‘वर्ष २००२ में घटस्थापना के शुभमुहूर्त पर हिन्दू जनजागृति समिति की स्थापना हुई । कोरोना महामारी का काल छोडा जाए, तो प्रत्यक्ष स्तर पर कार्य करने में हिन्दू जनजागृति समिति सदैव आगे होती है । कोरोना महामारी की आपदा में भी घर में बैठे प्रत्येक हिन्दू के हृदय में हिन्दू राष्ट्र की ज्योति का एक मशाल में रूपांतरण करने के लिए तथा हिन्दुओं को क्रियाशील बनाए रखने के लिए समिति ने अनुआई की; इसीलिए समिति ने कोरोना महामारी से पूर्व जो उपक्रम समाज में प्रत्यक्षरूप से चल रहे थे, उन्हीं उपक्रमों को ‘ऑनलाइन’ माध्यमों से जारी रखने का प्रयास किया । इसकी दृश्य रूप में फलोत्पत्ति कोरोना की आपदा के उपरांत दिखाई देने लगी है । कोरोना की आपदा के उपरांत हिन्दू राष्ट्र की स्थापना हेतु हिन्दुओं को क्रियाशील बनानेवाली ‘हिन्दू जनजागृति समिति’ के वृद्धिंगत दैवी कार्य का आलेख विशद करनेवाला यह लेख ! पिछले लेख में हमने ‘कोरोना महामारी के काल में आरंभ किए गए अभिनव ‘ऑनलाइन’ उपक्रम तथा हरिद्वार के कुंभ पर्व में हिन्दू राष्ट्र की स्थापना का कार्य’ के विषय में पढा । इस लेख में हम उस लेख की अगली कडी दे रहे हैं । (भाग २)
पहली बार आयोजित किए गए इस आंदोलन में १३ देश, भारत के २५ राज्य, १४० से अधिक शहरों के हिन्दुत्वनिष्ठ सहभागी हुए थे । इसमें समाज के लोग भी स्वप्रेरणा से सम्मिलित हुए । कनाडा में १५० संगठनों ने इसका विरोध किया । बडे स्तर पर विरोध होने के कारण कुछ विश्वविद्यालय इस परिषद के आयोजन से पीछे हट गए । इस कार्यक्रम का भी अल्प प्रत्युत्तर मिला । इस अवधि में चलाया गया ‘ट्विटर ट्रेंड’ पहले ५ स्थानों में अंतर्भूत था । चाहे ‘आपातकाल हो अथवा सामान्य काल हो, ईश्वर किसी के माध्यम से कुछ भी कर सकते हैं’, पुन: इसकी प्रतीति हुई ।
उसके उपरांत कोरोना काल में ऐसे विभिन्न विषयों पर ऑनलाइन आंदोलन हुए तथा प्रसारमाध्यमों से उनका संज्ञान भी लिया गया ।
३. कोरोना काल में अन्यों के कार्यक्रमों में ऑनलाइन सहयोग
कोरोना महामारी के काल में जहां सबकुछ ठप्प था, ऐसे समय में अनेक लोकप्रिय हिन्दुत्वनिष्ठ ‘यू ट्यूब’ चैनल्स पर राष्ट्र-धर्म के विषय पर परिचर्चाएं आरंभ हुईं । इन कार्यक्रमों में वक्ता के रूप में हिन्दू जनजागृति समिति के वक्ताओं को भी आमंत्रित किया गया । अमेरिका एवं अरब राष्ट्रों के धर्मप्रेमी व्यक्तियों द्वारा आयोजित ‘ऑनलाइन’ कार्यक्रमों में भी समिति के वक्ताओं ने भाग लिया । इसके परिणामस्वरूप उन देशों में कार्यरत हिन्दुत्वनिष्ठों से परिचय होनें में सहायता मिली ।
४. कोरोना काल में हरिद्वार कुंभपर्व में किया गया हिन्दू राष्ट्र की स्थापना से संबंधित कार्य !
