दक्षिण पूर्व एशिया में भूकंप !

समाचार वृत्त संकेतस्थल सीजीटीएन के अनुसार, भूकंप का केंद्र इंडोनेशिया के सुमात्रा द्वीप समूह के समीप समुद्र में २४ किमी गहराई तक था ।

बंगाल में पंचायत चुनाव के लिए केंद्रीय बल की नियुक्ति योग्य ! – सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय 

पंचायत स्तर के चुनावों के लिए केंद्रीय बल को तैनात करना पडता है, यह तथ्य स्पष्ट रूप से इंगित करता है कि बंगाल में कानून व्यवस्था की स्थिति कितनी बिगड चुकी है । इसलिए केंद्र सरकार को बंगाल में राष्ट्रपति शासन लागू करना चाहिए !

‘आदिपुरुष’ फिल्म प्रतिबंधित करें  ! – करणी सेना की मांग

सूरज पाल अम्मू ने आगे कहा, ‘यदि निर्माताओं में साहस है, तो मुहम्मद पैगंबर एवं सिक्खों के गुरु पर ऐसी फिल्म निर्माण कर दिखाएं । तब उनको मुंहतोड प्रत्युत्तर (जवाब) मिलेगा ।’ 

हिंसा रोको, अन्यथा परिणामों का सामना करो !

मुख्य मंत्री बिरेन सिंह ने आगे कहा, ‘मैं सशस्त्र मैतेई लाोगों को आवाहन करता हूं कि वे किसी पर भी आक्रमण न करें तथा शांति बनाए रखें, तभी राज्य की स्थिति पूर्ववत हो सकती है ।

अब वैश्विक स्तर पर भारत को महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने का समय आ गया है ! – प्रधान मंत्री मोदी

भारत में सहस्रों वर्षों से सभी धर्म एवं श्रद्धाओं को एक-साथ रहने एवं प्रगति करने की स्वतंत्रता मिली है । आप भारत में ऐसा पाएंगे कि प्रत्येक श्रद्धा एवं धर्म के लोग शांति से जीवन यापन कर रहे हैं ।

मदरसा का अचानक निरीक्षण करने के कारण उसके संचालक ने दी सरकारी अधिकारी को परिणाम भोगने की धमकी !

सरकार को ऐसे मदरसों की अनुमति अमान्य (रद्द) कर उनमें ताला लगाकर संचालक को कारागृह में बंद करना चाहिए !

हिन्दू जनसंघर्ष मोर्चा का जनआंदोलन हिन्दू राष्ट्र की स्थापना होनेतक जारी रखेंगे ! – कु. प्रियांका लोणे, समन्वयक, हिन्दू जनजागृति समिति, संभाजीनगर

हिन्दुओं पर हो रहे आघातों के विरुद्ध आवाज उठानी है । जबतक मातृभूमि से लव जिहाद एवं धर्मांतरण का षड्यंत्र नष्ट होकर हिन्दू राष्ट्र की स्थापना नहीं हो जाती, तबतक हमें यह संघर्ष जारी रखना है ।

न्यायव्यवस्था में कर्मफलन्याय सिद्धांत का समावेश अत्यावश्यक ! – अधिवक्ता वीरेंद्र इचलकरंजीकर, राष्ट्रीय अध्यक्ष, हिन्दू विधिज्ञ परिषद

एक ही प्रकार का अपराध होते हुए भी अपराधियों को भिन्न दंड क्यों दिया जाता है ? उसके पीछे क्या कर्मफलसिद्धांत है ? जब एकाध द्वारा बलात्कार के समान अपराध होता है, तब उसके पीछे ‘काम’ एवं ‘क्रोध’ ये षड्रिपुओं के दोष समाहित होते हैं । क्या उसका अध्ययन नहीं होना चाहिए ?

उत्तर-पूर्व भारत में हिन्दू धर्मरक्षा के लिए प्रयास होने आवश्यक ! – अधिवक्ता राजीव नाथ, जिलाध्यक्ष, हिन्दू जागरण मंच, कछार, असम

अधिवक्ता राजीव नाथ ने आगे कहा, ‘‘असम में ब्रिटिशों के काल से ईसाई पंथियों की संख्या अधिक है । जहां-जहां उनकी संख्या बढी, वहां देश विभाजित हुआ है । असम में मुसलमानों की जनसंख्या भी ३६ प्रतिशत से अधिक है, साथ ही वहां के ९ जिले मुसलमानबहुल बन गए हैं ।