नूंह हिंसा में कांग्रेस का हाथ ! – अनिल विज, गृहमंत्री, हरियाणा

भारत के विभाजन से ही यह पाया गया है कि देश में हुए दंगों में प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से कांग्रेस ही उत्तरदायी है । ऐसी कांग्रेस को हिन्दुओं ने राजनीतिक सबक सिखाया है; परंतु वह अभी भी नींद से नहीं जागी है । कांग्रेस का राजनीतिक विनाश मुसलमानों के कारण ही हो जाए, तो आश्चर्य न होगा !

माथे पर तिलक लगाने, कलाई पर लाल धागा बांधने आदि से विद्यार्थियों को नहीं रोका जाएगा ! – मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की स्पष्टोक्ति 

इस समय न्यायालय ने असफा शेख, अनस अतहर और रुस्तम अली, इन विद्यालय व्यवस्थापकों को ५० रुपए के व्यक्तिगत प्रतिज्ञापत्र पर सशर्त जमानत दी ।

‘जी-२०’ सम्मेलन की पृष्ठभूमि में देहली में साौंदर्यीकरण के समय हुआ शिवलिंगों का अपमान !

संबंधित लोगों ने अन्य धर्मावलंबियों के धार्मिक श्रद्धास्रोतों का अपमान करने का साहस नहीं किया; क्योंकि वे जानते हैं कि उसके परिणाम कितने भयंकर हो सकते हैं ।

‘लिव इन रिलेशनशिप’ द्वारा भारत की विवाह संस्था परंपरा को वैधानिक रूप से ध्वस्त करने का प्रयास ! – इलाहाबाद उच्च न्यायालय

उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति सिद्धार्थ ने कहा कि इस देश में ‘लिव इन रिलेशनशिप’ विवाह संस्था कालबाह्य होने के उपरांत ही सामान्य मानी जाएगी । ऐसा अनेक विकसित देशों में हुआ है ।

‘चंद्रयान-३’ जहां उतरा, उस स्थान का नामकरण ‘शिवशक्ति’ !

अंतरिक्ष अभियान के अंतर्गत  प्रत्यक्ष उतरने के स्थान को (‘टच डाउन पांईंट’ को) नाम देने की वैज्ञानिक परंपरा है । यही ध्यान में रखते हुए भारत ने ‘विक्रम लैंडर’ उतरने के स्थान का नाम ‘शिवशक्ति’ रखा है ।

इसरो की सफलता का श्रेय !

इसरो की सफलता का श्रेय हथियाने पर तुली कांग्रेस ने अपने शासनकाल में वैज्ञानिक को कारागृह में भेजकर देश की हानि की !

वर्तमान शिक्षा एवं आध्यात्मिक शिक्षा में अंतर !

‘शिक्षक द्वारा मानचित्र में दिखाए अमेरिका को सत्य मानकर अध्ययन करनेवाले; परंतु संतों द्वारा बताए गए देवता के चित्र पर श्रद्धा रखकर अध्यात्म का अध्ययन न करनेवाले बुद्धिप्रमाणवादी नहीं, अपितु अध्यात्म विरोधी हैं, ऐसा कह सकते हैं । इससे संबंधित एक विवरणात्मक लेख प्रस्तुत है ।

कांग्रेस की इंदिरा गांधी ने मिजोरम पर बम क्यों बरसाए ?

कांग्रेस के शासनकाल में एक से बढकर एक, ऐसी अनेक काली करतूतें हुई हैं । उन्हें बाहर निकालना आवश्यक है ।

श्री गणेश चतुर्थी का महत्त्व

श्री गणेश चतुर्थी पर तथा गणेशोत्सव काल में नित्य की तुलना में पृथ्वी पर गणेशतत्त्व १,००० गुना कार्यरत रहता है । इस अवधि में श्री गणेश का नामजप, प्रार्थना एवं अन्य उपासना करने से गणेशतत्त्व का लाभ अधिकाधिक मिलता है ।