Kharghar Hindu Youth Killed By Muslims : खारघर (नई मुंबई) में ‘इज्तिमा’ के पश्चात हिन्दू युवक की मुसलमानों द्वारा हत्या

‘इज्तिमा’ के आयोजकों पर अपराध पंजीकृत कर संबंधितों को बंदी बनाने के आदेश दें ! – मत्स्यव्यवसाय मंत्री नितेश राणे की मुख्यमंत्री से पत्र द्वारा मांग

(‘इज्तिमा’ अर्थात मुसलमानों की धार्मिक सभा)

मत्स्यव्यवसाय मंत्री नितेश राणे

खारघर (नई मुंबई) – यहां आयोजित इज्तिमा के पश्चात शिवकुमार शर्मा नामक हिन्दू युवक की हत्या की गई, ऐसी घटना सामने आई है । इस हत्या के उपरांत मत्स्यव्यवसाय एवं बंदरगाहों के विकास मंत्री नितेश राणे ने इस संदर्भ में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीसजी को पत्र लिखा है । इस पत्र में उन्होंने कहा ‘खारघर के एक हिन्दू युवक की हत्या में २ मुसलमान युवक सम्मिलित हैं । छोटी सी बात के कारण उसकी शिरस्त्राण (हेलमेट) से मारपीट की गई । अपराधी धार्मिक परिषद से (इज्तिमा से) वापस आते समय यह घटना हुई है । इस प्रकरण में इज्तिमा के समारोह के आयोजकों पर अपराध पंजीकृत करें एवं संबंधितों को बंदी बनाने के आदेश दें । उच्चस्तरीय समिति के माध्यम से जांच की जाए ।’ (मुख्यमंत्री से हिन्दुओं की अपेक्षा है कि संबंधित अपराधियों को बंदी बनाया जाएं एवं हिन्दुओं को न्याय मिलें ! – संपादक)

आक्रमण एवं हत्या प्रकरण के उपरांत दोनों अपराधी पलायन कर गए तथा पुलिस उन्हें ढूंढ रही हैं । पुलिस ने हत्या का अपराध पंजीकृत किया है । अपराधियों की आयु क्रमशः २२ एवं २५ वर्ष है ।

नितेश राणे द्वारा मृत के परिजनों को सहायता राशि एवं न्याय देने का आश्‍वासन !

मंत्री नितेश राणे ने मृत शिवकुमार शर्मा के घर जाकर परिजनों को आश्‍वस्त किया कि उन्हें अवश्य न्याय मिलेगा । मृत शिवकुमार शर्मा की ४ बहनें हैं एवं वे न्याय के लिए याचना कर रही हैं । यह घटना अर्थात हिन्दुओं के विरुद्ध षड्यंत्र हैं । सरकार अपराधियों पर कठोर कार्यवाही करेगी ।

मृत के सगे-संबंधी ध्रुव शर्मा ने आरोप लगाते हुए कहा ‘शिवकुमार शर्मा की जानबूझकर हत्या की गई है । इसे दुर्घटना नहीं मान सकते । इस हत्या का वीडियो भी उजागर हुआ है । वीडियो में कुछ युवक शिवकुमार शर्मा को मारते पीटते दिखाई दे रहे हैं ।’

संपादकीय भूमिका 

  • क्या कभी सुना है कि हिन्दुओं की धार्मिक सभा के उपरांत अथवा समारोह के पश्चात उनके द्वारा हिंसा हुई हों ? इसके विपरीत हिन्दुओं के धार्मिक शोभायात्राओं पर मस्जिदों से आक्रमण किए जाते हैं । अब इस घटना में मुसलमानों के समारोह के उपरांत हिन्दुओं की हत्या की गई है । यह बात तथाकथित ‘पुरोगामी’ महाराष्ट्र के लिए लज्जाजनक है !
  • इस घटना के विषय में हिन्दुत्वनिष्ठों को छोडकर अन्य राजनीतिक दल अथवा निधर्मीवादी क्यों नहीं बोलते ?
  • ‘एक हैं तो सेफ हैं’ इस घटना से यह हिन्दुओं को नहीं, अपितु क्या मुसलमानों को लागू हो रहा है ? ऐसा प्रश्‍न उठता है !

(और इनकी सुनिए…) ‘हिन्दू-मुसलमानों के मध्य झगडा निर्माण करनेवाले नितेश राणे को मंत्रीमंडल से हटाएं !’

समाजवादी दल के नेता अबू आजमी ने की मुख्यमंत्री से मांग ! 

अबू आजमी

समाजवादी दल के नेता अबू आजमी ने ७ फरवरी को पत्रकार परिषद लेते हुए कहा ‘नितेश राणे द्वेष फैला रहे हैं । ऐसे लोग सदैव महाराष्ट्र का वातावरण बिगाडने हेतु हिन्दू-मुसलमानों में झगडा करवाने का काम करते हैं । मैं मुख्यमंत्री से मांग करता हूं कि उन्हें (नितेश राणे को) मंत्रीमंडल से हटाया जाए । यदि नितेश राणे का कहना है कि ‘इज्तिमा के उपरांत उसमें सहभागी कुछ लोगों ने मारपीट करने से किसी की मृत्यु हुई’, तो पुलिस इस प्रकरण में जांच कर अपराधी को दंड दें; तथापि ऐसी किसी भी घटना के लिए महाराष्ट्र में इज्तिमा पर प्रतिबंध लगाने की मांग करना, यह संपूर्णतः अनुचित है ।’

उन्होंने आगे कहा ‘इज्तिमा में मुसलमानों को शरियत एवं धर्म के व्यतिरिक्त हिन्दुओं के साथ ही अन्य धर्मियों से किस प्रकार एकरूपता से रहना, यह कहा जाता है । नितेश राणे महाराष्ट्र में जातिवाद को बढावा देने का प्रयास कर रहे हैं । जिस मुसलमान संगठन पर प्रतिबंध लगाने की वे मांग कर रहे हैं, उस संगठन पर लगाए गए आरोप झूठे हैं । यह संगठन युवकों को उचित मार्ग पर लाने का कार्य करता है एवं सरकार की भी सहायता करता है । वह किसी को भडकाने का काम नहीं करता ।’ (महाराष्ट्र में इज्तिमा का आयोजन ‘तबलिगी जमात’ नामक संगठन करता है । इस संस्था पर साऊदी अरेबिया, उजबेकिस्तान एवं अन्य अनेक देशों में प्रतिबंध लगाया गया है । क्योंकि उसपर कट्टरपंथीय विचारधारा फैलाना, आतंकवादी विचारधारा का पोषण करना एवं अवैध आर्थिक व्यवहार करने के आरोप हैं । ऐसा होते हुए ‘यह संगठन निर्दोष है’, ऐसा कहना अर्थात ‘आजमी एक प्रकार से आतंकवाद को समर्थन दे रहे हैं’, यदि ऐसा कहा जाए, तो इसमें अनुचित क्या है ? – संपादक)

संपादकीय भूमिका 

हिन्दू-मुसलमानों के मध्य झगडा कौन करवा रहा है एवं हिन्दू धर्म का पक्ष लेनेवाले कौन हैं, इस बातको जनता अच्छे से जानती हैं । इसलिए अबू आजमी को इस विषय में दरमियानगिरी (दखल अंदाजी) करने की आवश्यकता नहीं है !