कोरोना महामारी की पहली लहर समाप्त होने के उपरांत जब जीवन पूर्ववत हो रहा था, उस समय धर्मप्रचार के बडे अवसर के रूप में समिति ने हरिद्वार के कुंभ पर्व में धर्मप्रचार करना सुनिश्चित किया । इसके लिए समिति के पूरे देश से १३० से अधिक साधक, हिन्दुत्वनिष्ठ तथा धर्मप्रेमी दृढ श्रद्धा के साथ प्राणों को संकट में डालकर धर्मसेवा हेतु आ गए । इस कुंभ पर्व में साधक संख्या अल्प होते हुए भी सामान्य की अपेक्षा बडे स्तर पर धर्मप्रसार का कार्य संपन्न हुआ ।
अनेक संतों ने हिन्दू जनजागृति समिति के द्वारा प्रचारित विचारों को उनके कार्यक्रमों एवं बैठकों में व्यापक स्तर पर लिया । इसी कुंभ पर्व में एक संत की बैठक में ‘हिन्दू राष्ट्र का संविधान’ तैयार करने का नियोजन किया गया, साथ ही कुछ संतों ने हरिद्वार के प्रत्येक चौक पर ‘हिन्दू राष्ट्र की स्थापना के कार्य में सम्मिलित हों’ के ‘बैनर’ लगाए । चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के उपलक्ष्य में इसी कुंभ पर्व में ‘हिन्दू राष्ट्र की धर्मध्वजा’ खडी की गई । हिन्दू जनजागृति समिति ने कुंभपर्व में ‘हिन्दू राष्ट्र प्रदर्शनी’ लगाई, अनेक संतों ने स्वप्रेरणा से उसका अवलोकन किया । संतों में हिन्दू राष्ट्र की स्थापना का विचार प्रचारित करने हेतु ‘संत-संपर्क अभियान’ आयोजित किया गया । इससे अनेक संत समिति के कार्य से जुड गए ।
५. कोरोना महामारी की आपत्ति के उपरांत हिन्दू-संगठन का कार्य गतिमान होना
५ अ. ‘अखिल भारतीय हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन’ का ‘वैश्विक हिन्दू राष्ट्र महोत्सव’ में रूपांतरण होना : वर्ष २०१२ से चल रहा अखिल भारतीय हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन कोरोना महामारी के उपरांत अर्थात वर्ष २०२२ से केवल राष्ट्रीय स्तर तक सीमित न रहकर अब वह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हो रहा है तथा उसे मिल रहा प्रत्युत्तर भी बढता चला जा रहा है । एक प्रकार से अखिल भारतीय हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन का वैश्विक हिन्दू राष्ट्र महोत्सव में रूपांतरण हुआ है ।
इस अधिवेशन के कारण हिन्दुत्वनिष्ठ विचारोंवाले विभिन्न क्षेत्रों के अध्येता, विशेषज्ञ, पत्रकार, संत, धर्माचार्य, मंदिरों के न्यासी, पुरोहित, अधिवक्ता, हिन्दुत्वनिष्ठ, उद्योगपति आदि का बडे स्तर पर संगठन हुआ है । ये अधिवेशन तो एक प्रकार से हिन्दू राष्ट्र-स्थापना हेतु हो रहे हिन्दू संगठनों का इतिहास है । इस अधिवेशन से ‘एक भारत अभियान – चलो कश्मीर की ओर’, ‘मंदिरमुक्ति अभियान’, ‘मंदिर संस्कृति रक्षा अभियान’, ‘वैचारिक परिषद’, ‘हिन्दू राष्ट्र समन्वय समिति’, ‘हलालविरोधी आंदोलन’, ‘लव