DMK Minister S.S. Shivshankar : (और इनकी सुनिए…) ‘प्रभु श्रीराम के अस्‍तित्‍व का कोई भी ऐतिहासिक प्रमाण नहीं !’ – द्रमुक पार्टी के मंत्री एस.एस. शिवशंकर

तमिलनाडु की सत्तारूढ द्रमुक पार्टी के मंत्री एस.एस. शिवशंकर का वक्तव्य

द्रमुक पार्टी के मंत्री एस.एस. शिवशंकर

चेन्‍नई (तमिलनाडु) – क्रुद्ध एवं निराधार वक्तव्य करते हुए तमिलनाडु की सत्तारूढ द्रमुक पार्टी के मंत्री एस.एस. शिवशंकर ने कहा, ‘प्रभु श्रीराम के अस्‍तित्‍व का कोई भी ऐतिहासिक प्रमाण नहीं है । प्रभु रामजी को लोग अवतार मानते हैं । अवतार जन्‍म नहीं लेते । (‘अवतार’ शब्‍द का अर्थ भी ज्ञात नहीं, ऐसे शिवशंकर ने इस माध्‍यम द्वारा अपनी बुद्धि का दिवालियापन ही स्‍पष्‍ट किया है ! – संपादक) हमारे इतिहास को तोडमरोडकर बताया गया है । हमारे स्वयं के इतिहास को छुपाकर अन्य कोई इतिहास हमारे सामने प्रस्तुत करने का प्रयास हो रहा है ।’ चेन्‍नई के निकट अरीइलूर जिले के चोल साम्राज्‍य के प्रथम राजा राजेंद्र की जयंती के अवसर पर आयोजित एक कार्यक्रम में वे बोल रहे थे ।

शिवशंकर ने आगे कहा,

१. राजेंद्र चोल ने झीलों का निर्माण किया, साथ ही मंदिरों का भी निर्माण किया । चोल राजा के नामधारी शिलालेख एवं हस्‍तलिखित कागदपत्र (दस्‍तावेज) मिले हैं; परंतु प्रभु श्रीराम के अस्‍तित्‍व के संदर्भ में कोई भी ऐतिहासिक प्रमाण नहीं मिलते ।

२. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अयोध्‍याजी में श्रीराममंदिर का उद़्‍घाटन करते समय कहा था, ‘कुछ सहस्र वर्ष पूर्व प्रभु श्रीराम यहां निवास करते थें ।’ प्रत्‍यक्ष में प्रभु श्रीराम के अस्‍तित्‍व का कोई भी प्रमाण मिलता नहीं है । इस कारण यह इतिहास नहीं है । प्रभु श्रीराम के विषय में दावा कर समाज को पथभ्रष्ट किया जा रहा है ।

द्रमुक दल को प्रभु श्रीराम से इतनी घृणा क्यों है ? – भाजपा

के. अण्‍णामलाई

शिवशंकर के वक्तव्य पर भाजपा के प्रदेशाध्‍यक्ष के. अण्‍णामलाई ने कहा, ‘द्रमुक दल को प्रभु श्रीराम से इतनी घृणा क्यों है ? उन्होंने प्रभु श्रीराम का उल्लेख अभी क्यों किया ? नए संसद भवन में जब चोल साम्राज्‍य का सेंन्‍गोल (पुराने समय का राजदंड) रखा गया, तब इन्हीं लोगों ने उसका विरोध किया था । तमिलनाडु का इतिहास वर्ष १९६७ से आरंभ होता है, ऐसा लगनेवाले लोगों को अब देश की समृद्ध संस्‍कृति एवं इतिहास के विषय में प्रेम लगता है । क्या यह हास्‍यास्‍पद नहीं ?’

 

वर्ष १९६७ में द्रमुक पार्टी की पहली बार राज्‍य में सत्ता स्थापना हुई थी ।

संपादकीय भूमिका 

  • प्रभु श्रीराम के अस्‍तित्‍व के अनेक ऐतिहासिक प्रमाण पाए जाते हैं । इसके अतिरिक्त पुरातत्‍व एवं खगोलशास्‍त्र भी श्रीराम के अस्‍तित्‍व का समर्थन करते हैं । श्रीराम एवं उनके भक्तों के बढ रहे प्रभाव को देखकर द्रमुक निष्प्रभ बन गई है । इसी कारण से द्रमुक के नेताओं द्वारा ऐसे वक्‍तव्‍य हो रहे हैं । ऐसे लोगों पर कठोर से कठोर कार्यवाही होनी चाहिए !
  • ‘सनातन धर्म को नष्ट करो’, ‘सनातन धर्म अर्थात डेंगू अथवा मलेरिया जैसा रोग है’, आदि सनातनद्वेषी वक्तव्य करनेवाले उदयनिधी स्‍टैलिन की द्रमुक पार्टी के मंत्रियों द्वारा इस प्रकार का वक्‍तव्‍य करना, इसमें आश्‍चर्य कैसा !
  • क्या इस प्रकार का वक्तव्य कभी भी ईसा मसीह अथवा मुहम्मद पैगंबर के संदर्भ में करने की हिम्मत शिवशंकर दिखाएंगे ? यदि किया, तो उसके परिणामों से वे अच्छे से परिचित हैं !