संपादकीय : संविधान के कथित भक्त !
कांग्रेसी श्रीराम की तो छोडिए; संविधान की भक्ति भी नहीं करते; यह अब हिन्दू जान गए हैं । इसीलिए उन्होंने केंद्र में कांग्रेस को सत्ता से दूर रखा ।
कांग्रेसी श्रीराम की तो छोडिए; संविधान की भक्ति भी नहीं करते; यह अब हिन्दू जान गए हैं । इसीलिए उन्होंने केंद्र में कांग्रेस को सत्ता से दूर रखा ।
अयोध्या में श्रीराम मंदिर में हुए श्रीराममूर्ति प्राणप्रतिष्ठा समारोह के अवसर पर सनातन संस्था द्वारा पूरे देश में ‘श्रीराम नामसंकीर्तन’ अभियान किया गया । मध्य प्रदेश, राजस्थान, दिल्ली एवं उत्तर प्रदेश में यह अभियान संपन्न हुआ ।
उन्होंने इस पोस्ट में लिखा है कि मैंने इसी चांदी की हथौडी और सोने की छेनी से श्री रामलला के दिव्य नेत्र बनाए थे ।
जब अतिक्रमण नहीं हटा, तब प्रशासन ने कार्यवाही की । घटनास्थल पर नगरपालिका के वरिष्ठ अधिकारी तथा बड़ी संख्या में पुलिसकर्मी उपस्थित थे ।
विद्या की नगरी के रूप में जिसकी पहचान है, ऐसे पुणे में कला के नाम पर हिन्दुओं के देवताओं का अपमान होना लज्जाजनक है ।
५०० वर्ष की प्रतीक्षा के उपरांत अयोध्या में प्रभु श्रीराम का मंदिर बन रहा है । ऐसे स्वर्णिमक्षण में हिन्दू श्रीराम के संगठनकार्य का आदर्श सामने रखेंगे, तो संपूर्ण भारत के अन्य अतिक्रमित मंदिर भी हिन्दुओं को प्राप्त होने में समय नहीं लगेगा ।
अयोध्या में होनेवाली श्री रामलला की प्राणप्रतिष्ठा की तिथि पर विभिन्न लोग आपत्ति जता रहे हैं । इस संदर्भ में वाराणसी के गणेश्वर शास्त्री द्रविडजी ने इसका गणित बताकर प्राणप्रतिष्ठा हेतु २२ जनवरी २०२४ का दिन ही कैसे उचित है, यह बताया है ।
‘रामायण’ एक ऐतिहासिक ग्रंथ है । हिन्दुस्थान सांस्कृतिक, धार्मिक, वैज्ञानिक एवं आर्थिक, ऐसे सभी क्षेत्रों में सर्वाेच्च स्थान पर विराजमान एकमात्र देश था ।
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‘२२.१.२०२४ को अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि के नवनिर्मित श्रीराम मंदिर में श्री रामलला की मूर्ति की प्राणप्रतिष्ठा की गई । इस मूर्ति को देखने पर मूर्तिकार अरुण योगीराज द्वारा बनाई गई श्रीराम की इस मूर्ति की निम्न गुणविशेषताएं मेरे ध्यान में आईं ।