जिहाद’, ‘धर्मांतरण’, ‘अर्बन नक्सली षड्यंत्र’, ‘हिन्दूविरोधी कथानक’ जैसे राष्ट्रीय स्तर के अनेक अभियान तथा आंदोलन खडे हुए हैं । हिन्दुत्वनिष्ठों के परिप्रेक्ष्य में यह अधिवेशन तो हिन्दुत्व का कुंभ पर्व ही होता है । इस अधिवेशन की विशेषता यह है कि ‘इस अधिवेशन में केवल भाषण नहीं दिए जाते; अपितु पूरे वर्ष में अपने-अपने क्षेत्र में जाकर हिन्दू राष्ट्रकी स्थापना के कार्य में हम तथा हमारा संगठन क्या योगदान देगा ?’, यह भी सुनिश्चित किया जाता है । एख प्रकार से यह तो हिन्दुत्वनिष्ठों को हिन्दू राष्ट्र की स्थापना हेतु क्रियाशील बनानेवाला मंच ही है ।
५ आ. ‘हिन्दू राष्ट्र समन्वय समिति’ की स्थापना : ‘हिन्दू राष्ट्र समन्वय समिति की संकल्पना का अर्थ जिलों-जिलों में हिन्दू-संगठन, मंदिर, अधिवक्ता, पत्रकार, विचारक आदि के एकत्रित सहयोग से हिन्दुओं का ‘इकोसिस्टम’ तैयार करना तथा हिन्दुओं की स्थानीय समस्याओं से संबंधित समस्याओं के संबंध में स्थानीय सरकार के साथ संवाद रखनेवाला एक ‘दबाव समूह’ तैयार करना है ! समिति ने सर्वत्र हिन्दू राष्ट्र समन्वय समिति की स्थापना करने में प्रधानता ली । इसमें अनेक स्थानीय संगठन सम्मिलित हो रहे हैं । हिन्दू संगठन एकत्रित होकर कार्य एवं आंदोलन कर सकते हैं, यह इससे सिद्ध हो गया है । महाराष्ट्र, झारखंड, गोवा, कर्नाटक इत्यादि राज्यों में हिन्दू राष्ट्र समन्वय समितियां सक्रिय हो चुकी हैं ।
५ इ. देश में समानांतर अर्थव्यवस्था खडी करनेवाले ‘हलाल प्रमाणपत्र’ के विरुद्ध के अभियान की सफलता : समिति ने व्याख्यानों एवं पुस्तक वितरण के माध्यम से देश में समानांतर अर्थव्यवस्था खडी कर रहे ‘हलाल प्रमाणपत्र’ की अनिवार्यता के विरुद्ध के अभियान को बडे स्तर पर प्रत्युत्तर मिला । इस अभियान के माध्यम से व्यापारियों तथा उद्योगपतियों का संगठन हुआ । इस विषय में समाज में जागृति लाने हेतु समिति द्वारा प्रकाशित ‘हलाल जिहाद’ ग्रंथ मराठी, हिन्दी, अंग्रेजी, कन्नड, तेलुगु, तमिल एवं गुजराती भाषा में प्रकाशित हुआ तथा अल्पावधि में ही उसकी १ लाख प्रतियों का वितरण हुआ । पूरे देश में आयोजित सहस्रों बैठकों में यह विषय रखा गया । समिति की इस जागृति के कारण उत्तर प्रदेश राज्य में हलाल उत्पादों पर प्रतिबंध लगाया । समिति के प्रतिनिधियों ने मध्य प्रदेश तथा छत्तीसगढ राज्य के मुख्यमंत्रियों तथा उपमुख्यमंत्रियों से मिलकर ‘इन राज्यों में भी हलाल उत्पादों पर प्रतिबंध लगाया जाए’, यह मांग की ।
मुंबई के इस्लामिक जिमखाना में हलाल उत्पाद बनानेवाले उत्पादकों के लिए ‘हलाल शो इंडिया’ के नाम से एक प्रदर्शनी का आयोजन किया गया था; परंतु इस परिषद के द्वारा इसका विरोध किए जाने पर आयोजकों को यह कार्यक्रम रद्द करना पडा । विभिन्न जिलों में ‘हलाल अनिवार्यता विरोधी कार्यान्यवन समितियों’ की स्थापना हुई ।
