नववर्षारंभ दिन का संदेश

हिन्दुओ, चैत्र प्रतिपदा इस ‘युगादि तिथि’ को नववर्ष के प्रारंभ के रूप में मान्यता मिलने के लिए शारीरिक, मानसिक, आध्यात्मिक और राजनैतिक प्रयासों की पराकाष्ठा कीजिए और भारत में ‘हिन्दू राष्ट्र’ स्थापित कीजिए !

राष्ट्र के प्रति कर्तव्य निभाकर राष्ट्राभिमानी बनें !

हमारे राष्ट्र के तेजस्वी इतिहास और श्रेष्ठतम संस्कृति को हम समझ लेंगे, तो हममें हमारे राष्ट्र के प्रति अभिमान जागृत होगा । राष्ट्र के प्रति अभिमान होगा, मन में राष्ट्रप्रेम होगा, तो राष्ट्र के प्रतीकों के प्रति भी हमारे मन में आदर रहेगा ।

‘भारतीय भाषा, वेष और विचारों की पुनर्स्थापना से ही देश स्वतंत्र एवं स्थिर हो सकेगा’, यह संदेश देने के लिए यह गणतंत्र दिवस आया है ।

हमारे राष्ट्रपुरुषों के आत्मसमर्पण के मूल में सनातन धर्म की प्रेरणा थी । उसका विस्मरण होने के कारण क्या हम एक राष्ट्र बनकर रह सकते हैं ? आज गणतंत्र दिवस निमित्त यही प्रश्न हमारे सामने है ।

भारतीयो, २६ जनवरी के ध्वजारोहण के पश्चात जगह-जगह बिखरे ध्वजों की अवमानना से बचने का हम संकल्प करें और ध्वज का गौरव कर अपनी देशभक्ति प्रमाणित करें !

हमारा जन्म इस पवित्र भारत देश में हुआ, क्या वह केवल खान-पान के लिए और ‘मैं एवं मेरा परिवार’, ऐसा संकीर्ण विचार करने के लिए है ? यदि यह देश मेरा घर है, तो धर्म अर्थात मेरे घर के ज्येष्ठ एवं श्रेष्ठ परिजन हैं ! यदि ये दोंनो नहीं, तो आपका जीवन कैसा रहेगा ?

सनातन की संत श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली मुकुल गाडगीळजी के जन्मदिन के उपलक्ष्य में उनके चरणों में कोटि-कोटि प्रणाम !

प्रत्येक कर्म को नाम से जोडें, तो वह कर्मयोग बन जाता है । नामजप करनेवाले मन को भाव के दृश्य में रमा दिया जाए, तो वह भक्तियोग और मन एवं बुद्धि नामजप के साथ चलने लगे, तो वह ज्ञानयोग होता है ।

प.पू. भक्तराज महाराजजी का लीलासामर्थ्य और उनके शिष्य डॉ. जयंत आठवलेजी की त्रिकालदर्शिता !

‘भविष्य में प.पू. बाबा के भजनों का अर्थ कोई तो बताएगा’, यह परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी को वर्ष २०१३ में ही ज्ञात था’, यह उनकी त्रिकालदर्शिता ही है !

आध्यात्मिक लाभ एवं चैतन्य देनेवाली मंगलमय दीपावली !

गोवत्स द्वादशी के दिन श्रीविष्णु की आपतत्त्वात्मक तरंगें कार्यरत होकर ब्रह्मांड में आती हैं । विष्णुलोक की ‘वासवदत्ता’ नामक कामधेनु इस दिन ब्रह्मांड तक इन तरंगों का वहन करने हेतु अविरत कार्य करती है ।

अभ्यंगस्नान करने से होनेवाले सूक्ष्म परिणाम और लाभ दर्शानेवाला सूक्ष्म चित्र !

दीपावली के तीन दिनों पर अभ्यंगस्नान करते हैं । अभ्यंगस्नान के कारण रज-तम गुण एक लक्षांश अल्प होकर उसी मात्रा में सत्त्वगुण में वृद्धि होती है और उनका प्रभाव सदैव के स्नान की तुलना में अधिक होता है ।

छठ पूजा (१० नवंबर)

छठ पूजा कार्तिक शुक्ल पक्ष की षष्ठी को मनाई जाती है । यह चार दिवसीय त्योहार होता है, जो चतुर्थी से सप्तमी तक मनाया जाता है । इसे कार्तिक छठ पूजा कहा जाता है । इसके अतिरिक्त चैत्र माह में भी यह पर्व मनाया जाता है, जिसे चैती छठ कहते हैं ।

विजयादशमी का संदेश

हिन्दुओं की विजय होने हेतु अपराजिता देवी का भावपूर्ण पूजन करें ! इस वर्ष विजयादशमी को खरा सीमोल्लंघन करने का आरंभ अर्थात अपने क्षेत्र की संदेहास्पद आतंकवादी गतिविधियों की जानकारी पुलिस-प्रशासन को दें !