हिन्दू राष्ट्र-स्थापना के कार्य में समाजमानस बनानेवाला ‘सनातन प्रभात’ !

१४ जनवरी (पौष शु. ३/४) को ‘हिन्दी पाक्षिक सनातन प्रभात’ २४ वें वर्ष में पदार्पण कर रहा है । यह एक ध्येयनिष्ठ पत्रकारिता की वर्षगांठ है ।

‘सनातन प्रभात’ तथा उसके पाठकों का नाता केवल ‘समाचारपत्र एवं पाठक’ इतनी संकीर्ण संकल्पना में कभी भी बद्ध नहीं था । उससे भी परे जाकर वह पारिवारिक नाता है । ‘सनातन प्रभात’ के पाठक, वितरक, शुभचिंतक, विज्ञापनदाता, हिन्दुत्वनिष्ठ आदि सभी सनातन परिवार के एक अविभाज्य अंग ही हैं ! इस अंक के उपलक्ष्य में होनेवाला विचारों का आदान-प्रदान तो हमारे लिए संपूर्ण वर्ष के ज्ञान का संग्रह है ।

१. आरंभ से हिन्दू राष्ट्र के प्रति वैचारिक प्रतिबद्धता !

आज यत्र-तत्र-सर्वत्र हिन्दू राष्ट्र की चर्चा चल रही है । केवल भारत में ही नहीं, अपितु वैश्विक स्तर पर भी हिन्दू राष्ट्र का संज्ञान लिया जा रहा है । आज से २४ वर्ष पूर्व ‘हिन्दू राष्ट्र’ का मात्र उच्चारण करना भी अघोषित अपराध तथा मानो सामाजिक कलंक था । ऐसे काल में ‘ईश्वरीय राज्य’, ‘हिन्दू राष्ट्र’ जैसे शब्द समाज में वास्तव में यदि किसी ने प्रचलित किए हैं, तो वह है ‘सनातन प्रभात’ ! इसका एकमात्र कारण हैं, उच्च आध्यात्मिक स्तर प्राप्त सनातन प्रभात नियतकालिक समूह के संस्थापक-संपादक सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी ! समय की पदचाप को पहचानने की दूरदृष्टि रखकर तथा प्रचंड विरोध सहकर सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी ने ‘सनातन प्रभात’ के माध्यम से हिन्दू राष्ट्र के विचार समाज तक अविरत पहुंचाए । ‘सनातन प्रभात’ ने आरंभ से ही हिन्दू राष्ट्र के प्रति वैचारिक प्रतिबद्धता रखी । ‘सनातन प्रभात’ का घोषवाक्य ही है – ‘हिन्दू राष्ट्र के लिए प्रतिबद्ध पाक्षिक सनातन प्रभात !’ इससे यह आपके ध्यान में आएगा कि ‘सनातन प्रभात’ हिन्दू राष्ट्र के लिए सदैव प्रतिबद्ध है । हम सभी हिन्दू राष्ट्र के समर्थक ही हैं ! इसलिए ‘ज्योतसे ज्योत जगाते चलो’ के अनुसार हमें हिन्दू राष्ट्र की इस ज्योति का रूपांतरण मशाल में करना है !

श्री. अरविंद पानसरे

२. हिन्दू राष्ट्र की आध्यात्मिक संकल्पना

हिन्दू राष्ट्र की संकल्पना केवल राजनीतिक नहीं है, अपितु वह आध्यात्मिक है, यह हमें ध्यान रखना होगा । हमारे यहां हिन्दू राष्ट्र की संकल्पना कोई नई नहीं है । भारत स्वयंभू हिन्दू राष्ट्र ही है । प्रभु श्रीराम का रामराज्य, भगवान श्रीकृष्ण द्वारा की गई धर्मसंस्थापना, आद्य शंकराचार्यजी द्वारा किया गया हिन्दू धर्म का पुनरुत्थान, छत्रपति शिवाजी महाराज द्वारा स्थापित हिन्दवी स्वराज्य’; ये आज की भाषा में ‘हिन्दू राष्ट्र’ के उदाहरण हैं । इन सभी धर्माधिष्ठित राजसत्ताओं का अवलोकन किया जाए, तो ‘उनकी नींव ब्राह्म एवं क्षात्र धर्म ही थी’, यह ध्यान में आएगा । ‘सनातन प्रभात’ इसी पथ पर अग्रसर है ।