५ ई. ‘अधिवक्ता सम्मेलनों’ का आयोजन : यातायात बंदी के काल में आरंभित अधिवक्ता सत्संग तथा समिति के संपर्क में आए साधकवृत्ति के अधिवक्ताओं को जोडकर रखने हेतु महाराष्ट्र में फरवरी २०२३ में जळगांव में विदर्भ, मराठवाडा एवं उत्तर महाराष्ट्र के अधिवक्ताओं का सम्मेलन आयोजित किया गया । उसके उपरांत मुंबई में पश्चिम महाराष्ट्र एवं कोंकण क्षेत्र के अधिवक्ताओं का सम्मेलन आयोजित किया गया । लगभग २५० साधक अधिवक्ताओं ने इस सम्मेलन का लाभ उठाया ।
५ उ. ‘मंदिर परिषदों’ का आयोजन : हिन्दू जनजागृति समिति के कार्य से विभिन्न जिलों के मंदिरों के न्यासियों, पुजारियों तथा पुरोहितों का भी संगठन हुआ है । इसके संदर्भ में महाराष्ट्र, गोवा एवं कर्नाट में राज्य स्तरीय मंदिर एवं न्यास परिषदों का आयोजन किया गया है । वर्ष २०२३ तथा वर्ष २०२४ में ४ राज्य स्तरीय, ११ जिला स्तरीय एवं ४ तालुका स्तरीय मंदिर परिषदों का आयोजन किया गया । इसके द्वारा १४,००० मंदिर न्यासियों का संगठन बनाया गया ।
५ ऊ. वारकरी अधिवेशन एवं कीर्तनकार कार्यशाला : वर्ष २००९ से तीर्थक्षेत्र आळंदी (जिला पुणे) में वारकरी संप्रदाय, राष्ट्रीय वारकरी परिषद, वारकरी संगठन एवं हिन्दू जनजागृति समिति के संयुक्त आयोजन में राष्ट्र-धर्म की रक्षा हेतु वारकरी संप्रदाय के कीर्तनकारों का राज्यव्यापी वारकरी अधिवेशन लिया जाता है । विगत १८ वर्षाें से यह वारकरी अधिवेशन नियमितरूप से आयोजित किया जा रहा है तथा इस माध्यम से विभिन्न विषय लिए जाते हैं । इस अधिवेशन के माध्यम से सैकडों कीर्तनकार हिन्दू जनजागृति समिति के कार्य से जुडे हैं । इसी अधिवेशन के माध्यम से अब देहू, पैठण, पंढरपुर जैसे तीर्थस्थानों पर भी इस प्रकार से वारकरी अधिवेशन तथा कीर्तनकार कार्यशालएं लेना आरंभ हुआ है ।
५ ए. हिन्दू विचारकों की बैठकों का आयोजन : हिन्दुत्वनिष्ठ संगठन के लिए सहयोग करनेवाले हिन्दुत्वनिष्ठों का ‘इकोसिस्टम’ आवश्यक था । इसके लिए समविचारी हिन्दुत्वनिष्ठ विचारकों, लेखकों, वक्ताओं तथा संपादकों के एकत्रीकरण से वर्ष २०२३ में पहले देहली में तथा उसके उपरांत मुंबई, रांची (छत्तीसगढ) एवं बेंगळूरु (कर्नाटक) में विचारक बैठकों का आयोजन किया गया ।
६. धर्मप्रेमी-साधक तैयार करनेवाले उपक्रमों को प्राप्त प्रत्युत्तर
