नवरात्रि के काल में होनेवाली धर्महानि रोकें तथा ‘आदर्श नवरात्रोत्सव’ मनाने के लिए प्रयास कर देवी की कृपा प्राप्त करें !

नवरात्रोत्सव से होनेवाली धर्महानि रोकने के लिए वैधानिक पद्धति से प्रयास कर उत्सव की पवित्रता बनाए रखना प्रत्येक देवीभक्त का आद्य कर्तव्य है । इन अप्रिय घटनाओं को रोककर ‘आदर्श नवरात्रोत्सव’ मनाना तथा उसके लिए अन्यों को भी प्रेरित करना देवी की श्रेष्ठ स्तर की उपासना सिद्ध होगी !’

उत्पादों पर छपे देवताओं के चित्र अथवा शुभचिन्हों का अनादर न हो, इसलिए उन्हें कहीं भी न फेंकते हुए उनका अग्नि विसर्जन करें !

देवताओं के चित्रों तथा उनके नाम में उनकी शक्ति कार्यरत होती है । हमारे देवताओं तथा श्रद्धास्रोतों का इस प्रकार अपमान न हो, इसलिए सभी का सतर्क रहना आवश्यक है । ऐसी वस्तुओं का उपयोग करने के उपरांत, उस वस्तु पर बने देवताओं के नाम के ‘स्टिकर’ अथवा चित्र को अग्नि में विसर्जित करें ।

पाठकों, शुभचिंतकों और धर्मप्रेमियों से विनम्र निवेदन तथा साधकों के लिए महत्त्वपूर्ण सूचना !

पितृपक्ष में पितृलोक, पृथ्‍वीलोक के सर्वाधिक निकट आने से इस काल में पूर्वजों को समर्पित अन्‍न, जल और पिंडदान उन तक शीघ्र पहुंचता है । उससे वे संतुष्‍ट होकर परिवार को आशीर्वाद देते हैं ।

सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळेजी के अनमोल वचन तथा मार्गदर्शन

सुख पाने की अपेक्षा के कारण अन्यों से इच्छा अथवा अपेक्षा करना, यदि हमारे जीवन में दुख तथा अज्ञान निर्माण करता है, तो वह ‘आसक्ति’ है ।

विद्यालय एवं महाविद्यालयों में आयोजित प्रतियोगिताओं में विजयी छात्रों को सनातन के ग्रंथ एवं लघुग्रंथ पुरस्कार स्वरूप दें !

छात्रों को पुरस्कार स्वरूप सनातन द्वारा प्रकाशित ‘बालसंस्कार’ नामक ग्रंथमाला तथा अन्य ग्रंथ देने से उनके मन पर सुसंस्कारों का महत्त्व अंकित होने में सहायता मिलेगी ।

युवको, सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी के चैतन्यदायी ग्रंथनिर्मिति का ध्वज फहराता रहे, इसलिए ग्रंथनिर्मिति की सेवा में सम्मिलित हों !

ग्रंथसेवा श्रेष्ठ ज्ञानशक्ति के स्तर की सेवा है । इसलिए शीघ्र आध्यात्मिक प्रगति करानेवाली भी है । इसलिए युवको, अपनी रुचि एवं क्षमता के अनुसार ग्रंथनिर्मिति की सेवा में सम्मिलित होकर इस सुवर्ण अवसर का लाभ लो !

दु:खद निधन

सनातन संस्था की साधिका श्रीमती उषा रखेजा के पति श्री. श्यामलाल रखेजा ७७ के थे । उनका ९ अगस्त २०२३ को बीमारी के कारण दु:खद निधन हुआ ।

रक्षाबंधन के दिन बहन को चिरंतन ज्ञानामृत से युक्त सनातन के ग्रंथ भेंट कर, साथ ही राष्ट्र-धर्म के प्रति अभिमान बढानेवाले सनातन प्रभात की पाठिका बनाकर अनोखा उपहार दीजिए !

रक्षाबंधन के उपलक्ष्य में सर्वत्र के हिन्दू भाईयों से आवाहन !

अधिक मास में सनातन के ग्रंथ एवं लघुग्रंथ अन्यों को देकर सर्वश्रेष्ठ ज्ञानदान का फल प्राप्त करें !

‘१८.७.२०२३ से १६.८.२०२३ के समयावधि में ‘अधिक मास’ है ।’ इस मास में दान करने से उसका फल अधिक मिलता है । इसलिए इस काल में वस्त्रदान, अन्नदान व ज्ञानदान करने का विशेष महत्त्व है । भारतीय संस्कृति में ‘ज्ञानदान’ को सर्वश्रेष्ठ माना जाता है ।