नामांतरण की आवश्यकता !

सरकार तथा नागरिकों को विदेशी संस्‍कृति के चिह्न मिटाने का कोई भी अवसर नहीं छोडना चाहिए ! हिन्दू महारक्षा अघाडी द्वारा सामने रखा गया यह सूत्र देशभक्त गोमंतकीय तथा भाजपा सरकार द्वारा अपनाकर भारत के इस भाग से एक और विदेशी जुए को उखाड कर संस्‍कृति को विकसित करने का प्रयास करेगी !

राष्ट्र की आध्यात्मिक उन्नति होनी चाहिए !

भारत में हिन्दुओं को सुरक्षित एवं शांति से जीवन जीने के लिए हिन्दू राष्ट्र स्थापित होना आवश्यक !

पाक की राजनीतिक उलझन !

पाकिस्‍तान में अभी भी वंश एवं कुल पर आधारित राजनीति का स्‍वरूप निश्चित होता है । ऐसे देश की जनता अन्‍न के बिना त्रस्त हो, तो भी वहां के राजनीतिक जनप्रतिनिधियों को उससे लेना-देना नहीं रहता । इमरान खान के दण्ड के उपरांत पाकिस्‍तान में एक नया अध्‍याय आरंभ होगा; किंतु वह प्रतिशोध, द्वेष तथा दुर्भावना का होगा ।

सभागार अथवा हंगामागार ?

अधिवेशन आरंभ होने के पूर्व ही ‘शासन को किन सूत्रों पर घेरना है ?’, यह वे पहले ही निश्चित कर लेते हैं तथा वे ऐसा करते भी हैं । इसलिए यह अधिवेशन ‘सरकार को दुविधा में डालने के लिए है अथवा जनता की समस्याओं का समाधान करने के लिए ?’, यह प्रश्न उठता है ।

अराजकता की दहलीज पर ‘पाप’स्‍तान !

पाकिस्‍तान के अनेक प्रांतोें में विद्रोह जैसी स्थिति हो कर पाकिस्‍तान के टुकडे होने की संभावना होने से भारत को इन सभी घटनाओं पर ध्यान देकर सतर्क रहना आवश्यक है । इस स्थिति से लाभ उठाते हुए भारत को पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर को स्वतंत्र (आजाद) कराना चाहिए । यदि ऐसा हुआ, तो वैश्विक स्‍तर पर कूटनीति का यह एक उत्‍कृष्‍ट उदाहरण होगा !

आतंकवाद का नया स्वरूप !

जिहादी भारत को ‘गजवा-ए-हिन्द’ बनाने के लिए वे अलग-अलग षड्यंत्र रच रहे हैं तथा दुर्भाग्यवश वे सफल भी हो रहे हैं । इसलिए हिन्दुओं का भविष्य संकट में है । उन्हें न पुलिस बचा सकती है, न प्रशासन, न राजनेता । नूंह जैसी घटनाएं ऐसे ही घटती रहीं, तो हिन्दुओं को अल्पसंख्यक बनने में समय नहीं लगेगा ।

‘वन्दे मातरम्’ की महिमा !

राष्ट्रद्रोहियों की देशविरोधी गतिविधियों को तोडकर हिन्दू राष्ट्र की स्थापना तथा भारतीयों में देशाभिमान जागृत होने के लिए सर्वत्र राष्ट्रीय गीत ‘वन्दे मातरम्’ का गायन होना ही चाहिए !

इरशालबस्तियों को ढूंढो!

देश के अमृत महोत्सव वर्ष में कुछ क्षेत्रों (बस्तियों) में मूलभूत सुविधाओं का अभाव होना,यह सर्वपक्षीय सरकारों के लिए लज्जास्पद !