देवता पूजन में पुष्प अवश्य अर्पण किए जाते हैं । प्रत्येक देवता को विशेष पुष्प अर्पण किया जाता है । उदाहरणस्वरूप शिवजी पर सफेद पुष्प, देवी को मोगरा, गणपतिजी को गुडहल का लाल पुष्प । कौन सा पुष्प किस देवता का तत्त्व आकर्षित करता है यह शास्त्रों द्वारा निर्धारित है, उदा. गुडहल – गणेशतत्त्व, मदारके पत्र एवं पुष्प – हनुमानतत्त्व आदि ।
श्री गणेश पूजन में गुडहल का लाल रंग का पुष्प क्यों अर्पित किया जाता है ?
श्री गणपति की पूजा में लाल रंग की वस्तुएं चढाई जाती हैं । हमने ऐसा प्राय: कहते हुए सुना है कि गणपति को लाल पुष्प, लाल वस्त्र एवं रक्तचंदन प्रिय हैं । परंतु इसके पीछे का शास्त्र क्या है वह हम जानकर लेंगे ।
श्री गणेश लाल वर्ण के हैं; अत: उनकी पूजा में लाल वस्त्र, लाल फूल एवं रक्तचंदन का प्रयोग किया जाता है । इस लाल रंग के कारण वातावरण से गणपति के पवित्रक मूर्ति में अधिक मात्रा में आकर्षित होते हैं इससे मूर्ति जागृत होती है ।
लाल रंग के गुडहल के पुष्प के रंगकणों एवं गंधकणों के कारण ब्रह्मांड से गणेशतत्त्व उसकी ओर आकर्षित होते हैं ।
देवताओं को पुष्प अर्पण क्यों करते हैं ? : जो फूल देवता को अर्पण किया जाता है वह फूल देवता का तत्त्व ग्रहण करता है और पूजा करनेवाले व्यक्ति तक पहुंचाता है । देवताओं से निर्गुण तत्त्व के स्पंदन प्रक्षेपित होते हैं । |
पुष्प चढाते समय ध्यान दें कि डंठल देवता की ओर तथा उसका मुख पूजक की ओर हो । इस प्रकार जब गुडहल का भी पुष्प अर्पित किया जाता है तब उसके डंठल में गणेशतत्त्व आकर्षित होता है । पुष्प की पंखुडियों के मध्यभाग में वह सक्रिय होता है तथा पंखुडियों के माध्यमसे वातावरण में प्रक्षेपित होकर पूजक को मिलता है ।
पुष्प से निर्माल्य तक की परिवर्तन-प्रक्रिया
देवता पर फूल चढाने के २४ घंटे के पश्चात पुष्प की देवताओं के स्पंदन आकर्षित करने एवं प्रक्षेपित करनेकी क्षमता धीरे-धीरे घटने लगती है एवं वह निर्माल्य बनकर देवता के चरणों में विलीन होता है ।