बांग्लादेश में धर्मांधों ने किया हिन्दू परिवार पर आक्रमण !
यदि भारत में मुसलमानों पर आक्रमण हों, तो उस समय इस्लामी देश एवं उनके संगठन तुरंत भारत को खरी-खोटी सुनाकर उत्तर पूछते हैं, भारत सरकार को यह ध्यान में रखना चाहिए !
यदि भारत में मुसलमानों पर आक्रमण हों, तो उस समय इस्लामी देश एवं उनके संगठन तुरंत भारत को खरी-खोटी सुनाकर उत्तर पूछते हैं, भारत सरकार को यह ध्यान में रखना चाहिए !
हिन्दुओं को अजमेर दरगाह के सेवकों की खरी पहचान हो जाने से उन्होंने दरगाह में जाना बंद करना आरंभ कर दिया है । अब इसमें सातत्य रखने की आवश्यकता है ! इसके साथ ही अन्यत्र के हिन्दुओं को भी इसका विचार करना चाहिए !
बांग्लादेश के कुश्तिया जिले के कुमारखली उपजिले में जिहादी आतंकियों ने हथौडे से २२ वर्षीय हिन्दू महाविद्यालय के छात्र नयन कुमार सरकार की अमानुषिक पिटाई की ।
उत्तरप्रदेश में भाजपा की सरकार होते हुए भी धर्मांध भाजपा के नेता पर ही आक्रमण करने का दुस्साहस कैसे करते हैं ?
मुसलमानों को भीड द्वारा मारे जाने पर हिन्दुओं को असहिष्णु कहनेवाले धर्मनिरपेक्षतावादी और आधुनिकतावादी अब कहां हैं ? ऐसी घटनाओं का होना हिन्दू राष्ट्र के निर्माण को अपरिहार्य बना देता है !
हिन्दुओं को जड से उखाड फेंकने की मानसिकता रखनेवाले इस जिहादी आतंकवाद को नष्ट करने के लिए अब ‘हिन्दू राष्ट्र’ ही एकमात्र विकल्प रह गया है, यह समझ लें !
बांग्लादेश में ऐसा कुछ होने से पूर्व ही भारत सरकार को वहां स्थित शेख हसीना सरकार को जबाब उत्तर पूछना चाहिए ! यदि भारत सरकार निष्क्रिय रहती है और कोई आरोप लगाए कि बांग्लादेश में हिन्दुओं के नरसंहार के लिए एक प्रकार से भारत सरकार ही उत्तरदायी है, तो इसमें भूल कैसी ?
ऐसे विघातक प्रशिक्षण केंद्र का पता न लगना पुलिस के लिए अत्यंत लज्जास्पद है ! ‘पुलिस को इस बात का पता नहीं लगा या उसने अनदेखा किया ? , इस बिंदु का भी अन्वेषण होना चाहिए एवं वास्तविकता उजागर होनी चाहिए !
बजरंग दल के कार्यकर्ता निक्की मिश्रा पर साजिद नाम के युवक ने मामूली कारण से हमला किया। इसमें निक्की मिश्रा घायल होने से उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जबकि साजिद राईन को गिरफ्तार कर लिया गया है।
जिहादी गतिविधियों में उच्च शिक्षित अधिवक्ताओं की भागीदारी को देखते हुए ´´ मुसलमानों को मुख्यधारा में लाकर ही उनकी, अपराधों में हो रही वृद्धि को कम किया जा सकता है? ऎसा तर्क देने वालों का अब क्या कहना है ?