‘डीपफेक’ के द्वारा स्वयं की जानकारी चोरी न हो; इसके लिए क्या सतर्कता बरतें ?

(टिप्पणी : ‘डीपफेक’ का अर्थ है कृत्रिम बुद्धि (आर्टिफिशियल इंटेलिजेन्स) की सहायता से छायाचित्रों तथा वीडियों में परिवर्तन कर, किसी का चेहरा अन्य व्यक्ति के शरीर पर लगाकर उसका उपयोग करना)

कृत्रिम बुद्धि की सहायता से छायाचित्रों एवं वीडियो में परिवर्तन कर किसी के चेहरे को अन्य व्यक्ति के शरीर पर लगाकर ‘डीपफेक’ तैयार किए जाते हैं । इस डीपफेक को पहचानना कठिन है; परंतु शरीर की हलचलें तथा चेहरे पर स्थित हावभावों का विश्लेषण करना, साथ ही उसके पिछले भाग में स्थित चूकें खोजना तथा श्रव्यचक्रिका सुनकर उनमें स्थित कमियां खोजने से डीपफेक को पहचानने में सहायता मिल सकती है । सरकार ने सामाजिक माध्यमों में काम करनेवाले प्रतिष्ठानों से इस प्रकार से परिवर्तन किए गए छायाचित्रों अथवा वीडियोज को तुरंत हटाने का अनुरोध किया है । स्कार्लेट जोहांसन एवं टॉम हैंक्स जैसे प्रसिद्ध व्यक्ति ‘डीपफेक’ की चपेट में आए । प्रौद्योगिकी का इस प्रकार से दुरुपयोग होने से संरक्षण मिलने हेतु कानूनी संरक्षण स्थापित करने की आवश्यकता है ।

१. डीपफेक क्या है ? इसकी चपेट में आने से आप कैसे बच सकते हैं ?

कृत्रिम बुद्धि क्षेत्र के विशेषज्ञ श्री. अमेय जठार का कहना है, ‘‘डीपफेक उत्पादनक्षम तथा उसमें स्थित डीप प्रौद्योगिकी के नमूनों का उपयोग कर हम किसी छायाचित्र में इच्छित पद्धति से परिवर्तन लाकर वह छायाचित्र इस प्रकार से तैयार कर सकते हैं कि वह मूल छायाचित्र की भांति दिखेगा । वीडियोज के संकलनों में डीपफेक का बडे स्तर पर उपयोग किया जा रहा है तथा उसमें किसी व्यक्ति का चेहरा अन्य व्यक्ति के शरीर पर लगाया जाता है ।’’

‘डीपफेक’ ध्वनिचिक्रिकाओं एवं छायाचित्रों में भी तैयार किया जा सकता है । ध्वनिचक्रिका में बातों में परिवर्तन अथवा संपूर्ण संभाषण में परिवर्तन किया जा सकता है । यदि आप प्रसिद्ध कार्यक्रम ‘गेम्स ऑफ थ्रोन्स’ के अंत में किट हैरिंग्टन उर्फ जॉन स्नो द्वारा क्षमा मांगने के वीडियो पर विश्वास कर रहे हैं, तो आप ‘डीपफेक’ से तैयार किया गया वीडियो देख रहे थे, इसे ध्यान में रखें ।

२. ‘डीपफेक’ को कैसे पहचाना जा सकता है ?

२ अ. सायबर सुरक्षा क्षेत्र के विशेषज्ञ डॉ. निरंजन रेड्डी ने इसके कुछ ऐसे अंतर बताए हैं, जो अनुभवहीन लोगों के ध्यान में नहीं आएंगे । ‘डीपफेक’ के संबंध में आप कुछ निम्न बातें देख सकते हैं ।

अ. शरीर तथा चेहरे की हलचलों का निरीक्षण करें, उदा. पलकों का खुलना-बंद होना इत्यादि

आ. छायाचित्र की पृष्ठभूमि पर क्या है ? उसमें निहित त्रुटियां खोजें ।

इ. ध्वनि के संबंध में क्या त्रुटियां हैं ? अथवा आवाज में बहुत ही अल्प मात्रा में परिवर्तन हो, तो उसे सुनें ।

ई. दिखाए गए छायाचित्र के विषय में ‘इमेज रिवर्सल टूल’, इस संगणकीय प्रणाली का उपयोग कर, क्या वह छायाचित्र इंटरनेट पर अन्य कहीं है ?, इसकी पडताल करें । ‘मेटा’, ‘गूगल’ एवं ‘माइक्रोसॉफ्ट’ प्रतिष्ठान अब ‘डीपफेक’ को पहचानने के साधन तैयार कर रहे हैं ।

उ. सबसे महत्त्वपूर्ण यह कि ‘डीपफेक’ के विरुद्ध तुरंत कार्यवाही करने हेतु सायबर अपराध विशेषज्ञों से संपर्क करें ।

२ आ. श्री. अमेय जठार का कहना है कि ‘डीपफेक’ को पहचानना, कृत्रिम बुद्धि का उपयोग कर बनाए गए लेखन को पहचानने जितना ही चुनौतीपूर्ण है । ‘डीपफेक’ को पहचानने हेतु कुछ मौडल्स तैयार किए गए हैं; परंतु हम उस पर संपूर्णतया निर्भर नहीं रह सकते; इसलिए कोई छायाचित्र अथवा श्रव्यचक्रिका ‘डीपफेक’ है, इसकी पडताल के लिए जानकारी के अनेक स्रोत देखने पडेंगे ।

३. स्वयं की जानकारी अथवा परिचय की चोरी होने से स्वयं को कैसे बचाएं ?

