तमिलनाडु की सत्तारूढ द्रमुक पार्टी के मंत्री एस.एस. शिवशंकर का वक्तव्य
चेन्नई (तमिलनाडु) – क्रुद्ध एवं निराधार वक्तव्य करते हुए तमिलनाडु की सत्तारूढ द्रमुक पार्टी के मंत्री एस.एस. शिवशंकर ने कहा, ‘प्रभु श्रीराम के अस्तित्व का कोई भी ऐतिहासिक प्रमाण नहीं है । प्रभु रामजी को लोग अवतार मानते हैं । अवतार जन्म नहीं लेते । (‘अवतार’ शब्द का अर्थ भी ज्ञात नहीं, ऐसे शिवशंकर ने इस माध्यम द्वारा अपनी बुद्धि का दिवालियापन ही स्पष्ट किया है ! – संपादक) हमारे इतिहास को तोडमरोडकर बताया गया है । हमारे स्वयं के इतिहास को छुपाकर अन्य कोई इतिहास हमारे सामने प्रस्तुत करने का प्रयास हो रहा है ।’ चेन्नई के निकट अरीइलूर जिले के चोल साम्राज्य के प्रथम राजा राजेंद्र की जयंती के अवसर पर आयोजित एक कार्यक्रम में वे बोल रहे थे ।
‘There is no historical evidence of Bhagwan Shri Ram’s existence!’ – Statement by Tamil Nadu’s ruling #DMK Minister S.S. Shivshankar
There are numerous historical references to the existence of Bhagwan Shri Ram. Besides this, archaeology and astronomy also confirm Bhagwan Shri… pic.twitter.com/v0KPDeH5Xu
— Sanatan Prabhat (@SanatanPrabhat) August 3, 2024
शिवशंकर ने आगे कहा,
१. राजेंद्र चोल ने झीलों का निर्माण किया, साथ ही मंदिरों का भी निर्माण किया । चोल राजा के नामधारी शिलालेख एवं हस्तलिखित कागदपत्र (दस्तावेज) मिले हैं; परंतु प्रभु श्रीराम के अस्तित्व के संदर्भ में कोई भी ऐतिहासिक प्रमाण नहीं मिलते ।
२. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अयोध्याजी में श्रीराममंदिर का उद़्घाटन करते समय कहा था, ‘कुछ सहस्र वर्ष पूर्व प्रभु श्रीराम यहां निवास करते थें ।’ प्रत्यक्ष में प्रभु श्रीराम के अस्तित्व का कोई भी प्रमाण मिलता नहीं है । इस कारण यह इतिहास नहीं है । प्रभु श्रीराम के विषय में दावा कर समाज को पथभ्रष्ट किया जा रहा है ।
द्रमुक दल को प्रभु श्रीराम से इतनी घृणा क्यों है ? – भाजपाशिवशंकर के वक्तव्य पर भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष के. अण्णामलाई ने कहा, ‘द्रमुक दल को प्रभु श्रीराम से इतनी घृणा क्यों है ? उन्होंने प्रभु श्रीराम का उल्लेख अभी क्यों किया ? नए संसद भवन में जब चोल साम्राज्य का सेंन्गोल (पुराने समय का राजदंड) रखा गया, तब इन्हीं लोगों ने उसका विरोध किया था । तमिलनाडु का इतिहास वर्ष १९६७ से आरंभ होता है, ऐसा लगनेवाले लोगों को अब देश की समृद्ध संस्कृति एवं इतिहास के विषय में प्रेम लगता है । क्या यह हास्यास्पद नहीं ?’
वर्ष १९६७ में द्रमुक पार्टी की पहली बार राज्य में सत्ता स्थापना हुई थी । |
संपादकीय भूमिका
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