पित्तदोष शमन के लिए गणपतिपूजन
सनातन हिन्दू धर्मानुसार मनाए जानेवाले त्योहार, उत्सव आदि का केवल आध्यात्मिक महत्त्व है, ऐसा नहीं है; अपितु ऋतुचक्र का विचार कर उससे शारीरिक तथा मानसिक स्तर पर भी लाभ हो सकता है ।
सनातन हिन्दू धर्मानुसार मनाए जानेवाले त्योहार, उत्सव आदि का केवल आध्यात्मिक महत्त्व है, ऐसा नहीं है; अपितु ऋतुचक्र का विचार कर उससे शारीरिक तथा मानसिक स्तर पर भी लाभ हो सकता है ।
गणपति विघ्नहर्ता हैं, इसलिए नाटिका से लेकर विवाह तक एवं गृहप्रवेश जैसी समस्त विधियों के प्रारंभ में श्री गणेशपूजन किया जाता है ।
श्री विघ्नेश्वर, श्री गिरिजात्मज एवं श्री वरदविनायक की मूर्तियां स्वयंभू हैं । बनाई गईं श्री गणेशमूर्ति की तुलना में स्वयंभू गणेशमूर्ति में चैतन्य अधिक होता है ।
अष्टविनायकों में से एक है मोरगांव के गणपति जिसे श्री मयुरेश्वर भी कहते हैं । महान गणेशभक्त मोरया गोसावी ने यहां पूजापाठ का व्रत लिया था । श्री मयुरेश्वर गणेश का, यह स्वयंभू और आदिस्थान है ।
‘गणपति से विवाह करने की कामना से एक अप्सरा ने ध्यानमग्न गणपति का ध्यानभंग किया । जब गणपति विवाह के लिए तैयार नहीं हुए, तब अप्सरा ने गणपति को श्राप दिया । इससे गणपति के मस्तक में दाह होने लगा, जिसे न्यून (कम) करनेके लिए गणपति ने मस्तकपर दूब धारण की; इसलिए श्री गणपति को दूब चढाते हैं ।’
देवताओं से प्रक्षेपित स्पंदन मुख्यतः निर्गुण तत्त्वसे संबंधित होते हैं । देवताओं को अर्पित पुष्प तत्त्व ग्रहण कर पूजक को प्रदान करते हैं, जिससे पुष्पमें आकर्षित स्पंदन भी पूजक को मिलते हैं ।
अध्यात्मशास्त्रानुसार गणेश चतुर्थी के काल में की गई शास्त्रोक्त पूजा विधियों के कारण मूर्ति में श्री गणपति का चैतन्य अधिक मात्रा में आकर्षित होता है ।
हिंदूओं में धर्मनिष्ठा एवं राष्ट्रनिष्ठा बढे, उन्हें संगठित करनेमें सहायता हो, लोकमान्य तिलकने इस उदात्त हेतु सार्वजनिक गणेशोत्सव आरंभ किया; परंतु आजकल सार्वजनिक गणेशोत्सवोंमें होनेवाले अनाचार एवं अनुशासनहीनता के कारण उत्सवका मूल उद्देश्य विफल होनेके साथ उसकी पवित्रता भी नष्ट होती जा रही है ।
नित्य उपासना में भाव अथवा सगुण तत्वकी, तथापि गणेशाेत्सव में आनंद अथवा निर्गुण तत्त्व की रंगोलियां बनाएं ।
श्री गणेशजी की उपासना में नित्यपूजा, अभिषेक, संबंधित व्रत एवं उपवास, अथर्वशीर्ष पाठ, संबंधित विविध श्लोक एवं मंत्रोंका विशिष्ट संख्या में पाठ, नामजप जैसे विविध कृत्यों का अंतर्भाव होता है ।