स्वयं के सर्वांगीण उन्नति की जिज्ञासा जागृत रखें ! – आनंद जाखोटिया
प्राचीन समय में गुरुकुल में सर्वांगीण शिक्षा दी जाती थी । इसलिए जीवन की विपरीत परिस्थितियों से लडने का साहस छात्र जीवन में ही प्राप्त होता था । गुरु ढूंढने की अपेक्षा उन्हें प्राप्त करने के लिए हमें अपने चित्त को शुद्ध करने के साथ ही जिज्ञासा रखना आवश्यक है ।’