क्या हम तृतीय विश्वयुद्ध की ओर बढ रहे हैं ?

विश्वयुद्ध (प्रातिनिधिक छायाचित्र)

पिछले कुछ महीनों में, किम जोंग उन और बाद में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने गंभीर परिणामों और तीसरे विश्वयुद्ध की संभावना की चेतावनी दी थी । विश्व के अनेक क्षेत्रों में युद्ध चल रहे हैं । रूस-यूक्रेन, अजरबैजान-आर्मेनिया युद्ध और अब इजरायल-हमास युद्ध । यदि किसी भी संघर्ष में सम्मिलित देश संयम नहीं बरतते हैं, तो केवल एक गलती से संपूर्ण विश्व, तृतीय विश्वयुद्ध की आग से झुलसने लगेगा ।

विभिन्न वैश्विक स्थितियों को देखते हुए, युद्ध और युद्ध जैसी स्थिति में कमी होगी, इसकी संभावना कम है । धीरे-धीरे स्थितियां खराब हो सकती हैं, जिससे युद्धग्रस्त देशों में गृह युद्ध हो सकता है । यहां वर्तमान इजरायल-हमास संघर्ष पर एक संक्षिप्त दृष्टि डाली गई है, जो धीरे-धीरे पूरे विश्व को अपनी चपेट में ले रहा है ।

इजरायली नागरिकों पर हमास के आक्रमण और बर्बरता

७ अक्टूबर को कुछ ही घंटों में हमास के आतंकियों ने इजरायल के कुछ हिस्से पर कब्जा कर लिया । गाजा पट्टी के साथ लगभग २० छोटे इलाकों में, उन्होंने निर्दोष नागरिकों का केवल एक ही उद्देश्य के साथ पीछा किया, मार डालो, जितना संभव हो, उतने लोगों को मार डालो ।

हमास द्वारा उपयोग की जानेवाली उत्तर कोरियाई मिसाइलों का समावेश

सामूहिक आतंकवाद के अंतर्गत, हमास ने अंधाधुंध हत्याओं और बंधक बनाने के साथ निर्दोष नागरिकों के विरुद्ध विलक्षण हिंसा की, जो मानवता विरोधी अपराध है ।

यू.एस.ए.एफ. के मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) लैरी स्टुट्जरीम ने कहा, उत्तर कोरिया लंबे समय से अपने अवैध हथियारों की बिक्री कर रहा है । गुप्तचर दशकों से, 1990 के दशक की शुरुआत से ही, इस पर आंखें गडाए बैठे हैं । वहां के शासन ने बडे पैमाने पर उन देशों को हथियार बेचकर आय की है, जो लगभग पूरी तरह से लोकतंत्र विरोधी हैं ।

युद्ध को मुस्लिम देशों का समर्थन

वास्तव में ईरान के अलावा जिन दो देशों ने हमास को सबसे अधिक सामग्री सहायता की है, वे हैं तुर्की और कतर । ये हमास नेताओं का समर्थन करते हैं और हमास की सैन्य शाखा सहित आतंकवादी समूह के परिचालन मुख्यालयों के गढ हैं ।

पिछले कुछ वर्षों में, अरब और मुस्लिम देशों ने इजरायल के साथ संबंधों को सामान्य बनाने से इनकार किया । इसका एक कारण रहा है ‘फिलिस्तीनियों के साथ सहानुभूति ।’ इनमें से कई देशों ने गाजा में फिलिस्तीनियों की नियमित रूप से वित्तीय सहायता की है । यह सुनिश्चित नहीं कि यह सहायता हमास सैन्य विंग के बजाय नागरिकों तक पहुंची है । अब शहर में संभावित इजरायली जमीनी अभियान से पहले, गाजा शरणार्थियों की स्थिति संकट के उच्चतम बिंदु तक जा पहुंची है । इस स्थिति में ये देश गाजा के नागरिकों को शरण देने के बारे में चुप हैं ।

जॉर्डन और मिस्र ने गाजा के किसी भी शरणार्थी को स्वीकार करने से मना कर दिया है । इनको छोडकर, खाडी क्षेत्र के अन्य मुस्लिम और अरब देश शरणार्थियों को लेने के विषय में कुछ भी कहने से बचे हैं ।

विश्व को आत्म-विनाश से बचाने का एकमात्र साधन

यद्यपि ऐसे मानवीय कार्यों का प्रभाव स्पष्ट रूप से दिखाई नहीं देता, तथापि आध्यात्मिक रूप से वे रज-तम बढाते हैं, जिससे सत्त्वगुण घट जाता है । रज-तम को घटाने और सत्त्वगुण को बढाने की एकमात्र पद्धति है, साधना करना । अब समय आ गया है कि हम साधना आरंभ करें और पहले अपने भीतर, उसके बाद समाज, फिर राष्ट्र और अंत में विश्व में ‘हिन्दू राष्ट्र्र’ की स्थापना करने का प्रयास करें ।