इस विषय में डॉ. निरंजन रेड्डी बताते हैं, ‘‘इंटरनेट पर स्थित कोई भी जानकारी सुरक्षित है, यह सत्य नहीं है । हमारा मानना होता है कि सामाजिक माध्यमों पर स्थित ‘एप’ (प्रणाली) ‘आपके छायाचित्र आपके खाते में सुरक्षित रख रहे हैं’; परंतु वे आपकी जानकारी निकाल सकते हैं तथा उसे कहां रखा गया है ? यह कभी भी आपकी समझ में नहीं आएगा । इसलिए इससे बचने की सबसे सरल युक्ति यह है कि आप अपनी व्यक्तिगत जानकारी सबसे अल्प मात्रा में अन्यों को बताएं । जो व्यक्ति माध्यमों पर निरंतर ‘ऑनलाइन’ होता है, उसे बडे स्तर पर कृत्रिम बुद्धि से संकट होता है । दुर्भाग्यवश महिलाएं बडी मात्रा में ‘डीपफेक’ का लक्ष्य बनती हैं । जब ‘ऑनलाइन’ मित्रता अथवा संबंधों में बिगाड आता है, उस समय किसी व्यक्ति का उत्पीडन करने अथवा उसके मन में भय उत्पन्न करने हेतु डीपफेक का उपयोग किया जा सकता है ।’’

४. कानून के संबंध में दृष्टिकोण

४ अ. श्री. अमेय जठार का कहना है, ‘‘आज के समय में कानून, नैतिकता एवं बुद्धि के स्वामित्व के परिप्रेक्ष्य में ‘डीपफेक’ के विषय में अस्पष्टता है । ‘डीपफेक’ की धोखाधडी की चिंता से किसी व्यक्ति के संरक्षण का कोई भी प्रावधान नहीं है; परंतु यदि ‘डीपफेक’ का उपयोग करने से किसी के परिचय को हानि पहुंचती हो अथवा सामाजिक दृष्टि से उसकी हानि होती हो, तो मानहानि होना अथवा अनुचित जानकारी देने के संबंध में जो कानून होते हैं, उनके अंतर्गत कार्यवाही हो सकती है ।’’

४ आ. डॉ. निरंजन का कहना है, ‘‘ऐसी स्थिति में कोई व्यक्ति सूचना एवं प्रौद्योगिकी कानून के अंतर्गत शिकायत पंजीकृत कर सकता है, जिससे अश्लील जानकारी प्रकाशित होने से संरक्षण मिल सकता है; साथ ही आप निकट के सायबर अपराध विभाग से शिकायत पंजीकृत कर सकते हैं ।’’

५. डीपफेक के विषय में सरकार की भूमिका

इस प्रकार की परिवर्तित की जानेवाली जानकारी के विषय में ‘इलेक्ट्रॉनिक्स तथा सूचना एवं प्रौद्योगिकी विभाग’ ने सामाजिक माध्यमों को यह निर्देश दिया है, ‘‘जब ऐसे कोई डीपफेक की जानकारी के संबंध में ज्ञात होगा, ऐसे में आप अगले ३६ घंटों में वह जानकारी निकालें । सूचना एवं प्रौद्योगिकी कानून २०२१ के अनुसार तुरंत कार्यवाही करें ।’’

(साभार : दैनिक ‘टाइम्स ऑफ इंडिया’ का जालस्थल)

‘डीपफेक’ की चपेट में आए कुछ प्रसिद्ध व्यक्ति

१. अभिनेत्री स्कार्लेट जोहांसन ने, उसके नाम का उपयोग करना तथा कृत्रिम बुद्धि का उपयोग कर उसकी आवाज का उपयोग करना; इसके विरोध में एक कृत्रिम बुद्धि से संबंधित ‘एप’ पर कानूनी कार्यवाही की है ।

२. टॉम हैकंस भी इसकी चपेट में आ गए हैं । दांतों से संबंधित एक विज्ञापन में उनका उपयोग किया गया ।

३. अभिनेता अनिल कपूर ने उनकी अनुमति के बिना उनकी ‘डीपफेक’ श्रव्यचक्रिका प्रसारित करनेवाले जालस्थल पर अभियोग प्रविष्ट किया तथा वे यह अभियोग जीत गए ।

४. वर्ष २०२२ में प्रकाशित एक ब्योरे के अनुसार अभिनेत्री करीना कपूर का परिवर्तित किया गया वीडियो २० लाख लोगों ने देखा ।

५. मौडेल बेला हदीद की इजरायल का समर्थन देनेवाला वीडियो ‘डीपफेक’ का उपयोग कर बनाया गया था ।

(साभार : दैनिक ‘टाइम्स ऑफ इंडिया’ का जालस्थल)