यदि साहस है, तो श्रीरामचरितमानस पर चर्चा करें ! – श्री रामभद्राचार्य
श्री रामभद्राचार्य की बिहार के शिक्षामंत्री प्रा. चंद्रशेखर को चुनौती !
श्री रामभद्राचार्य की बिहार के शिक्षामंत्री प्रा. चंद्रशेखर को चुनौती !
पृष्ठ पर अश्लील छायाचित्र और संदेश प्रसारित कर राष्ट्र-धर्म जागृति कार्य को कलंकित करने का हिन्दूविरोधियों का प्रयत्न !
धर्मनिरपेक्ष भारत में इसके अतिरिक्त और क्या उम्मीद की जा सकती है ? भारत में भ्रष्ट, जनताद्रोही, कामचोर प्रशासनिक अधिकारी-कर्मचारियों को क्षमा मांगने की आवश्यकता नहीं दिखाई देती ; लेकिन आध्यात्मिक परम्पराओं का पालन करनेवालों के साथ ऐसा होता है यह लज्जास्पद !
आज असुर का महिमामंडन करनेवाले कल आतंकियों, धर्मांधों एवं भ्रष्टाचारियों का भी महिमामंडन करने में कोई कसर नहीं छोडेंगे ! इसलिए ऐसे लोगों का वैचारिक प्रतिवाद करने के साथ ही सरकार को उन पर कठोर कार्यवाही करना आवश्यक !
‘जय श्रीराम’ घोषणा देने से क्या हानि होती है, यह कौन बताएगा ? श्रीराम के आदर्शपूर्ण जीवन से प्रत्येक व्यक्ति को सीखना चाहिए । किंतु ऐसा न कर, उनके नाम का भी विरोध करना लज्जाजनक !
ध्यान दें कि जो लोग हिन्दू राष्ट्र की मांग करते हैं, वे धर्मनिरपेक्ष राज्य व्यवस्था के विरोधी हैं, जो देश को रसातल में ले जा रही है, जो मुसलमानों का तुष्टीकरण कर रही है और मौर्य के वक्तव्यों को सहन कर रही है!
सेंथमराई के भाई उदयनिधी ने ‘सनातन धर्म को नष्ट करने के वक्तव्य से सेंथमराई मंदिर में राजनीतिक स्तर पर चर्चा की होने लगी है ।
प्रकाश राज को ही इसके पहले डेंगू को नष्ट करके दिखाना चाहिए ! मुंह है इसलिए इस प्रकार के विधान किया जा रहे हैं । सनातन धर्म को मानने वाले सहिष्णु होने के कारण वे कानून हाथ में लेकर ऐसों को सबक नहीं सिखाते !
यह पृथकता से कहने की आवश्यकता नहीं है कि ऐसी द्वेषी प्राचार्या छात्रों को क्या सिखाती होगी ? शासन को ऐसे लोगों पर कार्यवाही करनी चाहिए !
सहस्रों वर्षों से असुर एवं कुछ शतक मुगलों ने सनातन धर्म नष्ट करने का प्रयास किया; परंतु सनातन धर्म आज भी जीवित है, तथा उसे नष्ट करनेवाले स्वयं ही नष्ट हुए हैं, यही दुहराते रहनेवाला है !