‘केवल समाचार नहीं, अपितु दृष्टिकोण’ (Not only news, but views), देना ‘सनातन प्रभात’ की प्रमुख विशेषता है । समाचार देनेवाले अनेक समाचारपत्र हैं; परंतु ‘इन समाचारों से पाठकों को क्या बोध लेना चाहिए ?’, इसका मार्गदर्शन ‘सनातन प्रभात’ में किया जाता है । समस्या का केवल ऊपरी समाधान करने की अपेक्षा उसकी जड तक जाकर उसका समूल निर्मूलन किया जाना चाहिए, यह हम बताते हैं । केवल ‘पाठकसंख्या साध्य करना’ ‘सनातन प्रभात’ का उद्देश्य नहीं है, अपितु ‘क्रियाशीलता’ हमारा मापदंड है । इसका उदाहरण है ‘सनातन प्रभात’ के अनेक पाठकों, विज्ञापनदाताओं एवं शुभचिंतकों द्वारा हिन्दू राष्ट्र की स्थापना के कार्य में यथाशक्ति दिया जानेवाला योगदान ! इस प्रकार से पाठकों से समष्टि साधना करानेवाला यह समाचारपत्र इतिहास में एकमात्र समाचारपत्र होगा !

३. राष्ट्र एवं धर्महितैषी विचारों को निर्भयता से रखनेवाला ‘सनातन प्रभात !’

३ अ. खालिस्तान समर्थकों का उच्चाटन करने के विषय में ‘सनातन प्रभात’ की निर्भीक भूमिका ! : ‘सनातन प्रभात’ ने सदैव ही राष्ट्रहित को अनन्यसाधारण महत्त्व दिया है । इस दृष्टिकोण से ‘सनातन प्रभात’ की पत्रकारिता कार्यरत है । इसका उदाहरण देना हो, तो पिछले २-३ वर्ष से देश में विशेषरूप से पंजाब में खालिस्तानवाद ने पुनः एक बार अपना सिर उठाया है । भिन्न-भिन्न घटनाओं में खालिस्तानियों का हाथ होने की बात सामने आई है । उस समय ‘सनातन प्रभात’ से ‘खालिस्तानवाद की समस्या पुनः उग्र रूप धारण करे; इससे पूर्व ही खालिस्तानियों को ठिकाने लगाएं’ की भूमिका बार-बार रखी । देहली के किसान आंदोलन में खालिस्तानियों द्वारा की गई घुसपैठ, पंजाब के हिन्दुत्वनिष्ठ नेताओं की हत्याओं में खालिस्तानियों की संलिप्तता तथा अब ऑस्ट्रेलिया, कैनडा, ब्रिटेन आदि देशों में खालिस्तानियों की भारतविरोधी गतिविधियां; इस प्रकार खालिस्तानवाद ने उग्र रूप धारण किया है । अब सरकार ने कठोर कार्यवाही करते हुए खालिस्तानियों पर अंकुश लगाना आरंभ किया है ।

३ आ. ‘सर तन से जुदा’ के (सिर को शरीर से अलग करने के) नारे के विरुद्ध ‘सनातन प्रभात’ की स्पष्ट मांग ! : आज हिन्दुओं के सामने जिहादी आतंकवाद, लव जिहाद, धर्मांतरण, दंगे आदि समस्याएं तो हैं ही; परंतु यह वर्ष विशेषरूप से स्मृति में रहा धर्मांधों द्वारा हिन्दुओं को दी गई ‘सर तन से जुदा’ की धमकियों के कारण ! राजस्थान के उदयपुर, महाराष्ट्र के अमरावती जैसे अनेक स्थानों पर धर्मांधों ने ‘सर तन से जुदा’ के नारे का प्रत्यक्ष क्रियान्वयन किया । इस विषय में समाचार प्रसारित करते हुए ‘सनातन प्रभात’ ने किसी भी बात का भय न रखते हुए जिहादी प्रवृत्ति पर प्रहार किया तथा हिन्दुओं के सामने पुनः एक बार हिन्दुओं के संगठन की अनिवार्यता रखी । इस देश में पहले पुलिस को १५ मिनट हटाने पर ७५ करोड हिन्दुओं को मारने की धमकी दी गई तथा कुछ वर्ष पश्चात ‘सर तन से जुदा’ के रूप में उस धमकी का क्रियान्वयन भी किया गया ! अन्य समाचारपत्रों में इस विषय में समाचार तो अवश्य प्रसारित किए; परंतु ‘धर्मांधों पर कठोर से कठोर कार्यवाही करें’ की मांग केवल ‘सनातन प्रभात’ ने ही की ।

