सर्वोच्च न्यायालय द्वारा अपराधी जनप्रतिनिधियों के संदर्भ में वक्तव्य
नई दिल्ली – सर्वोच्च न्यायालय द्वारा केंद्र सरकार एवं चुनाव आयोग से तीन सप्ताह के अंदर उत्तर मांगते हुए प्रश्न पूछा गया है ‘दोषी प्रमाणित नेताओं पर केवल ६ वर्षों के लिए चुनाव लडने पर प्रतिबंध लगाना, कोई समझदारी नहीं है । यदि एकाध सरकारी कर्मचारी को दंड मिले, तो पूर्ण आयु के लिए उससे वह सेवा छूट जाती है; तो फिर दोषी व्यक्ति संसद में कैसे वापस आ सकता है ? कानून तोडनेवाले कानून कैसे बना सकते हैं ?’ न्यायालय ने स्पष्ट करते हुए कहा ‘यदि केंद्र सरकार एवं चुनाव आयोग निर्धारित समय में उत्तर नहीं देते, तो यह प्रकरण आगे ले जाया जाएगा ।’
एक अपराधी जिसे दंड मिला हो, वह क्लर्क अथवा चपरासी नहीं बन सकता है तो वह सांसद, विधायक, मंत्री कैसे बन सकता है ?
अगली सुनवाई 4 मार्च को होगी |@AshwiniUpadhyay @narendramodi @AmitShah
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— Ashwini Upadhyay (@UpadhyayFriends) February 11, 2025
न्यायालय द्वारा आगे की सुनवाई ४ मार्च को निश्चित की गई है । भाजपा के नेता अधिवक्ता श्री. अश्विनी उपाध्याय की याचिका पर न्यायालय ने सुनवाई की । याचिका में मांग की गई है कि अपराधिक पृष्ठभूमि वाले लोगों का राजनीति में सक्रियता पर प्रतिबंध होना चाहिए ।
🚨 SC Questions Criminalisation of Politics!🚨
⚖️ Why are convicted politicians allowed back in power? Supreme Court asks EC & Union Govt!
📢 PIL by @AshwiniUpadhyay seeks a lifetime ban on convicted MPs/MLAs & faster trials 📝
🔹 Govt employees lose jobs for crimes, but… pic.twitter.com/ZhZF2mQqEt
— Sanatan Prabhat (@SanatanPrabhat) February 11, 2025
१. न्यायालय मित्र (अमिकस क्युरी) विजय हंसारिया ने न्यायालय से कहा ‘देश के अन्य राज्यों में सुनवाई बारंबार आगे धकेल दी जाती है एवं उसके कारण भी स्पष्ट नहीं किए जाते ।’
२. इसपर चिंता व्यक्त करते हुए न्यायालय ने कहा कि ऐसे अनेक राज्य हैं, जहां सांसद/विधायकों के लिए अभी तक न्यायालयों की स्थापना नहीं हुई हैं ।
३. हंसारिया ने न्यायालय को परामर्श देते हुए कहा ‘राजनीतिक पार्टी गंभीर अपराध में दोषी प्रमाणित लोगों को पार्टी के पदाधिकारी के रूप में नियुक्त नहीं कर सकती । क्या ऐसा कानून चुनाव आयोग नहीं बना सकता ?’
४. न्यायालय ने कहा ‘हम जनप्रतिनिधि कानून की धारा ८ एवं ९ के मध्य कुछ भागों की जांच करेंगे ।’