रत्येक राजनीतिक पार्टी को और नेताओं को हमेशा के लिए ध्यान में रखना चाहिए ! यह पैसा हिन्दू धर्म के लिए ही खर्च किया जाना चाहिए ! सरकार को जनता से लिए कर द्वारा विकास के काम करने चाहिए । इसके लिए मंदिरों के पैसोें की ओर उन्हें नहीं देखना चाहिए ! – संपादक) अन्य राज्यों को देखकर वे (भाजपा सरकार) कोई राजकीय भूमिका लेने का प्रयास कर रही है ? ४ जनवरी को हम सभी वरिष्ठ काँग्रेसी नेताओं की बैठक कर रहे हैं । इसमें हम इस पर चर्चा करेंगे और उनकी भूमिका रखेंगे ।’ (काँग्रेसवालों को इस बैठक में चर्च और मस्जिदों की संपत्ति के विषय में चर्चा कर हिन्दुओं को बताना चाहिए ! – संपादक)

१. कर्नाटक राज्य में कुल ३४ सहस्र ५६३ मंदिर धर्मादाय विभाग के अंतर्गत आते हैं । इन मंदिरों को उनके राजस्व के आधार पर श्रेणी ‘ए’, ‘बी’, ‘सी’, ऐसे वर्गीकृत किया गया है । (मस्जिद और चर्च का ऐसा वर्गीकरण करने की सद्बुद्धि धर्मादाय विभाग को क्यों नहीं हुई ? – संपादक)

२. २५ लाख से अधिक वार्षिक आय वाले कुल २०७ मंदिर ‘अ’ श्रेणी में आते हैं, ५ लाख से २५ लाख रुपए तक में १३९ मंदिर ‘ब’ श्रेणी में आते हैं और ५ लाख रुपए से कम वार्षिक राजस्व वाले ३४ सहस्र २१७ मंदिर ‘सी’ श्रेणी में आते हैं ।