‘अलीगढ’ का नाम ‘हरिगढ’ करने की नागरिकों की उत्तर प्रदेश सरकार से मांग
स्वतंत्रता से लेकर अभीतक सभी पार्टियों के शासनकर्ताओं ने यह नाम क्यों नहीं बदला, इसका भी जवाब हिन्दुओं को पूछना चाहिए !
स्वतंत्रता से लेकर अभीतक सभी पार्टियों के शासनकर्ताओं ने यह नाम क्यों नहीं बदला, इसका भी जवाब हिन्दुओं को पूछना चाहिए !
ध्यान दें, कि पाकिस्तान में हिन्दुओं के विरुद्ध हो रहे ऐसे अत्याचारों के संबंध में भारत का एक भी धर्मनिरपेक्ष,आधुनिकतावादी एवं सर्वधर्मसमभाव वाला व्यक्ति मुंह नहीं खोलता है !
इससे हिन्दू पुजारी का उच्च कोटि का धर्माभिमान ध्यान में आता है ! ‘धर्माे रक्षति रक्षितः ।’, यह ईश्वर का वचन है । इसपर अटल श्रद्धा रखनेवाला व्यक्ति ही इस प्रकार की कृति कर सकता है !
सनातन प्रभात’ नियतकालिकों के जालस्थल (वेबसाइट) पर नियतकालिकों में प्रकाशित किए जानेवाले लेख जालस्थल की विविध ‘कैटेगरीज’ में विभाजित किए गए हैं । इनमें अंतरराष्ट्रीय/राष्ट्रीय/राज्यस्तरीय/स्थानीय समाचार, राष्ट्र-धर्म लेख, साधना, अनुभूति इत्यादि विविध ‘कैटेगरीज’ का समावेश है ।
अफगानिस्तान में हो रही गतिविधियां ‘गजवा-ए-हिन्द’ की संभावना की ओर संकेत कर रही हैं । यदि ऐसा नहीं होने देना है, तो भारत के हिन्दुओं को संगठित होकर हिन्दू राष्ट्र की स्थापना करना अपरिहार्य है, यह ध्यान में रखें !
हाल ही में महाराष्ट्र में दो दिवसीय वर्षाकालीन अधिवेशन हुआ । सभापति को गालियां देना और धमकियां देना आदि घटनाएं घटित हुईं । इसलिए सभापति ने विरोधी दल के १२ विधायकों की सदस्यता एक वर्ष के लिए निलंबित की ।
अमेरिका की अफगानिस्तान से वापसी के उपरांत पाकिस्तान द्वारा भारत में आतंकवाद को पुनर्जीवित करने की संभावना होने से भारत की समस्याओं में वृद्धि होना
भाद्रपद शुक्ल तृतीया से भाद्रपद शुक्ल चतुर्दशी की अवधि में हरितालिका, ऋषिपंचमी एवं ज्येष्ठा गौरी व्रत आते हैं । इन व्रतों को नैमित्तिक व्रत कहते हैं । नैमित्तिक व्रत निर्धारित तिथि को ही आते हैं ।
सनातन संस्था ने ‘आपातकाल में संजीवनी सिद्ध होनेवाली ग्रंथमाला’ बनाई है । इस ग्रंथमाला से सीखी हुई उपचार-पद्धतियां केवल आपातकाल की दृष्टि से ही नहीं, अपितु अन्य समय भी उपयुक्त हैं; क्योंकि वे मनुष्य को स्वयंपूर्ण और कुछ मात्रा में परिपूर्ण भी बनाती हैं ।
आपातकाल में सुरक्षित रहने हेतु व्यक्ति अपने बल पर कितनी भी तैयारी करे, महाभीषण आपदा से बचने हेतु अंत में पूर्ण विश्वास ईश्वर पर ही रखना पडता है । मानव यदि साधना कर ईश्वर की कृपा प्राप्त करे, तो ईश्वर किसी भी संकट में रक्षा करते ही हैं ।