विगत कुछ दिनों से पाकिस्तान में चल रहा राजनीतिक नाटक समाप्त होने पर कर ९ अगस्त की मध्य रात्रि को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के परामर्श के अनुसार राष्ट्रपति आरिफ अल्वी ने पाकिस्तान की संसद विसर्जित की । ३४२ सदस्योंवाली पाकिस्तान की संसद ने सदैव राजकीय अस्थिरता देखी है । आनेवाले ९० दिनों में वहां चुनाव होना अपेक्षित है; किंतु वर्तमान स्थिति में इमरान खान के प्रधानमंत्री पद से हटने पर शहबाज के कार्यकाल में गत ४ माह से पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति अत्यंत दयनीय हो गई है । पाकिस्तान की राजनीति में सेना सदैव श्रेष्ठ रही है । इससे पूर्व अनेक बार पाकिस्तानी सेना ने विविध कारण बता कर उस समय की साकार विसर्जित की है । कौन पक्ष चुना जाए, अधिकतर पाक की सेना ही यह निश्चित करती है । इसलिए कोई भी शासन हो, वह सेना के अधीन ही रहेगा, यह निश्चित है !
भारत से सदैव शत्रुता !
भारत एवं पाकिस्तान, इन दोनों देशों के अलग होने पर पाकिस्तान ने भारत के साथ सदैव शत्रुता की भूमिका ही निभाई है । पाकिस्तान भारत में निरंतर अशांति फैला कर निरपराध नागरिकों की बलि लेने का काम ही करता रहता है । वर्ष २०१४ से पूर्व भारत पाकिस्तान के साथ सदैव बातचीत एवं एवं समझौते की भाषा प्रयोग करता था । इसके विपरीत पाकिस्तान के शासक एवं सेना सदैव भारत को कैसे पराजित करें, इसी के लिए प्रयत्नशील रहते थे । भारत से सदैव शत्रुता रखने के प्रयास में पाकिस्तान आजकल भीषण आर्थिक संकट का सामना कर रहा है, तो भारत विश्व में पहले ५ क्रमांक की अर्थ व्यवस्था वाले देशाें में है ।
रूस से संकट !
पहले रूस-यूक्रेन युद्ध में पाकिस्तान ने कहा था, ‘हम रूस के साथ हैं ।’ साथ ही, अभी अभी यूक्रेन के विदेशमंत्री जब पाकिस्तान की यात्रा पर थे, तब पाकिस्तान ने कहा था, ‘पाकिस्तान सरकार यूक्रेन को किसी भी प्रकार के हथियारों की आपूर्ति नहीं करता ।’ किंतु दूसरी ओर पाकिस्तान ने यूक्रेन को विस्फोटक देने की बडी योजना बनाई है तथा पोलैंड के मार्ग से १५० कंटेनर यूक्रेन भेजे जानेवाले हैं । आर्थिक संकट से जूझ रहे पाकिस्तान को इससे पैसे (फंड) मिलने की आशा हैे; किंतु इसके साथ ही उसने रूस के विरुद्ध भूमिका अपना ली है । पाकिस्तान कभी रूस के साथ, तो कभी अमेरिका के साथ छल, तो कभी चीन के लिए भी संकट ! इससे वैश्विक स्तर पर भी पाकिस्तान की विश्वसनीयता नहीं रह गई है ।
इमरान खान को घेरने का प्रयास !
कभी पाक सेना के लाडले रहे इमरान खान को पाक सेना के विरुद्ध नीति अपनाने पर उन्हें अविश्वास प्रस्ताव का सामना कर पद छोडना पडा था । इमरान खान द्वारा पाकिस्तानी सेना के विरुद्ध भूमिका अपनाने से वे सेना में इतने अप्रिय हो गए, कि विगत कुछ माह में अनेक प्रकरणोें में अपराध प्रविष्ट कर उन्हें बंदी बनाया गया है । अब तिजोरी (तोशखाना) प्रकरण में ३ वर्ष कारागृह का दंड सुनाए जाने के उपरांत तुरत इमरान खान को ५ वर्ष के लिए अयोग्य घोषित कर दिया गया है । इमरान खान अगला चुनाव न लडने पाएं, सेना ने इसकी पूरी व्यवस्था कर रखी है ।
निरंतर ऋणग्रस्त एवं दयनीय अर्थव्यवस्था !
कट्टर धार्मिकता तथा द्वेष पर आधारित राजनीति करने से पाकिस्तान का कभी भी विकास नहीं हुआ । गत अनेक वर्षाें से चीन एवं अमेरिका पाकिस्तान को नियमित रूप से ऋण देते रहे हैं; किंतु पाकिस्तान ने यह पैसा विकास में व्यय न कर आतंकवादी गतिविधियों में किया । पाकिस्तान में आजकल अन्न से ले कर प्रत्येक वस्तु के भाव शिखर पर हैं । गेहूं, चावल, दूध, भाजी तथा ईंधन के भाव शिखर पर होने से अनेक लोगों को एक समय का भोजन भी नहीं मिल पाता । वर्तमान स्थिति में प्याज २२० रुपए किलो, नींबू १६० रुपए किलो, टमाटर ५०० रुपए किलो, पेट्रोल २७३ रुपए लिटर, तो दूध २१० रुपए लिटर, ऐसे दर होसे महंगाई के कारण सामान्य लोगों की कटि (कमर)कब की टूट चुकी है ।
पाकिस्तान में रुपए का मूल्य इतना गिर गया है कि १ डॉलर के लिए २७० पाकिस्तानी रुपए देने पड रहे हैं । देश चलाने के लिए पाकिस्तान के पास अब केवल १ माह की राशि शेष है । अर्थात पाकिस्तान का मित्र चीन सदा की भांति उसकी सहायता के लिए आगे आकर अभी-अभी उसने पाकिस्तान को २ वर्ष के लिए २.४ अरब डॉलर (६४८ करोड रुपए) का ऋण दिया है । इसलिए चीन जो भी कहेगा उसे पाकिस्तान करेगा, अर्थात भारत को सताने के लिए जो कुछ कर सकते हैं, आनेवाले समय में चीन पाकिस्तान से वह सब करा लेगा ।
भारत को अधिक सतर्क रहने की आवश्यकता !
पाकिस्तान की स्थिति ऐसी है कि वहां सेना कभी भी देश को अपने आधिपत्य में ले सकती है । जब जब पाकिस्तान में सेना की सत्ता आई, तब तब भारत पर अधिक संकट छाया । मुशर्रफ के कार्यकाल में ही कारगिल का युद्ध हुआ । इसी के साथ पाकिस्तान के अनेक प्रांतोें में विद्रोह जैसी स्थिति हो कर पाकिस्तान के टुकडे होने की संभावना होने से भारत को इन सभी घटनाओं पर ध्यान देकर सतर्क रहना आवश्यक है । इस स्थिति से लाभ उठाते हुए भारत को पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर को स्वतंत्र (आजाद) कराना चाहिए । यदि ऐसा हुआ, तो वैश्विक स्तर पर कूटनीति का यह एक उत्कृष्ट उदाहरण होगा !