६ अ. धर्मशिक्षावर्ग : हिन्दू जनजागृति समिति की ओर से पूरे देश में निद्रित हिन्दुओं को धर्मशिक्षित बनाने तथा धर्मजागृत करने हेतु धर्मशिक्षावर्गाें का आयोजन किया जाता है । इन धर्मशिक्षावर्गाें के माध्यम से जागृत धर्मप्रेमियों को हिन्दू राष्ट्र-स्थापना के कार्य में शीघ्रातिशीघ्र क्रियाशील बनाया जाए, इसके लिए वर्ष २०२३ में समिति ने १२ धर्मशिक्षावर्गाें का पाठ्यक्रम तैयार किया । इसके परिणामस्वरूप केवल ३ महिनों की अवधि में धर्मप्रेमी समष्टि धर्मकार्य करनेवाले धर्मप्रेमी-साधक बन रहे हैं । धर्मशिक्षावर्गाें का बढता हुआ आलेख आगे दिया गया है ।
(टिप्पणी : गांव-गांव में लगनेवाले धर्मशिक्षावर्गाें को ऑनलाइन किया गया । कुछ स्थानों पर लोगों को इंटरनेट का ज्ञान न होने से सभी धर्मशिक्षावर्ग ऑनलाइन करने में मर्यादाएं आईं । आगे जाकर इनमें से अनेक वर्ग अध्यात्म में रुचि रखनेवालों के लिए, साथ ही राष्ट्र-धर्म के कार्य में रुचि रखनेवालों के लिए शाखाओं तथा बैठकों में रूपांतरित हुए ।)
६ आ. स्वरक्षा वर्ग : समाज को अन्याय एवं अत्याचार से स्वयं की तथा परिवार की रक्षा करना संभव हो; इस उद्देश्य से समिति सर्वत्र निःशुल्क स्वरक्षा वर्ग आयोजित करती है । वर्ष २०२१ से मई २०२४ तक महाराष्ट्र, गोवा एवं कर्नाटक राज्यों में ५१६ नियमित स्वरक्षा वर्गाें से ५३०० युवक-युवतियां प्रशिक्षित हो चुकी हैं, साथ ही युवकों के लिए ७ दिवसीय ‘शौर्य जागृतिवर्ग’ के पाठ्यक्रम के अंतर्गत वर्ष २०२० से मई २०२४ की अवधि में ३५३ वर्ग आयोजित किए गए, जिसमें ४२०९ युवक-युवतियों को प्रशिक्षित किया गया । शौर्यजागृति वर्ग के माध्यम से प्रशिक्षित होनेवाले युवक-युवतियों को अब समिति की ओर से प्रमाणपत्र भी प्रदान किए जा रहे हैं ।
देहली की श्रद्धा वालकर हो अथवा बदलापुर की यशश्री शिंदे हो, इन सभी घटनाओं में तो वासनांधों की कुदृष्टि में फंसी युवतियां ही हैं ! ऐसा होते हुए भी सभी राज्यों में लव जिहाद विरोधी कानून नहीं बनाया जाता । ऐसी स्थिति में हिन्दू युवतियों को स्वयंपूर्ण एवं सक्षम बनाने हेतु उनके लिए आयोजित किए जा रहे वर्गाें को विशेष प्रत्युत्तर प्राप्त हो रहा है । इस वर्ग को आरंभ करने से पूर्व ‘अब रोना नहीं, लडना है’, इस घोषवाक्यवाला शौर्यजागृति शिविर आयोजित किया जाता है । युवक-युवतियों के द्वारा इन शिविरों को उत्स्फूर्त प्रत्युत्तर प्राप्त हुआ है । इन स्वरक्षा वर्गाें के माध्यम से हनुमान जयंती के दिन सामूहिक गदापूजन, विजयादशमी के दिन सामूहिक शस्त्रपूजन, छत्रपति शिवाजी महाराज के किलों की स्वच्छता जैसे विभिन्न उपक्रम चलाए जाते हैं, जिनका ब्योरा आगे दिया गया है –
६ इ. प्राथमिक चिकित्सावर्ग : प्राथमिक चिकित्सावर्ग हिन्दू जनजागृति समिति का सामाजिक सहायता उपक्रम है । ‘बाढ, भूकंप, युद्धजन्य स्थिति, आगजनी जैसी आपातकालीन स्थितियों में स्वरक्षा कैसे करें अथवा क्या-क्या सतर्कता बरतें ?’, इस संदर्भ में समाज का मार्गदर्शन करने हेतु समिति निःशुल्क प्राथमिक चिकित्सावर्ग आयोजित करती है, साथ ही हिन्दू संगठनों एवं निजी प्रतिष्ठानों से इसे अच्छा प्रत्युत्तर मिल रहा है । इस पूरे वर्ष में इस उपक्रम का संख्यात्मक विवरण देखने पर सामाजिक सहायता का यह उपक्रम कितने बडे स्तर पर चल रहा है, इसका अनुमान लगाया जा सकता है ।
