Mumbai HC On POP IDOLS : सार्वजनिक गणेशोत्सव मंडलों में पीओपी गणेश प्रतिमाएं स्थापित न करने की पाबंदी जोडें !

मुंबई उच्च न्यायालय का नगर निगमों को निर्देश !

(पीओपी का मतलब प्लास्टर ऑफ पेरिस है)

मुंबई – सार्वजनिक गणेशोत्सव मंडलों पर पिओपी गणेश प्रतिमाएं स्थापित करने पर पाबंदी लगा दी है। इस प्रकार का दंड का प्रावधान करने की आवश्यकता है कि मूर्ति बनाने वालों एवं पीओपी द्वारा बनाई गई मूर्तियों का उपयोग करने वालों पर दंड लगाया जाए। ऐसा करने से अगली बार से पीओपी की मूर्तियां नहीं बनेंगी। इसलिए मुंबई उच्च न्यायालय ने मुंबई समेत राज्य की सभी नगर पालिकाओं को निर्देश दिया है कि राज्य सरकार इस विषय में रणनीतिक बनाकर निर्णय ले । पीओपी गणेश प्रतिमाओं पर प्रतिबंध के प्रकरण पर उच्च न्यायालय में पुनः सुनवाई हुई। मुख्य न्यायाधीश देवेन्द्र उपाध्याय एवं न्यायमूर्ति अमित बोरकर की पीठ के समक्ष सुनवाई हुई। अगली सुनवाई २१ अक्टूबर को होगी ।अदालत ने सरकार से सीपीसीबी (केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड) के अन्य दिशानिर्देशों के कड़ाई से अनुपालन के लिए उचित आदेश देने को भी कहा।

प्रदेश की सभी नगर पालिकाओं को उत्तर देने के निर्देश !

पीठ ने आगे कहा, ‘हम सार्वजनिक गणेशोत्सव मंडलों के लिए आदेश जारी कर रहे है । राज्य के सभी नगर निगमों को इस संबंध में शपथ पत्र प्रविष्ट करना होगा ! राज्य सरकार एवं नगर पालिका के प्रतिज्ञापत्र पर उत्तर मिलने के बाद हम इस विषय का विश्लेषण करेंगे एवं कार्यवाही के लिए उचित आदेश जारी करेंगे । नागपुर बेंच ने २८ अगस्त को इस विषय पर कुछ निर्देश भी दिए है ।

२६ अप्रैल २०२४ को राज्य के सभी जिलाधिकारियों, नगर पालिकाओं के आयुक्तों, नगर पालिकाओं के मुख्य अधिकारियों को केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के दिशानिर्देशों का कठोरता से पालन करने का निर्देश दिया गया है।

१२ मई २०२० को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार पीओपी को संपूर्ण देशभर में बैन कर दिया गया था । इससे पहले, पीओपी मूर्ति निर्माताओं एवं हरित मध्यस्थों ने ‘पीओपी प्रतिबंध’ को उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी। यह घोषणा की गई कि पीओपी पर प्रतिबंध वर्ष २०२१ से लागू होगा; लेकिन आज तक यह प्रतिबंध प्रभावी ढंग से लागू नहीं हो सका है। हाल ही में नागपुर में ७ मूर्ति निर्माताओं पर १० सहस्त्र रुपये का अर्थ दंड लगाया गया है ।