अयोध्या स्थित राम मंदिर निर्माण की दिव्य घटना !!
ये रामनामधारी शिलाएं ‘अयोध्या में राममंदिर बनाने के साथ साधकों के मन में आत्माराम की स्थापना हो, अखिल भारत भूमि राममय हो’, इस संकल्प की वाहक हैं ।
ये रामनामधारी शिलाएं ‘अयोध्या में राममंदिर बनाने के साथ साधकों के मन में आत्माराम की स्थापना हो, अखिल भारत भूमि राममय हो’, इस संकल्प की वाहक हैं ।
उन दिनों में श्रीरामजन्मभूमि आंदोलन प्रतिदिन तीव्र बनता जा रहा था तथा उसका नेतृत्व विश्व हिन्दू परिषद ने (विहिप ने) किया था । रा.स्व. संघ इस आंदोलन का समर्थन करे, यह विहिप की अपेक्षा थी तथा संघ ने वैसा किया भी । जिस परिसर में विहिप का कार्य अल्प था अथवा नहीं था, वहां संघ ने दायित्व लिया ।
रामजन्मभूमि मुक्ति हेतु कुल ७६ लडाईयां हुईं, यह इतिहास है । ईसापूर्व १५० में सर्वप्रथम ग्रीक राजा मिनंडर (मिलिंद) ने आक्रमण कर अयोध्या स्थित श्रीरामपुत्र कुश द्वारा निर्मित मंदिर ध्वस्त किया । आगे जाकर शुंगकाल में मिनंडर की पराजय होने पर रामजन्मभूमि मुक्त हुई; किंतु अयोध्या को उसका गतवैभव कुछ मात्रा में पुनः प्राप्त हुआ ईसापूर्व १०० के आसपास !
पाक्षिक ‘सनातन प्रभात’ की २४ वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी का संदेश
प्रेम से दीर्घकाल बना रहनेवाला सुख मिलता है; जबकि शारीरिक संबंधों से तात्कालिक सुख मिलता है !
केवल श्रीराम मंदिर निर्माण करना पर्याप्त नहीं, अपितु ‘समर्थ राष्ट्र मंदिर’ निर्माण करना आवश्यक है ।
कोई अल्पसंख्यक सेक्युलर नहीं रहा, केवल हिन्दू सेक्युलर बने और जो सरकार सेक्युलर होनी चाहिए थी वो तुष्टिकरण करके हिन्दुओं का दमन ही कर रही है । इसीलिए हिन्दू राष्ट्र की आवश्यकता है ।
सर्वोच्च न्यायालय की ५ सदस्यीय खंडपीठ ने केंद्र सरकार के ५ अगस्त २०१९ को जम्मू-कश्मीर के लिए लागू अनुच्छेद ३७० को रद्द करने के निर्णय को उचित प्रमाणित किया है
राज्यपाल को हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री. रमेश शिंदे द्वारा लिखित ‘हलाल जिहाद’ ग्रंथ भेंट दिया गया ।