मकर संक्रांति मनाने की पद्धति एवं पर्वकाल में दान का महत्त्व
‘मकर संक्रांति पर सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक पुण्यकाल रहता है । इस काल में तीर्थस्नान का विशेष महत्त्व है । गंगा, यमुना, गोदावरी, कृष्णा एवं कावेरी नदियों के किनारे स्थित क्षेत्र में स्नान करनेवाले को महापुण्य का लाभ मिलता है ।’