मैसूर (कर्नाटक) में मुसलमानों द्वारा हिंसा
मुसलमानों के संदर्भ में अपमानजनक कुछ भी होने पर वे सीधा कानून हाथ में लेते हैं और धर्मनिरपेक्ष लोग उनका विरोध नहीं करते ।
मुसलमानों के संदर्भ में अपमानजनक कुछ भी होने पर वे सीधा कानून हाथ में लेते हैं और धर्मनिरपेक्ष लोग उनका विरोध नहीं करते ।
दोषी प्रमाणित नेताओं को केवल ६ वर्षों के लिए चुनाव लडना प्रतिबंधित करना, कोई समझदारी नहीं है । यदि एकाध सरकारी कर्मचारी को दंड मिले, तो वह पूरी उम्र सेवा से हाथ धो लेता है; तो फिर दोषी व्यक्ति संसद में कैसे वापस आ सकता है ?
अमेरिका न केवल भारत से बल्कि पूरे विश्व के घुसपैठियों को बाहर निकाल रहा है। इसके लिए युद्ध स्तर पर प्रयास किये जा रहे हैं। देशभक्तों की यह अपेक्षा है कि भारत कम से कम बांग्लादेशियों और रोहिंग्याओं को निष्कासित करने संबंधी प्रयास शीघ्रता से सर्वप्रथम करेगा।
‘इज्तिमा’ के आयोजकों पर अपराध पंजीकृत कर संबंधितों को बंदी बनाने के आदेश दें ! – मत्स्यव्यवसाय मंत्री नितेश राणे की मुख्यमंत्री से पत्र द्वारा मांग
गोवंश की हत्या के लिए यदि धर्मांधों को सालवे जैसे हिन्दू सहायता करते हैं, तो इससे अधिक कष्टदायक घटना दूसरी नहीं !
गंभीर अपराध में दंडित अपराधी को पैरोल मिलता ही कैसे है ?, यह सामान्य जनता के मन में उठनेवाला प्रश्न है । अपराधी पैरोल पर बाहर आकर बार-बार आपराधिक कृत्य कर है तथा उसे पुनःपुनः पैरोल मिलना तथा देश की व्यवस्था से उसका विरोध न होना अचंभित करनेवाला है !
प्रशासन को यह कैसे पता नहीं चला कि हजारों आवेदन नकली थे ? क्या आवेदनों की बिना सोचे-समझे जांच की गई ? ऐसे दोषी कर्मचारियों को भी दंडित किया जाना चाहिए !
कानपुर के मौलवी (इस्लामी धार्मिक नेता) सैयद शाह काज़मी उर्फ मोहम्मद शाद को एक नाबालिग लडके के अवैध धर्मांतरण के प्रकरण में बंदी बनाया गया । निचली और उच्च दोनों न्यायालयों ने उन्हें जमानत देने से मना कर दिया था ।
विष्णु गुप्ता ने अजमेर के चिश्ती दरगाह के स्थान पर हिन्दू मंदिर होने के संदर्भ में यहां के न्यायालय में याचिका प्रविष्ट की है । इस याचिका पर २४ जनवरी को सुनवाई हुई थी ।
पतंग बनानेवाले एवं उसका विक्रय करनेवाले, दोनों को ५ से ७ वर्ष कारावास अथवा ५० लाख रुपए दण्ड अथवा दोनों दण्ड हो सकते हैं ।