उत्तर-पूर्व भारत में हिन्दू धर्मरक्षा के लिए प्रयास होने आवश्यक ! – अधिवक्ता राजीव नाथ, जिलाध्यक्ष, हिन्दू जागरण मंच, कछार, असम

व्यासपीठ पर बैठे हुए बाईं ओर से अधिवक्ता राजीव नाथ, अधिवक्ता मकरंद आडकर, पू. प्रदीप खेमकाजी एवं अजितसिंह बग्गा

रामनाथ देवस्थान – केवल श्रीराम मंदिर विवाद का समाधान कराने के लिए हिन्दुओं को ६० वर्ष संघर्ष करना पडा । देश में हिन्दुओं की ऐसी अनेक समस्याएं हैं । इन प्रत्येक प्रश्नों का समाधान कराने के लिए हम लोकतांत्रित पद्धति से लडते रहे, तो उसके लिए अनेक वर्ष लगेंगे । इसलिए इन सभी समस्याओं का समाधान कराने के लिए हिन्दू राष्ट्र की स्थापना करना ही एकमात्र विकल्प है, ऐसा प्रतिपादन कछार (असम) के ‘हिन्दू जागरण मंच’ के जिलाध्यक्ष अधिवक्ता राजीव नाथ ने किया । वैश्विक हिन्दू राष्ट्र महोत्सव के चौथे दिन (१९.६.२०२३ को) उपस्थित हिन्दुत्वनिष्ठों को संबोधित करते हुए वे ऐसा बोल रहे थे ।

अधिवक्ता राजीव नाथ ने आगे कहा, ‘‘असम में ब्रिटिशों के काल से ईसाई पंथियों की संख्या अधिक है । जहां-जहां उनकी संख्या बढी, वहां देश विभाजित हुआ है । असम में मुसलमानों की जनसंख्या भी ३६ प्रतिशत से अधिक है, साथ ही वहां के ९ जिले मुसलमानबहुल बन गए हैं । इसलिए असम की ओर ध्यान देना आवश्यक है । केवल असम ही नहीं, अपितु संपूर्ण उत्तर-पूर्व भारत में हिन्दू धर्मरक्षा के लिए प्रयास होने आवश्यक हैं । असम में धर्मांधों द्वारा योजनाबद्ध पद्धति से ‘लव जिहाद’ चलाया जाता है । उनके द्वारा १८ वर्ष से अधिक लडकियों को प्रेमजाल में फंसाया जाता है । उसके लिए वे वशीकरण तंत्र का भी उपयोग करते हैं । इसलिए ‘लव जिहाद’ में फंसनेवाली लडकियों को उससे बाहर निकालने के लिए बुद्धिकौशल के साथ नामजप जैसे आध्यात्मिक स्वरूपवाले उपायों का भी बहुत लाभ मिलता है । असम में ‘लैंड जिहाद’ की भी समस्या है; परंतु अब वहां हिन्दुत्वनिष्ठ सरकार होने के कारण इस समस्या का समाधान निकलने के लिए सहायता मिल रही है ।’’