‘भारतीय भाषा, वेष और विचारों की पुनर्स्थापना से ही देश स्वतंत्र एवं स्थिर हो सकेगा’, यह संदेश देने के लिए यह गणतंत्र दिवस आया है ।

     हमारे राष्ट्रपुरुषों के आत्मसमर्पण के मूल में सनातन धर्म की प्रेरणा थी । उसका विस्मरण होने के कारण क्या हम एक राष्ट्र बनकर रह सकते हैं ? आज गणतंत्र दिवस निमित्त यही प्रश्न हमारे सामने है । आयात की हुई भाषा, संस्कृति; साथ ही भ्रष्टाचार, महंगाई, काला धन और आतंकवाद जैसी समस्याओं ने भी सहउपद्रव के रूप में प्रवेश किया है । ‘स्वदेशी भाषा, वेष और विचारों की पुनर्स्थापना से ही भारत की गणतंत्र स्वतंत्रता एवं स्थिरता रह सकेगी ’, यही एकमात्र सत्य का स्वीकार कर हमें अग्रसर होने का संदेश देने के लिए यह गणतंत्र दिवस आया है ।’

(संदर्भ : गीता स्वाध्याय, जनवरी २०१३)

सामाजिक दुष्प्रवृत्तियों के विरुद्ध वैध मार्ग से संघर्ष करें !

  • ‘सूचना के अधिकार’ से अन्यायपूर्ण घटनाओं की जानकारी ‘हिन्दू जनजागृति समिति’ को सूचित करें !
  • समाज के सत्यनिष्ठ व्यक्ति, अधिवक्ता, सूचना अधिकार कार्यकर्ता, सामाजिक अन्याय के विरुद्ध लडनेवाले संगठनों के साथ मिलकर जनप्रबोधन करें !

स्वास्थ्य तथा शिक्षा क्षेत्र की दुष्प्रवृत्तियां रोकें !

  • रोगियों से अधिक शुल्क लेनेवाले, अनावश्यक जांच अथवा शल्यकर्म करवानेवाले डॉक्टरों के विरुद्ध ‘मेडिकल काउन्सिल’ अथवा ‘ग्राहक मंच’ में शिकायत करें !
  • ‘डोनेशन’ की मांग व विशिष्ट दुकान से पाठ्यसामग्री खरीदने का आग्रह करनेवाले विद्यालयों के विरुद्ध ‘जिला शिक्षा समिति’/‘विभागीय शिक्षा उपसंचालक’ से शिकायत करें !