इन उपक्रमों से इस वर्ष में ६० लोग उन्नत स्तर पर प्राथमिक उपचारकर्ता तथा ९२ लोग सहायक प्राथमिक उपचारकर्ता बन गए हैं ।
७. गांव-गांव में हिन्दू जनजागृति समिति तथा रणरागिनी शाखाओं का आरंभ
हिन्दू जनजागृति समिति का कार्य प्रतिदिन बढ रहा है तथा निचले स्तर तक फैल रहा है । अनेक लोग समिति के माध्यम से हिन्दू राष्ट्र हेतु योगदान देने तथा अपने गांव में कार्य करने को तैयार हैं । ऐसे धर्मप्रेमियों के माध्यम से समिति ने अब गांव-गांव में समिति की शाखाएं खोलना आरंभ किया है । वर्तमान में ५५ से अधिक स्थानों पर शाखाएं आरंभ हुई हैं । जिन स्थानों पर केवल महिलाएं एकत्रित हो रही हैं, वहां समिति की ‘रणरागिनी’ शाखाएं आरंभ की गई हैं । इन शाखाओं के माध्यम से राष्ट्रीय स्तर से लेकर ग्राम स्तर तक समिति की विभिन्न गतिविधियां एवं आंदोलन आरंभ किए गए हैं । इन शाखाओं के कारण जुडे युवक-युवतियों सहित धर्मप्रेमियों की सक्रियता बढने में सहायता मिली है ।
८. राष्ट्र-धर्म की रक्षा हेतु किए गए आंदोलन तथा उसमें प्राप्त सफलता
८ अ. हिन्दू जनसंघर्ष मोर्चे का आयोजन : वर्ष २०२२ में महाराष्ट्र में ‘लव जिहाद’ के षड्यंत्र के अंतर्गत श्रद्धा वालकर एवं रूपाली चंदनशिवे की हत्या हुईं । इसलिए ‘इन क्रूरकर्मियों को तत्काल फांसी मिले’, साथ ही ‘ऐसे अभियोग तीव्रगति न्यायालय में चलाए जाएं’ इन मांगों को लेकर समिति के तत्त्वावधान में महाराष्ट्र के नागपुर, जळगांव, दर्यापुर, अमरावती, गडहिंग्लज, कोल्हापुर, संभाजीनगर आदि शहरों में हिन्दू जनसंघर्ष मोर्चे का आयोजन किया गया । वर्ष २०२३ में गोवा राज्य में भी यह मोर्चा निकाला गया । प्रत्येक मोर्चे में सहस्रों लोग सम्मिलित हुए ।
८ अ १. महाराष्ट्र में ‘लव जिहाद’ विरोधी कानून बनाने की मांग करने हेतु नागपुर विधानसभा अधिवेशन के समय मुख्यमंत्री से मिलना : महाराष्ट्र में संपन्न जनसंघर्ष मोर्चे के आयोजन के एक वर्ष उपरांत भी सरकार ने कानून नहीं बनाया; इसलिए सरकार से इसकी समीक्षा करने हेतु नागपुर में विधानसभा के शीतकालीन अधिवेशन के समय महाराष्ट्र के विभिन्न जिलों में आयोजित मोर्चे के आयोजकों को एकत्र कर महाराष्ट्र राज्य के मुख्यमंत्री से भेंट की गई । इसमें माननीय मुख्यमंत्री ने आश्वासन दिया, ‘सरकार इस विषय में गंभीर है तथा हम इस संदर्भ में बहुत शीघ्र कानून बनाएंगे ।’
(क्रमशः)
– श्री. सुनील घनवट, महाराष्ट्र एवं छत्तीसगढ राज्य संगठक, हिन्दू जनजागृति समिति