३ इ. धर्मांध ‘पी.एफ.आई.’ पर प्रतिबंध लगाने की मांग ! : अभी तक संपूर्ण देश में हुए अनेक दंगों, हिन्दुत्वनिष्ठों की हत्याओं आदि हिन्दूविरोधी घटनाओं के पीछे प्रतिबंधित जिहादी संगठन ‘पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया’ का हाथ होने की बात समय-समय पर उजागर हुई है । विशेषरूप से कर्नाटक में हुईं अनेक हिन्दूविरोधी घटनाओं में इस धर्मांध संगठन का हाथ है, यह स्पष्ट हुआ है । इस कारण ही कुछ वर्ष पूर्व ‘सनातन प्रभात’ ने देश में इस संगठन पर प्रतिबंध लगाने की मांग की थी । अन्य किसी भी समाचारपत्र के द्वारा ऐसी मांग की गई हो, ऐसा सुनने में नहीं आया है । ये उदाहरण देने के पीछे अन्य किसी प्रसारमाध्यम से हमारी तुलना करने का उद्देश्य नहीं है, अपितु उससे ‘सनातन प्रभात’ की हिन्दुत्वनिष्ठ विचारों के साथ की प्रतिबद्धता को रेखांकित करने का सरल उद्देश्य है ।

३ ई. लव जिहादविरोधी जनमानस तैयार किया ! : ‘सनातन प्रभात’ ने बहुत पहले से ‘लव जिहाद’ की दाहकता सामने रखी; परंतु समाज ने इस दाहकता का वास्तव में अनुभव किया श्रद्धा वालकर प्रकरण में ! कुछ महीनों पूर्व देहली में धर्मांध प्रेमी ने इस युवती के ३५ टुकडे कर अत्यंत अमानवीय पद्धति से उसकी हत्या की । ‘सनातन प्रभात’ ने अभी तक लव जिहाद के विरुद्ध अनेक विशेषांक प्रकाशित कर जनजागरण किया है । जब समाज को ‘लव जिहाद’ शब्द भी ज्ञात नहीं था, तब से ‘सनातन प्रभात’ इस विषय में निरंतर जागृति कर रहा है । इसके फलस्वरूप आज देश के ९ राज्यों ने धर्मांतरण विरोधी कानून बनाया है । लव जिहादविरोधी जनमानस तैयार करने में, साथ ही हिन्दुओं को धर्मशिक्षा का महत्त्व समझाने में ‘सनातन प्रभात’ का अमूल्य योगदान है ।

३ ऊ. शिक्षा के इस्लामीकरण के विरोध में जागृति ! : कुछ महीने पूर्व कर्नाटक के शिक्षा संस्थानों में मुसलमान छात्राओं ने हिजाब (मुसलमान महिलाओं का सिर ढंकने का वस्त्र) पहनने की आग्रहपूर्ण मांग की । इस पर ‘सनातन प्रभात’ ने धर्मांधों की अपनी स्वतंत्र धार्मिक पहचान संजोने की मानसिकता, शिक्षा का इस्लामीकरण तथा आधुनिकतावादियों के तथाकथित सर्वधर्मसमभाव को समाज के सामने उजागर किया । इसी अवधि में ईरान में हिजाबविरोधी आंदोलन चल रहा था, यह विषय भी ‘सनातन प्रभात’ ने समाज के सामने रखा ।

३ ए. वर्ष २०४७ तक भारत को ‘गजवा-ए-हिन्द’ (भारत का इस्लामीकरण) बनाने के षड्यंत्र के विरुद्ध जनजागरण ! : हमें एक ही समय में अनेक संकटों से घेरने का योजनाबद्ध षड्यंत्र रचा जा रहा है । ‘वर्ष २०४७ तक भारत को ‘गजवा-ए-हिन्द’ बनाने की, अर्थात भारत का संपूर्ण इस्लामीकरण करने की धर्मांधों की योजना है । जांच संस्थाओं को धर्मांधों से इस संदर्भ में तैयार की गई ‘ब्लू प्रिंट’ भी (विस्तृत योजना भी) मिली । इस प्रकार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी भारत के विरुद्ध अनेक ‘टूल किट्स’ (उद्देश्यपूर्ति हेतु के साधन) कार्यरत हैं । ‘सनातन प्रभात’ ने २४ वर्ष पूर्व ही हिन्दू राष्ट्र का उद्घोष क्यों किया था ? तथा वह कितना उचित था, यह भी इससे सभी के ध्यान में आएगा !

