Ganapati : भग‍वान श्री गणेश मूर्ति की स्थापना विधि !

मूर्ति घर पर लाने के उपरांत उनकी स्थापना के लिए एक सुंदर चौकी लें । उस पर चावल (अक्षत) का छोटा सा पुंज बनाएं अथवा थोडे से चावल रखें । उसके उपरांत उनपर मूर्ति की स्थापना करें । (Ganeshotsav, Ganesh Chaturthi, Ganapati)

चावल (अक्षत) पर मूर्ति रखने से क्या लाभ होता है ?

मूर्ति में गणपति का आवाहन किया जाता है । उसके उपरांत उसकी विधिवत पूजा की जाती है । ऐसा करने से मूर्ति में उर्जा निर्माण होती है, जिससे मूर्ति के नीचे रखे चावल संचारित होते हैं । दो तंबूरों के दो तार समान कंपनसंख्या के हों, तो एक तार से नाद उत्पन्न करने पर वैसा ही नाद दूसरी तार से भी उत्पन्न होता है । उसी प्रकार मूर्ति के नीचे रखे चावलों में ऊर्जा निर्माण होने से घर में रखे चावलों के भंडार में भी ऊर्जा का संचार हो जाता है । इस प्रकार ऊर्जा से संचारित चावल वर्षभर प्रसाद के रूप में ग्रहण करने चाहिए ।

घर में श्री गणेशजी के आगमन के उपरांत श्री गणेश तत्त्व का अधिकाधिक लाभ उठाने के लिए तथा उनकी कृपा संपादन करने के लिए, दिनभर श्री गणेशजी का अधिकाधिक स्मरण करें तथा उनका नामजप करें । उन्हें अपने मनोभाव बताएं । ‘श्री गणेशजी ने घर पर पधार कर हमपर बहुत बडी कृपा की है’, यह कृतज्ञ भाव मन में रखते हुए उनसे बात करें । उनकी मानस पूजा करें । भजनों द्वारा उनका गुणगान करें तथा उनसे शरणागत भाव से प्रार्थना करें । भजन तथा आरती सुर में तथा अतार्तता से गाएं ।

शास्त्रों में बताई विधि

शास्त्रों के अनुसार भाद्रपद शुक्ल पक्ष चतुर्थी के दिन मिट्टी के गणपति बनाए जाते हैं । उसे बाएं हाथ पर धारण कर वहीं उनकी ‘सिद्धिविनायक’ के नाम से प्राणप्रतिष्ठा की जाती है एवं पूजा कर तुरंत ही उनका विसर्जन किया जाता है । यह शास्त्रोचित विधि है ।