‘सर तन से जुदा’ हो अथवा ‘गजवा-ए-हिन्द हो’, यह सब आतंकवाद को प्रोत्साहन देने की घटनाएं ही हैं न?

३ ऐ. ‘सनातन प्रभात’ की समाज, संस्कृति, राष्ट्र एवं धर्म की रक्षा की भूमिका का परिणाम ! : इस प्रकार ‘सनातन प्रभात’ ने अभी तक समाज, संस्कृति, राष्ट्र एवं धर्म की रक्षा की भूमिका निरंतर रखी । आज अनेक राज्यों में उसके परिणाम दिखाई दे रहे हैं । गोवा में भी वहां की सरकार की ओर से प्राचीन मंदिरों का जीर्णाेद्धार करने की घोषणा की गई है । कुछ ही दिन पूर्व गोवा के श्री सप्तकोटीश्वर मंदिर में इस संदर्भ में एक भव्य कार्यक्रम संपन्न हुआ । इसके अतिरिक्त शिक्षा संस्थानों को क्रांतिकारियों के नाम देना, आयुर्वेद को प्रोत्साहन देना आदि सराहनीय निर्णय भी सरकार की ओर से लिए गए ।

४. उपासनाबल की आवश्यकता !

‘सनातन प्रभात’ की विशेषता यही है कि ‘हिन्दुत्व के कार्य को साधना के रूप में कैसे करना चाहिए ?’, यह हम हिन्दुओं को बताते हैं । आज के समय में उपासना के बल का तथा उसके लिए साधना करने का महत्त्व अंकित करने हेतु ‘लोगों को क्या प्रिय है, इसकी अपेक्षा लोगों को क्या आवश्यक है ?’, वही देने का हमारा निष्ठावान प्रयास रहता है । ‘सनातन प्रभात’ में संतों के द्वारा साधकों को किया गया मार्गदर्शन भी नित्य प्रकाशित किया जाता है । उसके द्वारा पाठकों के मन पर साधना का महत्त्व अंकित किया जाता है । साधना कर ‘सनातन प्रभात’ के अनेक पाठक, शुभचिंतक, विज्ञापनदाता आदि जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्त हो चुके हैं, यह बताते हुए मुझे विशेष आनंद हो रहा है ।

५. ‘सोशल मीडिया’ पर भी ‘सनातन प्रभात’ को उत्तम प्रतिसाद !

काल की गति को ध्यान में रखकर ‘सनातन प्रभात’ जालस्थल, ‘एप’, ‘ई-पेपर’, ‘डेली हंट’, ‘टेलिग्राम चैनल’, ‘इंस्टाग्राम एकाउंट’ आदि के माध्यम से अधिकाधिक पाठकों तक पहुंच रहा है । प्रतिमास लगभग २० लाख से भी अधिक बार ‘सनातन प्रभात’ के लेख एवं समाचार पढे जाते हैं ! मैं आपसे एक विनम्र आवाहन करना चाहता हूं कि आप ‘सनातन प्रभात’ नियतकालिक को घर-घर पहुंचाने का प्रयास करें तथा ‘सोशल मीडिया’ के माध्यम से भी उसका प्रसार करें ।

६. सनातन प्रभात हिन्दुओं का अपना व्यासपीठ !

आपको आपके नित्य व्यावहारिक जीवन में प्राप्त अच्छे-बुरे अनुभव, चाहे वो प्रशासन के संदर्भ में हों अथवा शिक्षा, स्वास्थ्य, यात्रा आदि के संदर्भ में हों । उन्हें आप हमें अवश्य लिखकर
भेजें । इसके साथ ही हिन्दू धर्म, धर्मग्रंथ, हिन्दू, साधु-संत, राष्ट्रपुरुष आदि पर होनेवाले आघातों के विषय में भी ‘सनातन प्रभात’ को सूचित करें । ‘सनातन प्रभात’ प्रत्येक हिन्दू का उसका अपना व्यासपीठ है ।’

– श्री. अरविंद पानसरे, ‘सनातन प्रभात’ के संवाददाता